Tuesday 16 November 2021

बिजली चोरी का दंड बार बार राजस्थान के उपभोक्ताओं को उठाना पड़ता है।आखिर विद्युत निगम बिजली चोरों को क्यों नहीं पकड़ता? क्या राजनीतिक संरक्षण में हो रही है बिजली चोरी।

राजस्थान में पहले ही देश में सबसे ज्यादा बिजली महंगी है। सरकार ने अब विद्युत निगमों के घाटे की भरपाई के लिए 33 पैसे प्रति यूनिट फ्यूल सरचार्ज लगाने की अनुमति दे दी है। इससे प्रदेश के 1 करोड़ 52 लाख बिजली उपभोक्ताओं को 550 करोड़ रुपए अधिक चुकाने होंगे। यानी अब बिजली के बिलों में और वृद्धि हो जाएगी। विद्युत निगमों के घाटे की भरपाई के लिए सरकार हर बार बिजली महंगी कर देती है। असल में विद्युत निगमों को घाटे का सबसे बड़ा कारण बिजली की चोरी होना है। ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बिजली की चोरी होती है। इस बिजली चोरी का दंड उपभोक्ताओं को उठाना पड़ता है। जानकारों की माने तो निगमों में इंजीनियरों की नियुक्ति राजनीतिक दखल की वजह से होती है। क्षेत्रीय विधायक और मंत्री अपने क्षेत्र में इंजीनियरों की नियुक्ति करवाते हैं। ऐसे इंजीनियर विधायकों और मंत्रियों के राजनीतिक हितों का संरक्षण करते हैं। स्वाभाविक है कि जब विधायकों और मंत्रियों के हितों का संरक्षण किया जाएगा तो इंजीनियर भी मालामाल होते हैं। सरकार हर बार बिजली चोरी रोकने के दावे करती है, लेकिन ऐसा होता नहीं है। बिजली चोरी के साथ साथ राजस्थान ऊर्जा विभाग में फैली अव्यवस्था भी उपभोक्ताओं पर प्रतिकूल असर डालती है। चूंकि अब बिजली निजी क्षेत्र में भी उपलब्ध है इसलिए कई बार बहुत सस्ती दर पर बिजली मिलती है। लेकिन राजस्थान में मिसमैनेजमेंट होने के कारण सस्ती दर की बिजली नहीं खरीदी जाती। जानकारों की मानें तो कई बार निजी क्षेत्र की कंपनियां बिजली को नि:शुल्क देने को तत्पर रहती है। चूंकि बिजली का स्टोर नहीं किया जा सकता, इसलिए जब निजी कंपनियों के पास सरप्लस बिजली होती है तो वे नि:शुल्क बिजली देने को तैयार रहते हैं। राजस्थान में अभी तक ऐसा कोई मैकेनिजम तैयार नहीं किया गया है, जिसके अंतर्गत बाजार का अध्ययन करने के बाद बिजली खरीद जाए। ऊर्जा विभाग के अधिकारी बड़ी कंपनियों को महंगी बिजली खरीदने का अनुबंध कर लेते हैं। जानकारों के अनुसार यदि ऊर्जा विभाग में व्यवस्थाएं सही हो तो राजस्थान को भी खुले बाजार से सस्ती बिजली मिल सकती है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (16-11-2021)
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