अशोक गहलोत मंत्रिमंडल के सभी तीस सदस्यों के नाम तय हो गए। इसके साथ ही गहलोत मंत्रिमंडल में अजमेर जिला का प्रतिनिधित्व खत्म हो गया है। केकड़ी के विधायक रघु शर्मा चिकित्सा मंत्री थे, लेकिन गुजरात का प्रभारी बनाए जाने के बाद रघु शर्मा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उम्मीद थी कि मसूदा के कांग्रेसी विधायक राकेश पारीक को मंत्री बनने का अवसर मिलेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिले में आठ में से दो ही कांग्रेस के विधायक हैं। राकेश पारीक की नजर अब संसदीय सचिव पद पर टिकी हुई है। यूं तो किशनगढ़ के निर्दलीय विधायक सुरेश टाक भी कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे हैं, लेकिन टाक को भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है। हालांकि टाक ने अपने पुत्र के विवाह का निमंत्रण देने के लिए 20 नवंबर को ही सीएम गहलोत से मुलाकात की थी। टाक ने गहलोत को तब भी कहा था कि उन्हें तो सिर्फ आपका भरोसा चाहिए, ताकि किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र का विकास हो सके। इस मुलाकात के बाद ही टाक का कहना रहा कि संसदीय सचिव बनने में उनकी कोई रुचि नहीं है। अलबत्ता अजमेर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनने का अवसर मिलता है तो वे जिम्मेदारी के साथ काम करेंगे। किशनगढ़ भी प्राधिकरण की सीमा में ही आता है। अलबत्ता सुरेश टांक इस बात से संतुष्ट है कि किशनगढ़ के विकास के लिए जो मांगा, वो मुख्यमंत्री गहलोत ने दिया है, इसलिए ग्रामीण विकास के साथ साथ किशनगढ़ शहर को भी स्मार्ट सिटी की तर्ज पर डेवलप किया जा रहा है।
रघु का दबदबा:
माना जा रहा है कि मंत्री नहीं रहने के बाद भी रघु शर्मा का अजमेर जिले में राजनीतिक दबदबा कायम रहेगा। अधिकारियों की पोस्टिंग रघु की सिफारिश पर ही होगी। गुजरात का प्रभारी बनाए जाने को रघु की कांग्रेस में पदोन्नति ही मानी जा रही है। रघु शर्मा मुख्यमंत्री गहलोत के भरोसे के हैं, इसलिए उन्हें गुजरात का प्रभारी बनाया गया है। राजनीतिक दृष्टि से भले ही रघु की पदोन्नति हुई हो, लेकिन अजमेर में रघु के समर्थक मायूस है। समर्थकों का कहना है कि अब रघु का अधिकांश समय गुजरात में बीतेगा। जबकि मंत्री होने पर रघु आए दिन केकड़ी में रहते थे। अधिकारियों की उपस्थिति में समर्थकों को रौब प्रकट करने का अवसर भी मिलता था। अब रघु जब अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में आएंगे, तब सरकारी कार भी नहीं होगी। 20 नवंबर को इस्तीफा मंजूर होते ही रघु शर्मा को भी सरकारी कार लौटानी पड़ी। रघु को अब इधर उधर से कार मांग कर ही काम चलाना पड़ेगा। यानी रघु का जो रुतबा मंत्री रहते था, वह अब देखने को नहीं मिलेगा। कई समर्थक और ठेकेदार प्रवृत्ति के लोग तो मंत्री पद के कारण ही रघु के साथ थे। मंत्री होने के कारण रघु की चिकित्सा विभाग में एक छत्र चलती थी, लेकिन अब शायद न चले। रघु के जन्मदिन पर अब चिकित्सा विभाग के अधिकारी अखबारों में विज्ञापन भी नहीं देंगे।
राठौड़ के समर्थक उत्साहित:
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बीज निगम के पूर्व अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ इन दिनों अजमेर जिले की राजनीति में सक्रिय हैं। राठौड़ की निगाह पुष्कर विधानसभा क्षेत्र पर लगी हुई है। यही वजह है कि अजमेर में राठौड़ के समर्थक उत्साहित है। चूंकि राठौड़ सीएम गहलोत के नजदीक हैं, इसलिए माना जा रहा है कि राजनीति नियुक्तियों में राठौड़ को अवसर मिलेगा। मंत्री का दर्जा मिल जाने के बाद राठौड़ का राजनीतिक दबाव बढ़ेगा। रघु शर्मा के गुजरात चले जाने से अजमेर की राजनीति में जो रिक्त स्थान हुआ है, उसे धर्मेन्द्र राठौड़ भर सकते हैं।
रघु का दबदबा:
माना जा रहा है कि मंत्री नहीं रहने के बाद भी रघु शर्मा का अजमेर जिले में राजनीतिक दबदबा कायम रहेगा। अधिकारियों की पोस्टिंग रघु की सिफारिश पर ही होगी। गुजरात का प्रभारी बनाए जाने को रघु की कांग्रेस में पदोन्नति ही मानी जा रही है। रघु शर्मा मुख्यमंत्री गहलोत के भरोसे के हैं, इसलिए उन्हें गुजरात का प्रभारी बनाया गया है। राजनीतिक दृष्टि से भले ही रघु की पदोन्नति हुई हो, लेकिन अजमेर में रघु के समर्थक मायूस है। समर्थकों का कहना है कि अब रघु का अधिकांश समय गुजरात में बीतेगा। जबकि मंत्री होने पर रघु आए दिन केकड़ी में रहते थे। अधिकारियों की उपस्थिति में समर्थकों को रौब प्रकट करने का अवसर भी मिलता था। अब रघु जब अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में आएंगे, तब सरकारी कार भी नहीं होगी। 20 नवंबर को इस्तीफा मंजूर होते ही रघु शर्मा को भी सरकारी कार लौटानी पड़ी। रघु को अब इधर उधर से कार मांग कर ही काम चलाना पड़ेगा। यानी रघु का जो रुतबा मंत्री रहते था, वह अब देखने को नहीं मिलेगा। कई समर्थक और ठेकेदार प्रवृत्ति के लोग तो मंत्री पद के कारण ही रघु के साथ थे। मंत्री होने के कारण रघु की चिकित्सा विभाग में एक छत्र चलती थी, लेकिन अब शायद न चले। रघु के जन्मदिन पर अब चिकित्सा विभाग के अधिकारी अखबारों में विज्ञापन भी नहीं देंगे।
राठौड़ के समर्थक उत्साहित:
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बीज निगम के पूर्व अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ इन दिनों अजमेर जिले की राजनीति में सक्रिय हैं। राठौड़ की निगाह पुष्कर विधानसभा क्षेत्र पर लगी हुई है। यही वजह है कि अजमेर में राठौड़ के समर्थक उत्साहित है। चूंकि राठौड़ सीएम गहलोत के नजदीक हैं, इसलिए माना जा रहा है कि राजनीति नियुक्तियों में राठौड़ को अवसर मिलेगा। मंत्री का दर्जा मिल जाने के बाद राठौड़ का राजनीतिक दबाव बढ़ेगा। रघु शर्मा के गुजरात चले जाने से अजमेर की राजनीति में जो रिक्त स्थान हुआ है, उसे धर्मेन्द्र राठौड़ भर सकते हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (21-11-2021)
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