Tuesday 30 November 2021

दिल्ली की सीमाओं को अब जाम रखने की जरुरत नहीं। एमएसपी के लिए किसानों को तपस्या करने की जरुरत-रामपाल जाट किसान नेता।एक अनाज की कई किस्म, एमएसपी की गारंटी कैसे संभव-अमित गोयलन्यूज 18 चैनल पर हुई सार्थक बहस।

29 नवंबर को रात 8 बजे न्यूज-18 (राजस्थान) न्यूज़ चैनल के प्राइम टाइम लाव डिबेट के प्रोग्राम में जर्नलिस्ट ब्लॉगर के तौर पर मैं भी शामिल हुआ। प्रोग्राम के एंकर वरिष्ठ पत्रकार जेपी शर्मा चाहते थे कि डिबेट में भाग लेने वाले वक्ता कृषि कानूनों की वापसी के बाद किसान आंदोलन पर अपनी राय रखें। सबसे पहले राजस्थान के प्रमुख किसान नेता और किसान संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधि रामपाल जाट को बोलने का अवसर दिया। मुझे पता है कि जाट पिछले लंबे अर्से से किसानों की मांगों के लिए राजस्थान में संघर्ष कर रहे हैं। जाट ने भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की किसान विरोधी नीतियों की भी आलोचना की है। एक वर्ष पहले जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने कृषि सुधार कानून बनाए तो कानूनों का विरोध करने वालों में रामपाल जाट सबसे आगे थे। राजस्थान से जुड़ी दिल्ली की सीमा पर जाट ने जाम लगाया। जाट ने अपने किसान साथियों के साथ जो संघर्ष किया उसी का परिणाम रहा कि केंद्र सरकार को कानून वापस लेने पड़े। यही वजह रही कि जेपी शर्मा के प्रोग्राम में सभी की नजरें जाट की प्रतिक्रिया पर थी। जाट ने बेबाकी के साथ कहा कि जब कानून वापस हो गए हैं, तब दिल्ली की सीमाओं को जाम रखने की कोई जरूरत नहीं है। कानून वापसी को लेकर ही आंदोलन शुरू किया गया था और मांग पूरी हो गई है तो फिर आंदोलन जारी रखना उचित नहीं है। कोई किसान नहीं चाहता कि उसकी वजह से आम लोगों को परेशानी हो। मौजूदा समय में दिल्ली की सीमाओं पर जाम लगाए रखने से लाखों लोग परेशान हो रहे हैं। जहां तक एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर गारंटी का सवाल है तो इसके लिए हम लंबे अर्से से संघर्ष कर रहे हैं। पिछले 11 वर्षों से तो मैं स्वयं ही मांग करता आ रहा हंू। यह मांग यूपीए सरकार के समय से ही हो रही है। यह मांग किसानों के हित से जुड़ी है, इसलिए किसानों को तपस्या करनी होगी। और किसान में इतना सामर्थ्य है कि वह अपनी तपस्या से सरकार को झुका सकता है। जाट ने कहा कि एमएसपी पर गारंटी के लिए हमें अलग तरीके से आंदोलन करना पड़ेगा। रामपाल जाट के इस कथन के बाद बहस की कोई गुंजाइश नहीं थी क्योंकि जेपी शर्मा ने जो सवाल उठाया था उसका सही जवाब मिल गया। लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ता आरआर तिवारी को तो पार्टी लाइन पर ही बोलना था, इसलिए उन्होंने अपनी ऊंची आवाज में वो ही कहा जो राहुल गांधी और अशोक गहलोत कह रहे हैं। यानी राकेश टिकैत के नेतृत्व में किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठा रहे। वही इस प्रोग्राम में भाजपा के तेज तर्रार प्रवक्ता अमित गोयल ने महत्त्वपूर्ण मुद्दा रखा। गोपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चाहते हैं कि किसानों को उनकी लागत से ज्यादा का भुगतान मिले। इसलिए मोदी सरकार ने 22 प्रकार के खाद्यानों पर एमएसपी को बढाया है। सरकार अपने स्तर पर खाद्यानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रक्रिया को अपने स्तर पर मजबूत कर रही है, लेकिन सवाल यह भी है कि एमएसपी पर गारंटी कैसे दी जा सकती है। गारंटी देने का मतलब है कि निर्धारित मूल्य से कम में खरीद नहीं होगी। सरकार अच्छी क्वालिटी पर एमएसपी निर्धारित करती है, लेकिन हम देखते हैं कि बाजार में गेहूं की कई किस्म होती है। खुले बाजार में गेहूं 15 रुपए किलो भी मिलता है तो एमएसपी से अधिक 25 रुपए किलो में भी मिल रहा है। अच्छी क्वालिटी वाले गेहूं का मूल्य जब 25 रुपए मिल रहा है तो वह एमएसपी पर सस्ती दर में क्यों बेचेगा? इसी प्रकार 15 रुपए वाला गेहूं 22 रुपए में क्यों खरीदा जाएगा? गोयल ने कहा कि एमएसपी पर गारंटी देने से पहले ऐसे मुद्दों पर विचार विमर्श की जरूरत है। इस प्रोग्राम में मैंने किसान नेता रामपाल जाट की बात को ही आगे बढ़ाया। किसान आंदोलन के पीछे अनेक राजनीतिक दल हैं जो किसानों के कंधे पर बंदूक रख कर अपने स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (30-11-2021)
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