किसी भी राज्य में जब कोई विधायक मुख्यमंत्री बन जाता है तो उसका पहला प्रयास यही होता है कि विधानसभा का अध्यक्ष उसके ही भरोसे का बने। हालांकि अध्यक्ष का पद निष्पक्ष और संवैधानिक होता है, लेकिन मुख्यमंत्री की सरकार को टिकाए रखने और मजबूती देने में विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका कई बार देखी गई है। सब जानते हैं कि राजस्थान में अशोक गहलोत को ही मुख्यमंत्री बनाए रखने के लिए गत 25 सितंबर को कांग्रेस के 91 विधायकों ने सामूहिक इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को सौंप दिया था। यदि सीपी जोशी भरोसे के नहीं होते तो अब तक अशोक गहलोत सरकार गिर जाती। इस्तीफे स्वीकार करने का मतलब भी सरकार का गिर जाना है। लेकिन सामूहिक इस्तीफे वाला पत्र कहां है तथा उस पर अब तक क्या कार्यवाही हुई, यह बात सिर्फ सीपी जोशी ही जानते हैं। अब कहा जा रहा है कि विधायकों ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। इस्तीफा देना और फिर चुपचाप वापस लेना, तभी संभव है जब अध्यक्ष अपने भरोसे का हो। यदि सचिन पायलट के भरोसे वाले विधायक राकेश पारीक विधानसभा अध्यक्ष होते तो 25 सितंबर की रात को ही इस्तीफा मंजूर हो जाते। लेकिन सीपी जोशी अध्यक्ष है, इसलिए इस्तीफो को संभाल कर रखा गया। 25 सितंबर को जिस प्रकार पत्र सौंपा, उसी प्रकार तीन माह बाद इस्तीफे वाला पत्र वापस भी लिया जा रहा है। विधानसभा सचिवालय के सूत्रों का कहना है कि किसी भी विधायक का इस्तीफा प्राप्त नहीं हुआ है। विधानसभा अध्यक्ष के पास इतने विशेषाधिकार हैं कि कोई भी व्यक्ति उनसे सवाल जवाब नहीं कर सकता है। वैसे भी अब जब मुख्यमंत्री पद का संकट टल गया है और अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से भी बच गए हैं, तब इस्तीफे वाला पत्र कोई मायने नहीं रखता है। ऐसा पत्र तो अब रद्दी की टोकरी में ही फेंका जाना चाहिए। लेकिन यदि 91 विधायकों के इस्तीफे वाला पत्र चुपचाप वापस हो जाता है तो विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के उस कथन का क्या होगा, जिसमें उन्होंने कहा कि मेरा फैसला भारत के संसदीय इतिहास में मिसाल बनेगा। जोशी ने यह बात भाजपा विधायकों के प्रतिनिधिमंडल से कही थी। सूत्रों की मानें तो अध्यक्ष के बिना किसी फैसले या निर्णय के ही इस्तीफे का पत्र वापस हो रहा है।
राज्यपाल की सलाह पर हुआ:
जनवरी में शुरू होने वाले बजट सत्र को लेकर 29 दिसंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की थी। सूत्रों के अनुसार मुलाकात में मिश्र ने 91 विधायकों के इस्तीफे के बारे में गहलोत को सलाह दी। इस सलाह पर ही इस्तीफे चुपचाप वापस लेने की रणनीति बनी। ताकि विधानसभा सत्र में कोई हंगामा नहीं हो। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस्तीफों को लेकर भाजपा विधायक राजेंद्र सिंह राठौड़ ने जो याचिका दायर की है उस पर दो जनवरी को हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। हाईकोर्ट कोई टिप्पणी करें, उससे पहले ही इस्तीफे वापस हो रहे हैं।
राज्यपाल की सलाह पर हुआ:
जनवरी में शुरू होने वाले बजट सत्र को लेकर 29 दिसंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की थी। सूत्रों के अनुसार मुलाकात में मिश्र ने 91 विधायकों के इस्तीफे के बारे में गहलोत को सलाह दी। इस सलाह पर ही इस्तीफे चुपचाप वापस लेने की रणनीति बनी। ताकि विधानसभा सत्र में कोई हंगामा नहीं हो। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस्तीफों को लेकर भाजपा विधायक राजेंद्र सिंह राठौड़ ने जो याचिका दायर की है उस पर दो जनवरी को हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। हाईकोर्ट कोई टिप्पणी करें, उससे पहले ही इस्तीफे वापस हो रहे हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (31-12-2022)
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