Thursday, 5 June 2025
प्रोफेसर भगवती प्रसाद सारस्वत किसी विश्वविद्यालय के कुलपति (कुलगुरु) तो 10 वर्ष पहले ही बन सकते थे। कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु की नियुक्ति का मामला
241 कॉलेज और 3 लाख विद्यार्थियों वाले कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु का पद प्रोफेसर भगवती प्रसाद सारस्वत 7 नजू को सायं चार बजे संभाल लेंगे। सत्तारूढ़ भाजपा के दिग्गज नेता प्रोफेसर सारस्वत ही कुलगुरु के पद पर नियुक्त 5 जून को राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने की है। विश्वविद्यालयों में नियुक्तियां राजनीतिक नजरिए से ही होती है, इसलिए स्वाभाविक है कि प्रो. सारस्वत की नियुक्ति में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सहमति रही। इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रो. सारस्वत भाजपा के प्रभावशाली नेता होने के साथ साथ योग्य शिक्षाविद् भी हैं। मैं सारस्वत को तब से जानता हंू जब वे ब्यावर के कॉलेज में शिक्षक थे और तब भी हिंदुत्व के लिए सक्रिय थे। ब्यावर क्षेत्र के चीता मेहरात बाहुल्य गांवों में धर्म परिवर्तन न हो इसके लिए सारस्वत को कई बार संघर्ष भी करना पड़ा। मुझे अच्छी तरह ध्यान है कि वर्ष 2013 में जब वसुंधरा राजे भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री बनी तब सारस्वत बड़ी आसानी से अजमेर स्थित एमडीएस यूनिवर्सिटी या अन्य किसी यूनिवर्सिटी के कुलपति बन सकते थे, लेकिन तब राजे ने सारस्वत का उपयोग भाजपा संगठन के लिया किया। चूंकि यूनिवर्सिटी के शिक्षक राजनीति में खुलकर भाग ले सकते हैं, इसलिए प्रो. सारस्वत को एमडीएस यूनिवर्सिटी के वाणिज्य संकाय का डीन होते हुए अजमरे देहात भाजपा का जिला अध्यक्ष भी बना दिया। सीएम वसुंधरा राजे को प्रो. सारस्वत की योग्यता का पता था, इसलिए राज्य स्तरीय बीएचटी और बीएड जैसी प्री परीक्षा की जिम्मेदारी प्रो. सारस्वत को दी गई। वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री रहते हुए राजनीति में प्रो. सारस्वत का जबरदस्त रुतबा था। उस समय सारस्वत चाहते तो किसी भी विश्वविद्यालय के कुलपति बन सकते थे। प्रो. सारस्वत की उम्र अभी 65 वर्ष है, यानी वे कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु के पद पर निर्धारित तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा करेंगे। कुलगुरु के पद पर 70 वर्ष तक काम किया जा सकता है। सारस्वत ने प्रदेश स्तर पर भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने का काम भी किया है। चूंकि सारस्वत के संबंध मौजूदा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से भी अच्छे रहे इसलिए उन्हें कोटा विश्वविद्यालय का कुलगुरु नियुक्त किया गया है। यह अच्छी बात है कि राजस्थान के किसी शिक्षाविद को ही कुलगुरु के पद पर नियुक्ति मिली है। इससे पहले राज्यपाल रहे कल्याण सिंह और कलराज मिश्र के कार्यकाल में राजस्थान के अधिकांश विश्वविद्यालयों में उत्तर प्रदेश के कुलपतियों की नियुक्तियां हुई। कलराज मिश्र तो इतने होशियार राज्यपाल थे कि उन्होंने कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी अपने प्रदेश के शिक्षाविदों की सिफारिश करवा दी। मोबाइल नंबर 9414007655 पर नवनियुक्त कुलगुरु प्रो. सारस्वत को बधाई दी जा सकती है।
S.P.MITTAL BLOGGER (06-06-2025)
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