राजस्थान में वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा का सामान्य ज्ञान का पेपर लीक होने पर एक बार फिर अशोक गहलोत सरकार की विफलता ही देश भर में चर्चा हो रही है। गहलोत के पिछले चार साल में 16 बार परीक्षा के पेपर लीक हुए हैं। गंभीर बात तो यह है कि पेपर लीक में सरकार के कुछ मंत्रियों पर भी अंगुलियां उठी है। यह भी गंभीर बात है कि पेपर लीक में पकड़े गए किसी भी आरोपी को अभी तक सजा नहीं मिली है। इसीलिए अब पेपर लीक मामलों की जांच सीबीआई से करवाने की मांग हो रही है। यह सही है कि पेपर लीग करवाने में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कोई भूमिका नहीं है, लेकिन अपनी सरकार को चलाने के लिए कई बार समझौते करने पड़ते हैं। प्रदेश में अधिकांश परीक्षाएं राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाती है। वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा भी आयोग द्वारा ली जा रही हैं। यही आयोग राज्य की प्रशासनिक और पुलिस सेवा के अधिकारियों की परीक्षा भी आयोजित करता है। ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि आयोग में नियुक्त होने वाले सदस्य ईमानदार छवि के साथ साथ शिक्षाविद् और अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ भी हों। मौजूदा समय में अध्यक्ष सहित जो चार सदस्य हैं उन पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी राजनीतिक मजबूरियों के कारण कैसे कैसे व्यक्तियों को आयोग के महत्वपूर्ण सदस्य के पद पर नियुक्त किया है। अध्यक्ष सहित चार सदस्यों में दो महिलाएं हैं। ऐसा नहीं कि पुरुषों के मुकाबले में महिलाएं योग्य नहीं होती है। कई बार तो महिलाओं की योग्यता ज्यादा अच्छी होती है। लेकिन आयोग में नियुक्त दोनों महिला सदस्यों की नियुक्ति का आधार स्वयं की योग्यता से ज्यादा पतियों की योग्यता है। सब जानते हैं कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी को पप्पू की संज्ञा सबसे पहले सुप्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास ने ही दी थी। कवि मंचों पर कुमार विश्वास सबसे ज्यादा कांग्रेस पार्टी का मजाक उड़ाते थे, लेकिन जब से कुमार विश्वास की पत्नी श्रीमती मंजू शर्मा को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बनाया है, तब से कुमार विश्वास ने राहुल गांधी को पप्पू कहना छोड़ दिया है। अब कवि मंचों से कांग्रेस की आलोचना भी नहीं की जाती। कुमार विश्वास का यह बदला रुख इसलिए कि उनकी पत्नी राजस्थान में भर्ती परीक्षा लेने वाली सबसे बड़ी संस्था की सम्मानित सदस्य हैं। सरकार की ओर से कवि की पत्नी को सरकारी बंगले से लेकर मोटी तनख्वाह तक दी जाती है। इसी प्रकार श्रीमती संगीता आर्य को आयोग का सदस्य तब बनाया गया, जब उनके पति निरंजन आर्य प्रदेश के मुख्य सचिव थे। प्रदेश के प्रशासनिक तंत्र में सबसे बड़ा पद मुख्य सचिव का होता है। मुख्य सचिव की पत्नी को आयोग का सदस्य क्यों बनाया यह तो सीएम अशोक गहलोत ही बता सकते हैं। सीएम गहलोत आईएएस निरंजन आर्य पर भी इतने मेहरबान रहे कि 10 आईएएस की वरिष्ठता को लांघ कर पहले मुख्य सचिव बनाया और रिटायरमेंट के बाद अब अपना सलाहकार भी बना रखा है। इतनी मेहरबानियों के बाद निरंजन आर्य ने किस नजरिए के साथ मुख्य सचिव के पद पर कार्य किया होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। किसी शिक्षाविद् और विषय विशेषज्ञ के मुकाबले में कुमार विश्वास और निरंजन आर्य की पत्नियों की योग्यता के बारे में सरकार की जवाबदेह है। गत वर्ष ही गहलोत सरकार ने एक मात्र पुस्तक के लेखक जसवंत राठी को भी आयोग का सदस्य नियुक्त किया। कहा जा रहा है कि राठी की नियुक्ति भी राजनीतिक मजबूरियों के चलते ही हुई है। अलबत्ता आईपीएस संजय श्रोत्रिय अपने दम पर आयोग का संचालन करने के लिए संघर्षरत हैं। सीएम गहलोत को सदस्य की नियुक्ति करने में आयोग की गरिमा का कुछ तो ख्याल रखना ही चाहिए। राजस्थान लोक सेवा आयोग जैसी संवैधानिक संस्थान का मान सम्मान भी आयोग में नियुक्त होने वाले सदस्यों से ही होता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (26-12-2022)
S.P.MITTAL BLOGGER (26-12-2022)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511
No comments:
Post a Comment