Saturday 27 March 2021

दिल्ली में एफ आई आर दर्ज होने का मतलब है राजस्थान में गहलोत सरकार को गिराने की दूसरी साजिश - गोविंद सिंह डोटासरा । तो क्या सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 और तीन निर्दलीय विधायक फिर दिल्ली जायेंगे ।अब समझ में आया डीबी गुप्ता को हटाकर राजीव स्वरूप को मुख्य सचिव क्यों बनाया गया था ।


राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने फोन टेपिंग के प्रकरण में दिल्ली में जो एफआईआर दर्ज करवाई है उसका मकसद राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को गिराने की दूसरी साजिश है। सब जानते हैं कि गत वर्ष जुलाई में सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 व तीन निर्दलीय विधायक जब दिल्ली गए थे तब गहलोत सरकार को गिराने की पहली साजिश बताया गया था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पायलट के नेतृत्व में एक बार फिर कांग्रेस के विधायक दिल्ली जा रहे हैं? क्या सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में अभी भी समझौता नहीं हुआ है? क्या सचिन पायलट अभी भी मुख्यमंत्री बनने के लिए दबाव बना रहे हैं? आखिर डोटासरा दिल्ली की एफआईआर को सचिन पायलट की पहली बगावत से क्यों जोड़ रहे हैं? यदि सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों से कोई खतरा नहीं है तो फिर डोटासरा को सरकार गिराने की साजिश क्यों नजर आ रही है? एफआईआर तो सिर्फ फोन टेपिंग को लेकर हुई है ऐसी एफआईआर का सरकार गिराने से क्या संबंध है? शेखावत की एफआईआर पर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच यदि जांच को आगे बढ़ाती है तो फोन टेपिंग की इजाजत देने वाले अधिकारी या फिर मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा जांच के घेरे में आ सकते हैं । इससे सरकार गिरने का कोई खतरा नहीं है। अशोक गहलोत की सरकार तो तभी गिरेगी जब सचिन पायलट गत वर्ष जुलाई माह जैसी बगावत करेंगे। इसमें कोई दो राय नहीं सचिन पायलट की बगावत के बारे में ज्यादा जानकारी डोटासरा को ही होगी। डोटासरा सीएम गहलोत के ना केवल भरोसेमंद मंत्री हैं, बल्कि सत्तारूढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं ऐसे डोटासरा को सरकार और संगठन की सारी जानकारी होती है। यदि सचिन पायलट फिर से बगावत कर रहे हैं तो इसे रोकने की जिम्मेदारी भी डोटासरा की ही है पायलट के समर्थकों की अपनी पीड़ा है, दिसंबर 2018 में मुख्यमंत्री का पद अशोक गहलोत ने हड़प लिया तो जुलाई 2020 में डोटासरा ने पायलट से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का पद भी छीन लिया। ऐसे में सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक क्या करेंगे यह डोटासरा ही अच्छी तरह जानते हैं इसलिए शायद शेखावत की एफआईआर को सरकार गिराने की साजिश से जोड़ा जा रहा है। सरकार गिराने की साजिश की बात कहने का मतलब सचिन पायलट पर अविश्वास प्रकट करना है । मौजूदा समय में गहलोत सरकार के पास 196 विधायकों में से 110 से भी ज्यादा का समर्थन प्राप्त है। भाजपा की 71 विधायक में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने पहले ही सेंध लगा रखी है, इसलिए भाजपा अपने विधायकों के दम पर सरकार गिराने की स्थिति में नहीं है।  
तो इसलिए बनाया राजीव स्वरूप को मुख्य सचिव :
गत वर्ष जब डीबी गुप्ता को हटाकर अचानक राजीव स्वरूप को प्रदेश का मुख्य सचिव बनाया गया था तो कई सवाल उठे थे । लेकिन अब फोन टेपिंग के प्रकरण से पता चला कि राजीव स्वरूप ने गृह सचिव की हैसियत से जो वफादारी की दिखाई उस कारण ही मुख्य सचिव के पद से नवाजा गया । क्योंकि ज्यादातर आईएएस लालची होते हैं इसलिए डीबी गुप्ता भी मुख्य सचिव के पद से हटाए जाने पर चुप रहे। अब सेवानिवृत्ति के बाद डीपी गुप्ता प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर कार्य कर रहे हैं । जानकारों की माने तो फोन टेपिंग की अनुमति गृह सचिव की हैसियत से राजीव स्वरूप ने ही दी थी इसलिए शेखावत ने एफआईआर में राजीव स्वरूप को भी आरोपी बनाया है । यदि राजीव स्वरूप की वफादारी नहीं होती तो पुलिस विभाग द्वारा टेप किए गए फोन की ऑडियो क्लिप मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा के पास नहीं पहुंचती । गहलोत के सबसे भरोसेमंद मंत्री शांति धारीवाल ने 17 मार्च को विधानसभा में स्वीकार किया कि ऑडियो क्लिप लोकेश शर्मा ने ही वायरल की है। धारीवाल ने भीलवाड़ा के अशोक सिंह व ब्यावर के भरत मालानी के फोन टेप करने की बात स्वीकारी है। शेखावत की एफआईआर के बाद राजीव स्वरूप की वफादारी की जरूरत और बढ़ गई है । हो सकता है कि अगले कुछ दिनों में राजीव स्वरूप को किसी सरकारी पद पर बैठा दिया जाए । फिलहाल आईएएस से सेवानिवृत्ति के बाद राजीव स्वरूप ठाले ही बैठे हैं । हालांकि गहलोत सरकार ने मुख्य सचिव के तौर पर राजीव स्वरूप का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव किया था लेकिन केन्द्र सरकार ने नामंजूर कर दिया । बाद में 10 आईएएस की वरिष्ठता को लांघ कर निरंजन आर्य को मुख्य सचिव बनाया गया । आर्य की पांचों अंगुलियां घी में तथा सिर कढ़ाही में है । इसे गहलोत सरकार की मेहरबानी ही कहा जाएगा कि आर्य की पत्नी श्रीमती संगीता आर्य को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बना रखा है ।
S.P.MITTAL BLOGGER (27-03-2021)
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