गत लोकसभा चुनाव में अजरमे से चार लाख मतों से हारने वाले कांग्रेस प्रत्याशी और भीलवाड़ा के कपड़ा उद्योगपति रिजु झुनझुनवाला ने 7 दिसंबर को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि चुनाव हारने के बाद झुनझुनवाला की अजमेर कांग्रेस में कोई बकत नहीं थी, लेकिन फिर भी उन्होंने अपना इस्तीफा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े को भेजा है। यदि यह इस्तीफा राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेजा जाता तो थोड़ी बहुत मान मनोवल्ल की संभावना थी, लेकिन खडग़े तो यही पता नहीं होगा कि अजमरे कहां है? झुनझुनवाला ने जब लोकसभा चुनाव का नामांकन दाखिल किया था, तब कहा कि मैं अजमेर का नागरिक ही रहूंगा। जब चार लाख मतों से चुनाव हार गए, तब कहा कि मैं अजमेर की सेवा करता हंूगा। पिछले साढ़े तीन वर्ष में झुनझुनवाला पांच बार भी अजमेर नहीं आए। जो नेता अजमेर ही नहीं आया हो, उसके इस्तीफे से कांग्रेस पर क्या फर्क पड़ता है? यह सही है कि उद्योगपति झुनझुनवाला ने अपनी औद्योगिक इकाई के सीएसआर फंड से अजमेर में कुछ सक्रियता दिखाई, लेकिन इस फंड के मजे झुनझुनवाला के कुछ कांग्रेसियों ने लिए। पिछले साढ़े तीन वर्ष में झुनझुनवाला को कांग्रेस में कोई महत्व नहीं मिला। ऐसे में उनका कांग्रेस छोड़ना लाजमी था।
धर्मेन्द्र राठौड़ भी भागेंगे:
जिस तरह झुनझुनवाला ने अचानक अजमेर और कांग्रेस से पलायन किया है, इसी तरह एक दिन कांग्रेस नेता धर्मेन्द्र राठौड़ भी भाग जाएंगे। झुनझुनवाला भी अजमेर का सांसद बनने भीलवाड़ा से आए थे और धर्मेन्द्र राठौड़ भी पुष्कर का विधायक बनने के लिए जयपुर से आए हैं। कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर पुष्कर से चुनाव लड़ने के लिए राठौड़ इन दिनों ऐसी सक्रियता दिखा रहे हैं जिसमें अजमेर के स्थायी कांग्रेसी भी पीछे छूट गए है। झुनझुनवाला के नोटों की बोरियां थी तो राठौड़ के पास राजस्थ्ज्ञान पर्यटन विकास निगम का अध्यक्ष पद है। यह अध्यक्ष राठौड़ को सीएम अशोक गहलोत की मेहरबानी से मिला है। अध्यक्ष के पद ने राठौड़ को राज्यमंत्री का दर्जा भी दिलवा रखा है। मंत्री पद का सारा रोब अजमेर और पुष्कर में दिखाया जा रहा है। अजमेर के लोगों को आसमान से तारे लाने वाले वादे भी किए जा रहे हैं। राठौड़ उस पुष्कर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे को लालायित है, जिस की विधायक श्रीमती नसीम अख्तर रह चुकी है। नसीम मौजूदा समय में प्रदेश कांग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष हैं और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की मेहरबानी से भारत जोड़ों यात्रा में राहुल गांधी के साथ कदम ताल कर रही हैं। पहली बात तो नसीम अख्तर धर्मेन्द्र राठौड़ को कांग्रेस का टिकट ही नहीं लेने देंगी, लेकिन यह सीएम अशोक गहलोत की दखल से राठौड़ टिकट ले भी आए तो उन्हें विधायक नहीं बनने दिया जाएगा। नसीम के पति इंसाफ अली राजनीति के उस्ताद हैं। लोकसभा चुनाव के बाद जो हश्र झुनझुनवाला का हुआ है, वही हश्र विधानसभा चुनाव के बाद धर्मेन्द्र राठौड़ का होगा। झुनझुनवाला ने तो पलायन करने में साढ़े तीन वर्ष लगा दिए, लेकिन राठौड़ तो तीन माह ही बोरिया बिस्तर समेट लेंगे। असल में जो लोग बाहर से अजमेर आते हैं, उनका पलायन ऐसे ही होता है।
धर्मेन्द्र राठौड़ भी भागेंगे:
जिस तरह झुनझुनवाला ने अचानक अजमेर और कांग्रेस से पलायन किया है, इसी तरह एक दिन कांग्रेस नेता धर्मेन्द्र राठौड़ भी भाग जाएंगे। झुनझुनवाला भी अजमेर का सांसद बनने भीलवाड़ा से आए थे और धर्मेन्द्र राठौड़ भी पुष्कर का विधायक बनने के लिए जयपुर से आए हैं। कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर पुष्कर से चुनाव लड़ने के लिए राठौड़ इन दिनों ऐसी सक्रियता दिखा रहे हैं जिसमें अजमेर के स्थायी कांग्रेसी भी पीछे छूट गए है। झुनझुनवाला के नोटों की बोरियां थी तो राठौड़ के पास राजस्थ्ज्ञान पर्यटन विकास निगम का अध्यक्ष पद है। यह अध्यक्ष राठौड़ को सीएम अशोक गहलोत की मेहरबानी से मिला है। अध्यक्ष के पद ने राठौड़ को राज्यमंत्री का दर्जा भी दिलवा रखा है। मंत्री पद का सारा रोब अजमेर और पुष्कर में दिखाया जा रहा है। अजमेर के लोगों को आसमान से तारे लाने वाले वादे भी किए जा रहे हैं। राठौड़ उस पुष्कर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे को लालायित है, जिस की विधायक श्रीमती नसीम अख्तर रह चुकी है। नसीम मौजूदा समय में प्रदेश कांग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष हैं और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की मेहरबानी से भारत जोड़ों यात्रा में राहुल गांधी के साथ कदम ताल कर रही हैं। पहली बात तो नसीम अख्तर धर्मेन्द्र राठौड़ को कांग्रेस का टिकट ही नहीं लेने देंगी, लेकिन यह सीएम अशोक गहलोत की दखल से राठौड़ टिकट ले भी आए तो उन्हें विधायक नहीं बनने दिया जाएगा। नसीम के पति इंसाफ अली राजनीति के उस्ताद हैं। लोकसभा चुनाव के बाद जो हश्र झुनझुनवाला का हुआ है, वही हश्र विधानसभा चुनाव के बाद धर्मेन्द्र राठौड़ का होगा। झुनझुनवाला ने तो पलायन करने में साढ़े तीन वर्ष लगा दिए, लेकिन राठौड़ तो तीन माह ही बोरिया बिस्तर समेट लेंगे। असल में जो लोग बाहर से अजमेर आते हैं, उनका पलायन ऐसे ही होता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (08-12-2022)
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