जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री रही महबूबा मुफ्ती का कहना है कि जिस प्रकार तालिबान के लड़ाकों ने लंबे संघर्ष के बाद अफगानिस्तान से अमरीका के सैनिकों को भगा दिया उसी प्रकार एक दिन भारतीय फौज को भी कश्मीर छोडऩा पड़ेगा। हालांकि यह कथन महबूबा के लिए मुंगेरीलाल के हसीन सपने जैसा हैं, लेकिन यदि कश्मीर पर तालिबानियों का कब्जा हो जाता है तो महबूबा मुफ्ती का क्या होगा? जो तालिबान अफगानिस्तान में लड़कियों के घरों से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा रहा है, क्या उस तालिबान के शासन में महबूबा कश्मीर में राजनीति कर पाएंगी? असल में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद कश्मीर घाटी में भी महबूबा का प्रभाव खत्म सा हो गया है, इसलिए सिर्फ मीडिया में बने रहने के लिए महबूबा ऐसे बयान देती रहती हैं, लेकिन इस बार तालिबानियों का समर्थन कर महबूबा ने आत्मघाती निर्णय ले लिया है। जब पूरी दुनिया अफगानिस्तान में महिलाओं की दुर्दशा को लेकर चिंतित हैं, तब महिला होते हुए भी महबूबा को तालिबानियों का राज अच्छा लग रहा है। तालिबानियों के जुल्मों से तंग आकर अफगानिस्तान से मुस्लिम महिलाएं भी भारत आ रही हैं ऐसे में तालिबान का समर्थन कर महबूबा ने महिलाओं के जख्मों पर नमक छिड़का है। यदि तालिबानियों से इतना ही प्रेम है तो महबूबा को कुछ दिनों के लिए अफगानिस्तान में रहना चाहिए। महबूबा को भारत और अफगानिस्तान में फर्क पता चल जाएगा।
इसलिए जरूरी है सीएए:
देश में जब नागरिकता संशोधन कानून लाया गया, तब कांग्रेस सहित अनेक राजनीतिक दलों ने विरोध किया। दिल्ली के शाहीन बाग में लगे बेमियादी धरने पर राजनीतिक दलों के नेता भी पहुंचे और सीएए कानून का विरोध किया, लेकिन अफगानिस्तान के ताजा हालातों से सीएए का महत्व समझा जा सकता है। अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाले मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन ने घोषणा कर दी है कि शरीयत के तहत शासन चलेगा। पुरुषों को दाढ़ी बढ़ानी होगी तो महिलाओं पर अनेक पाबंदियां होंगी। पिछले 15 दिनों से तालिबान जिस तरीके से शासन कर रहा है उसका खबरें अखबारों और न्यूज चैनलों पर देखने को मिल रही है। ऐसे में अफगानिस्तान में रह रहे हिन्दू और सिक्ख परिवार भी दहशत में है। यही वजह है कि ऐसे हिन्दू और सिक्ख परिार सब कुछ छोड़कर भारत में आ रहे हैं। हिन्दू सिक्ख परिवारों को पता है कि तालिबान के शासन में अफगानिस्तान में नहीं रहा जा सकता है। ऐसे हिन्दू सिक्ख शरणार्थियों को ही सीएए कानून में भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। सवाल उठता है कि तालिबान से प्रताडि़त हिन्दू सिक्ख परिवार आखिर कहां जाए? क्या ऐसे सिक्ख-हिन्दू परिवारों को तालिबानियों के भरोसे छोड़ दिया जाए? इन सवालों का जवाब उन लोगों को देना चाहिए जो सीएए कानून का विरोध करते हैं। पूरी दुनिया देख रही है कि भारत में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को तो ला ही रही है, साथ ही मुस्लिम परिवारो को सुरक्षित लाया जा रहा है। मुस्लिम परिवार भी काबुल एयरपोर्ट पर भारतीय अधिकारियों के समक्ष मिन्नतें कर रहे हैं। सीएए का विरोध करने वाले देख लें कि बिना किसी भेदभाव के मुस्लिम परिवारों को भी भारत लाया जा रहा है। भारतीय वायुसेना ने अफगानिस्तान से लोगों को निकालने का बहुत बड़ा अभियान चला रखा है। सिक्ख हिन्दू परिवार ही नहीं बल्कि मुस्लिम परिवार भी भारत में सुकून महसूस कर रहे हैं। अफगानिस्तान के मुस्लिम परिवारों को आज सबसे ज्यादा सुरक्षित देश भारत की लग रहा है। जबकि पड़ौस में पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे मुस्लिम राष्ट्र हैं। जिन लोगों ने शाहीन बाग पर धरना दिया वे बताएं कि क्या हिन्दू सिक्ख परिवारों को तालिबान के भरोसे अफगानिस्तान में छोड़ दिया जाए? यह भारत सरकार की कूटनीति ही है कि भारतीयों को बड़ी संख्या में तालिबान के चंगुल से निकाल कर लाया जा रहा है।
सिद्धू के बयान देश विरोधी?:
अफगानिस्तान के ताजा हालातों के मद्देनजर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने अपनी ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को नसीहत दी है कि वे कश्मीर और पाकिस्तान पर कोई बयानबाजी नहीं करें, क्योंकि ऐस बयान से देश का माहौल खराब होता है। मालूम हो कि सिद्धू अक्सर पाकिस्तान के समर्थन में बयान देते हैं। पंजाब में अगले वर्ष मार्च माह में विधानसभा के चुनाव होने हैं। सिद्धू के पाकिस्तान समर्थक बयानों से कांग्रेस पार्टी को नुकसान हो सकता है। इसलिए मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने सिद्धू को बयानबाजी से रोका है, लेकिन सवाल उठता है क्या सिद्धू देश विरोधी बयान देते हैं।
इसलिए जरूरी है सीएए:
देश में जब नागरिकता संशोधन कानून लाया गया, तब कांग्रेस सहित अनेक राजनीतिक दलों ने विरोध किया। दिल्ली के शाहीन बाग में लगे बेमियादी धरने पर राजनीतिक दलों के नेता भी पहुंचे और सीएए कानून का विरोध किया, लेकिन अफगानिस्तान के ताजा हालातों से सीएए का महत्व समझा जा सकता है। अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाले मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन ने घोषणा कर दी है कि शरीयत के तहत शासन चलेगा। पुरुषों को दाढ़ी बढ़ानी होगी तो महिलाओं पर अनेक पाबंदियां होंगी। पिछले 15 दिनों से तालिबान जिस तरीके से शासन कर रहा है उसका खबरें अखबारों और न्यूज चैनलों पर देखने को मिल रही है। ऐसे में अफगानिस्तान में रह रहे हिन्दू और सिक्ख परिवार भी दहशत में है। यही वजह है कि ऐसे हिन्दू और सिक्ख परिार सब कुछ छोड़कर भारत में आ रहे हैं। हिन्दू सिक्ख परिवारों को पता है कि तालिबान के शासन में अफगानिस्तान में नहीं रहा जा सकता है। ऐसे हिन्दू सिक्ख शरणार्थियों को ही सीएए कानून में भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। सवाल उठता है कि तालिबान से प्रताडि़त हिन्दू सिक्ख परिवार आखिर कहां जाए? क्या ऐसे सिक्ख-हिन्दू परिवारों को तालिबानियों के भरोसे छोड़ दिया जाए? इन सवालों का जवाब उन लोगों को देना चाहिए जो सीएए कानून का विरोध करते हैं। पूरी दुनिया देख रही है कि भारत में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को तो ला ही रही है, साथ ही मुस्लिम परिवारो को सुरक्षित लाया जा रहा है। मुस्लिम परिवार भी काबुल एयरपोर्ट पर भारतीय अधिकारियों के समक्ष मिन्नतें कर रहे हैं। सीएए का विरोध करने वाले देख लें कि बिना किसी भेदभाव के मुस्लिम परिवारों को भी भारत लाया जा रहा है। भारतीय वायुसेना ने अफगानिस्तान से लोगों को निकालने का बहुत बड़ा अभियान चला रखा है। सिक्ख हिन्दू परिवार ही नहीं बल्कि मुस्लिम परिवार भी भारत में सुकून महसूस कर रहे हैं। अफगानिस्तान के मुस्लिम परिवारों को आज सबसे ज्यादा सुरक्षित देश भारत की लग रहा है। जबकि पड़ौस में पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे मुस्लिम राष्ट्र हैं। जिन लोगों ने शाहीन बाग पर धरना दिया वे बताएं कि क्या हिन्दू सिक्ख परिवारों को तालिबान के भरोसे अफगानिस्तान में छोड़ दिया जाए? यह भारत सरकार की कूटनीति ही है कि भारतीयों को बड़ी संख्या में तालिबान के चंगुल से निकाल कर लाया जा रहा है।
सिद्धू के बयान देश विरोधी?:
अफगानिस्तान के ताजा हालातों के मद्देनजर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने अपनी ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को नसीहत दी है कि वे कश्मीर और पाकिस्तान पर कोई बयानबाजी नहीं करें, क्योंकि ऐस बयान से देश का माहौल खराब होता है। मालूम हो कि सिद्धू अक्सर पाकिस्तान के समर्थन में बयान देते हैं। पंजाब में अगले वर्ष मार्च माह में विधानसभा के चुनाव होने हैं। सिद्धू के पाकिस्तान समर्थक बयानों से कांग्रेस पार्टी को नुकसान हो सकता है। इसलिए मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने सिद्धू को बयानबाजी से रोका है, लेकिन सवाल उठता है क्या सिद्धू देश विरोधी बयान देते हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (23-08-2021)
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