Monday, 30 June 2025
चारणों और राजपूत राजाओं के बीच कारोबारी रिश्ते रहे। गुजरात के चारण व्यापारी ने महाराणा प्रताप को एक नहीं तीन घोड़े दिए। 500 घोड़े उदयपुर महाराणा को भी। पाबू जी महाराज का घोड़ा भी चारण माता देवल का। राजपूत ठिकानों की वंशावली लिखने का काम चारणों ने कभी नहीं किया-मदनदान, रिटायर आरपीएस।
22 जून को अजमेर के निकट नांद गांव में गोयंद दासोत जोधा राठौड़ राजपूतों का एक सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन को लेकर मैंने गत 23 जून को 11 हजार 695 वां ब्लॉग लिखा। सम्मेलन में वक्ताओं के हवाले से ब्लॉग में लिखा गया कि राजपूत ठिकानों के इतिहास और वंशावली लिखने का काम अब राजपूत समाज के युवाओं को करना चाहिए। पूर्व में यह काम चारण विद्वानों द्वारा किया गया। मेरे इस ब्लॉग पर सेवा निवृत्त आरपीएस ओर चारण विद्वान मदन दान सिंह सहित कई चारणों ने ऐतराज जताया। ऐतराज में कहा गया कि चारणों ने कभी भी राजपूत ठिकानों की वंशावली का लेखन नहीं किया। वंशावली लिखने का काम राव, भाट आदि समुदाय के विद्वानों ने किया। आजकल धार्मिक स्थलों पर भी परिवारों की वंशावली लिखी जाती है। चारण विद्वानों ने इतिहास, समालोचना, साहित्य सर्जन, भक्ति रस, शृंगार रस, वीर रस पर तब की परिस्थितियों के अनुरूप लिखा। चारणों और राजपूत राजाओं के बीच आमतौर पर कारोबारी संबंध रहे। चूंकि चारण पशु पालन के कार्य से जुड़े रहे, इसलिए राजपूत राजाओं को युद्ध के लिए घोड़े उपलब्ध करवाने का काम भी चारणों ने किया। गुजरात के एक चारण व्यापारी ने महाराणा प्रताप को तीन घोड़े उपलब्ध करवाए। आमतौर पर इतिहास में महाराणा प्रताप के चेतक घोड़े का ही उल्लेख होता है, लेकिन गुजरात के कारोबारी ने चेतक के साथ साथ त्राटक और अटक नाम के घोड़े भी महाराणा प्रताप को उपलब्ध करवाए। इनमें से त्राटक नाम का घोड़ा प्रताप ने अपने छोटे भाई शक्ति सिंह को दे दिया और चेतक का उपयोग स्वयं ने किया। इसके बदल में महाराणा ने गढ़वाड़ा और भामोल नाम के दो गांव भेंट किए। नरूजी सौदा बारहठ ने महाराणा उदयपुर को पांच सौ घोड़े उपलब्ध करवाए। इतना ही नहीं पाबूजी महाराज का घोड़ा भी चारण माता देवल द्वारा उपलबध् करवाया गया। मदनदान ने बताया कि चारण विद्वान अनेक उच्च पदों पर कार्यरत रहे और उन्हें जांगीरे भी मिली। शांतिकाल में राज्यों के प्रबंधन और युद्ध के समय सैनिक सामंत के तौर पर काम किया। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि कुछ लोग चारण समुदाय की बुद्धिमता और वीरता को कम आंक कर प्रस्तुत करते हैं। जबकि चारणों का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है। चारण समुदाय के लोग मौजूदा दौर में अपनी बुद्धिमता और मेहनत से उच्च प्रशासनिक पदों पर भी नियुक्त है। चारणों के इतिहास के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829072294 पर खानदान से ली जा सकती है। इसी प्रकार ब्रजराज सिंह लखावत ने भी स्पष्ट किया है कि चारण विद्वानों ने किसी भी राजपूत ठिकाने की वंशावली लिखने का काम नहीं किया। नांद गांव में राजपूतों का सम्मेलन करवाने वाले आरटीडीसी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ ने भी कहा है कि वंशावली लिखने का काम चारणों द्वारा नहीं किया गया। चारण विद्वानों ने राजपूत राजाओं के संघर्ष का इतिहास लिखा है।
S.P.MITTAL BLOGGER (30-06-2025)
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