Thursday 9 September 2021

कैलाश मेघवाल को भाजपा का जितना नुकसान करना था उतना कर दिया। अब कांग्रेस के हाथ में विरोध का मुद्दा आ गया है।विधानसभा में चार विधेयक पेश। शोकाभिव्यक्ति के बाद सदन स्थगित। अब 13 सितम्बर को चलेगी विधानसभा।

9 सितंबर को भाजपा विधायक दल की बैठक और राजस्थान विधानसभा के पहले दिन की कार्यवाही शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गई। सरकार की ओर से चार विधेयक प्रस्तुत करने के बाद विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने पिछले दिनों दिवंगत हुए प्रदेश के पूर्व सांसदों और विधायकों को श्रद्धांजलि दी। हालांकि विधानसभा का पहले 10 सितम्बर को सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित किया था, लेकिन बाद में कार्यसमिति की बैठक में विधायकों ने गणेश चतुर्थी का हवाला देते हुए 10 सितंबर को विधानसभा स्थगित करने का प्रस्ताव रखा। इस पर विधानसभा अध्यक्ष जोशी ने सहमति जताई और विधानसभा को 13 सितंबर को प्रात: 11 बजे के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया। उल्लेखनीय है कि 11 और 12 सितंबर को शनिवार और रविवार होने के कारण विधानसभा का अवकाश रहता है। 9 सितंबर को विधानसभा में कोई हंगामा नहीं हुआ। इसी प्रकार भाजपा विधायक दल की बैठक भी शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गई। भाजपा के वरिष्ठ विधायक कैलाश मेघवाल ने 7 सितंबर को सार्वजनिक तौर पर घोषणा की थी कि 9 सितंबर को बैठक में भाजपा विधायक दल के नेता गुलाब चंद कटारिया के खिलाफ निंदा प्रस्ताव रखेंगे। लेकिन 8 सितम्बर को जयपुर में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह से मुलाकात के बाद मेघवाल ने निंदा प्रस्ताव नहीं रखने पर सहमति जताई। यही वजह रही कि 9 सितंबर को भाजपा विधायक दल की बैठक शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गई। लेकिन मेघवाल ने 7 सितंबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष को जो पत्र लिखा उससे भाजपा को जितना नुकसान होना था वह हो गया है। मेघवाल ने कटारिया को लेकर जो मुद्दे उठाए अब उन्हीं को आधार बनाकर कांग्रेस भाजपा पर हमलावर है। 9 सितंबर को ही परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि कैलाश मेघवाल के आरोपों से जाहिर है कि भाजपा कई गुटों में बंटी हुई है। भाजपा अब प्रदेश में विपक्ष की भूमिका भी नहीं निभा रही है। खाचरियावास ने कहा कि मेघवाल ने भाजपा विधायक दल के नेता कटारिया पर जो गंभीर आरोप लगाए हैं, उनकी जांच होनी चाहिए। क्या भाजपा में पैसे लेकर टिकट बांटे जाते हैं? खाचरियावास के तेवरों से साफ लग रहा था कि विधानसभा के मानसून सत्र में जब भाजपा सत्तारूढ़ कांग्रेस पर हमलावर होगी तो कांग्रेस के विधायक कैलाश मेघवाल द्वारा लगाए गए आरोपों को ही हथियार के तौर पर इस्तेमाल करेंगे। जानकार सूत्रों की माने तो मेघवाल के पत्र के पीछे पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे की भूमिका रही है। 8 सितंबर को भी राजे के समर्थक विधायक कालीचरण सराफ ने ही मेघवाल की मुलाकात राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह से करवाई। राजे समर्थक विधायकों को भी पता है कि मेघवाल के पत्र के बाद जितना नुकसान होना था, उतना हो गया है। अब यदि मेघवाल की मुलाकात अरुण सिंह होती है तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। राजे के समर्थक मानसून सत्र के दौरान अपनी रणनीति में सफल रहे हैं। राजे समर्थकों ने अपनी ही पार्टी के नेतृत्व पर तब सवाल खड़े किए हैं, जब हाल ही में पंचायती राज के चुनाव में भाजपा को भरतपुर और जयपुर में अच्छी सफलता मिली है। कांग्रेस के प्रभाव वाले भरतपुर में भाजपा का जिला प्रमुख बना तो जयपुर में कांग्रेस का बहुमत होने के बाद भी भाजपा का जिला प्रमुख बन गया। पंचायती राज के चुनाव में कांग्रेस में गुटबाजी खुलकर सामने आई। लेकिन कैलाश मेघवाल के पत्र ने कांग्रेस की गुटबाजी को दबा दिया। अब मीडिया में भाजपा की गुटबाजी की चर्चा ज्यादा हो रही है। मेघवाल ने अपनी ही पार्टी को लेकर जो मुद्दे उठाएं हैं उन्हें कांग्रेस आसानी से छोड़ने वाली नहीं है। अब देखना होगा कि इन आरोपों के मद्देनजर गुलाब चंद कटारिया विधानसभा में भाजपा विधायकों का नेतृत्व किस प्रकार करते हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (09-09-2021)
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