हालांकि पठान फिल्म के निर्देशक सिद्धार्थ आनंद और प्रोड्यूसर आदित्य चोपड़ा हैं, लेकिन यह फिल्म अभिनेता शाहरुख खान की रणनीति पर बनी है। शाहरुख ने अपनी रणनीति के तहत अभिनेत्री दीपिका पादुकोण का जमकर एक्सपोज़ किया है। ये वही शाहरुख खान है जिन्हें भारत में रहने से डर लगता है और यह वही दीपिका पादुकोण है जिन्होंने दिल्ली के जेएनयू कैम्पस में जाकर टुकड़े गैंग का समर्थन किया। दोनों की मानसिकता एक जैसी ही है, इसलिए हल्के नारंगी रंग के कपड़ों में दीपिका ने शाहरुख खान के साथ अश्लीलता का प्रदर्शन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। नारंगी रंग वाले कपड़ों में दीपिका ने शाहरुख के साथ जो गाना फिल्माया है, उसका नाम बेशर्म रंग हैं। बेशर्मी तो दीपिका और शाहरुख ने दिखाई है, लेकिन बदनाम नारंगी रंग को किया है। आजादी के बाद से ही मुंबई में ऐसी फिल्में बन रही है, जिसमें भारत की सनातन संस्कृति को टारगेट किया जाता है। सवाल उठता है कि पठान फिल्म के बेशर्म रंग वाले गाने में दीपिका को हरे या लाल रंग के टुकड़े नुमा कपड़े क्यों नहीं पहनाए गए? नारंगी रंग वाले कपड़े पहना कर शाहरुख ने दीपिका के अंगों के साथ जो छेड़छाड़ की है उसे रणवीर सिंह जैसा पति ही बर्दाश्त कर सकता है। पठान फिल्म में बेशर्म रंग का गाना दिखा गया है, लेकिन बेशर्म तो दीपिका के पति रणवीर सिंह है जो अपनी पत्नी की बेशर्मी पर चुप हैं। माना कि दीपिका और शाहरुख खान फिल्मी कलाकार हैं, लेकिन ऐसे कलाकारों को भी अपने देश की संस्कृति का ख्याल रखना चाहिए। सब जानते हैं कि शाहरुख खान का बेटा आर्यन नशेड़ी है। शाहरुख को कुछ तो ऊपर वाले से डरना चाहिए। यह माना की नारंगी रंग के प्रति उनकी अकीदत नहीं है, लेकिन उन्हें दूसरे की श्रद्धा वाले रंग का अश्लीलता का प्रदर्शन भी नहीं करना चाहिए। पठान फिल्म को तैयार करने वाले सिद्धार्थ आनंद और आदित्य चोपड़ा माने या नहीं लेकिन इस फिल्म में शाहरुख और दीपिका ने अधिकांश देशवासियों को चिढ़ाने वाला प्रदर्शन किया है। दीपिका भी शाहरुख की रणनीति का हिस्सा बनी है। दीपिका ने शाहरुख के साथ पठान फिल्म में अपने शरीर की नुमाइश जानबूझकर की है। एक गाने से ही फिल्म का अंदाजा लगाया जा सकता है। अभी तो गाने के तौर पर फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया है। पूरी फिल्म 14 जनवरी के बाद रिलीज होगी। एक गाने के कुछ अश्लील दृश्यों पर विवाद हो रहा है। चूंकि दीपिका पादुकोण टुकड़े टुकड़े गैंग की समर्थक रही हैं, इसलिए उन्हें पठान फिल्म का बॉयकॉट कर ही सबक सिखाया जा सकता है। अंगों का प्रदर्शन करना कोई कलाकारी नहीं होती है। जब फिल्म फ्लॉप हो जाएगी तो शाहरुख और दीपिका को भी समझ आ जाएगी। दर्शकों ने पहले भी ऐसी कई फिल्मों को कबाड़ में पटकवाया है। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में विचारों की अभिव्यक्ति का अधिकार है, लेकिन एक सभ्य समाज में अभिव्यक्ति के नाम पर अश्लीलता नहीं परोसी जा सकती।
S.P.MITTAL BLOGGER (15-12-2022)
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