Sunday, 29 June 2025
पीएम मोदी को जैन आचार्य प्रज्ञा सागर महाराज ने धर्म चक्रवर्ती की उपाधि से नवाजा, लेकिन साथ ही देश के सभी धार्मिक स्थलों को नशा मुक्त क्षेत्र और इंडिया गेट का नाम भारत द्वार घोषित करने की मांग की। ऑपरेशन सिंदूर कर बता दिया कि छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं।
28 जून को दिल्ली के विज्ञान भवन में जैन आचार्य विद्यानंद महाराज की 100वीं जयंती का ऐतिहासिक समारोह हुआ। इस समारोह में देश भर की जैन संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने तो भाग लिया ही, लेकिन साथ ही समारोह में प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और जैन आचार्य प्रज्ञासागर महाराज भी उपस्थित रहे। समारोह में बताया गया कि सुरेंद्र उपाध्याय से आचार्य विद्यानंद तक के सफर में आचार्य विद्यानंद ने जैन धर्म का व्यापक प्रचार प्रसार किया। उनकी विद्वता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें 18 भाषाओं का ज्ञान था। धर्म की बातों को सामान्य शब्दों में समझाने के लिए उन्होंने 150 ग्रंथ लिखे। पीएम मोदी ने कहा कि मेरा यह सौभाग्य रहा कि मुझे आचार्य विद्यानंद जी का मार्गदर्शन मिला। आज मैं जिस मुकाम पर खड़ा हूं उसमें आचार्य श्री का आशीर्वाद भी है। आचार्य श्री ने सेवा करने का जो ज्ञान दिया उसी के कारण आज देश में मेरी सरकार गरीबों को मुफ्त में राशन, मकान आदि सुविधाओं के साथ साथ अस्पतालों में इलाज भी करवा रही है। जरूरतमंद लोगों को पेंशन तक दी जा रही है। समारोह में जैन आचार्य प्रताप सागर ने पीएम मोदी को धर्म चक्रवर्ती की उपाधि से नवाजा तो मोदी ने कहा कि मैं स्वयं को इस उपाधि के योग्य नहीं समझता, लेकिन आचार्य श्री का प्रसाद समझ कर स्वीकार कर रहा हूं और इस उपाधि को मां भारती के चरणों में समर्पित करता हंू। आचार्य प्रज्ञा सागर ने कहा कि नरेंद्र मोदी को धर्म चक्रवर्ती इस लिए कहा जा रहा है कि उन्होंने जो काम किए हैं, वो आज तक किसी भी प्रधानमंत्री ने नहीं किए। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाकर मोदी ने जो काम किया उसे कोई नहीं कर सकता। मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर कर यह बताया दिया कि हमें कोई छेड़ेगा तो हम उसे छोड़ेंगे नहीं। इसके साथ ही आचार्य श्री ने पीएम मोदी से आग्रह किया कि देश भर के धार्मिक स्थलों को नशामुक्त क्षेत्र घोषित किया जाए। आचार्य श्री ने कहा कि दिल्ली के इंडिया गेट का नाम भारत द्वार किया जाए। इंडिया गेट अंग्रेजों के जमाने का नाम है। अब जब अंग्रेजों का शासन खत्म हुए 75 वर्ष हो गए है, तब गुलामी के ऐसे प्रतीकों को नाम भी बदला जाना चाहिए।
S.P.MITTAL BLOGGER (29-06-2025)
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