राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने गत दो नवंबर को जल्दबाजी में शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) का परिणाम तो घोषित कर दिया, लेकिन प्रदेशभर में बोर्ड की थू थू हो रही है। परिणाम को लेकर गलतियों पर गलतियां उजागर हो रही है। परीक्षा करवाने वाले शिक्षा बोर्ड के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि परीक्षार्थियों को ओएमआर शीट तक गलत दे दी गई। रीट की परीक्षा के दो लेवल बनाए गए। कक्षा 5 से 8 तक के लिए प्रथम तथा 9 से 12 तक के लिए द्वितीय लेवल निर्धारित किया गया। लेकिन बोर्ड ने परीक्षा केंद्र में प्रथम लेवल वाले परीक्षार्थियों को द्वितीय तथा द्वितीय लेवल वालों को प्रथम लेवल वाली ओएमआर शीट दे दी। इससे ओएमआर शीट पर उत्तर का गलत अंकन हो गया। अब बोर्ड ने ऐसे परेशान विद्यार्थियों से ऑनलाइन आपत्तियां मांगी है। आपत्तियां 13 नवंबर तक दर्ज करवानी है। गलत ओएमआर शीट देने से पूरे परीक्षा परिणाम पर ही प्रश्न चिन्ह लग गया है। ओएमआर शीट कंप्यूटर से जंची, इसलिए गोले के आधार पर ही अंक भी मिले। हजारों परीक्षार्थियों ने गलत ओएमआर शीट देने की शिकायत की है। इसी प्रकार बोर्ड ने रीट परीक्षा की जो उत्तर कुंजी जारी की है, वह भी दोषपूर्ण है। इस कुंजी में भी प्रश्नों के उत्तर गलत बता रखे हैं। बोर्ड की कुंजी के हिसाब से ही कम्प्यूअर ने परीक्षार्थियों को अंक दिए हैं। इस त्रुटि से परिणाम प्रभावित हुआ है। असल में बोर्ड ने रीट परीक्षा का सारा काम ठेके पर करवाया है। ओएमआर शीट के बंडलों की पैकिंग और कोड अंकित करने का काम भी ठेके पर दिया गया। ऐसे में परीक्षा के काम पर निगरानी नहीं हो सकी। जो शिक्षा बोर्ड परीक्षार्थियों को सही ओएमआर शीट और सही उत्तर कुंजी नहीं दे सकता, उसके परिणाम की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। सवाल उठता है कि क्या बोर्ड प्रशासन ठेकेदार फर्म पर कोई जुर्माना लगाएगा? परीक्षा से पूर्व रीट का प्रश्न पत्र आउट होने की खबरों पर बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारोली ने राजनेता के अंदाज में बयान दिए थे। तब एसओजी ने भी माना था कि प्रश्न पत्र आउट हुआ है। अभी भी एसओजी जांच कर रही है। लेकिन अब जब बोर्ड की ही गलतियां सामने आ रही है, तब बोर्ड अध्यक्ष जारोली की बोलती बंद है। बोर्ड ने भले ही परीक्षा परिणाम जारी कर दिया हो, लेकिन अधिकांश परीक्षार्थी परेशान हैं। अभी तक बीएड का परिणाम भी नहीं आया है। जो परीक्षार्थी रीट परीक्षा में उत्तीर्ण हो गए हैं, उनके लिए बीएड का परिणाम आना जरूरी है। यदि बीएड उत्तीर्ण की मार्कशीट नहीं लगाई जाती है तो अनेक अभ्यर्थी शिक्षक पद की नौकरी से वंचित हो जाएंगे। प्रश्न पत्रों के आउट होने और अन्य अनियमितताओं को लेकर हाईकोर्ट में भी मामला विचाराधीन है।
बीएसटीसी के अभ्यर्थी भी परेशान:
रीट परीक्षा को लेकर बीएसटीसी के अभ्यर्थी भी परेशान हो रहे हैं। अभ्यर्थियों का यह मामला जोधपुर स्थित हाईकोर्ट में विचाराधीन है। अभ्यर्थियों की मांग है कि रीट लेवल प्रथम में बीएड अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किया जाए। रीट प्रथम लेवल की परीक्षा में सिर्फ बीएसटीसी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को ही पात्र माना जाए। यदि बीएड अभ्यर्थियों को भी रीट लेवल प्रथम में पात्र माना जाता है तो बीएसटीसी के अभ्यर्थियों का चयन ही नहीं होगा। ऐसे में बीएसटीसी की डिग्री का कोई महत्व नहीं रहेगा।
बीएसटीसी के अभ्यर्थी भी परेशान:
रीट परीक्षा को लेकर बीएसटीसी के अभ्यर्थी भी परेशान हो रहे हैं। अभ्यर्थियों का यह मामला जोधपुर स्थित हाईकोर्ट में विचाराधीन है। अभ्यर्थियों की मांग है कि रीट लेवल प्रथम में बीएड अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किया जाए। रीट प्रथम लेवल की परीक्षा में सिर्फ बीएसटीसी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को ही पात्र माना जाए। यदि बीएड अभ्यर्थियों को भी रीट लेवल प्रथम में पात्र माना जाता है तो बीएसटीसी के अभ्यर्थियों का चयन ही नहीं होगा। ऐसे में बीएसटीसी की डिग्री का कोई महत्व नहीं रहेगा।
S.P.MITTAL BLOGGER (09-11-2021)
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