Saturday 25 September 2021

अमरीका के तीन राष्ट्रपतियों से एक समान तालमेल। क्या यह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी उपलब्धि नहीं है?

24 सितंबर को वाशिंगटन में अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गर्मजोशी के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। दोनों नेता जिस अंदाज में मिले उससे प्रतीत हो रहा था कि पुराने मित्र हैं। बातचीत का अंदाजा भी यार-दोस्तों जैसा था। दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति बाइडेन ने मोदी से कहा, मैं भारतीय मूल की लड़की से विवाह करना चाहता था, लेकिन अफसोस कि नहीं कर सका। बाइडेन का यह संवाद बताता है कि वे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कितना सम्मान करते हैं। ऐसा संवाद एक दोस्त से ही किया जा सकता है। मोदी 2014 में जब भारत के प्रधानमंत्री बने तब डेमोक्रेटिक पार्टी के बराक ओबामा अमरीका के राष्ट्रपति थे। हमने देखा कि ओबामा से भी मोदी के कितने अच्छे रिश्ते थे। ओबामा भले ही शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति थे, लेकिन उम्र में मोदी से छोटे थे, इसलिए मोदी उन्हें बराक ही कहते थे। हमने बराक और मोदी के बाग बगीचे में टहलते हुए वीडियो भी देखे। बराक ओबामा के स्थान पर जब रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप अमरीका के राष्ट्रपति बने तब यह आशंका जताई गई कि भारत के रिश्ते पहले जैसे नहीं रहेेंगे। ओबामा और ट्रंप अलग राजनीतिक दल के थे। लेकिन सबने देखा कि डोनाल्ड ट्रंप ने भी नरेंद्र मोदी से दोस्ती निभाई। पिछले दिनों जब अमरीका में चुनाव हुए तो मोदी ने अप्रत्यक्ष तौर पर ट्रंप का समर्थन भी किया। मोदी ने ट्रंप को भारत बुलाकर प्रचार भी करवाया, ताकि अमरीका में रह रहे भारतीय मूल के लोग ट्रंप को वोट दें। लेकिन ट्रंप को हार का सामना करना पड़ा। ट्रंप अपनी घरेलू परेशानियों की वजह से हारे, लेकिन तब भी कहा गया कि जो बाइडेन से मित्रता करने में मोदी को परेशानी होगी। जो बाइडेन को भी पता था कि चुनाव में नरेंद्र मोदी का झुकाव रिपब्लिकन पार्टी के ट्रंप के प्रति रहा, लेकिन 24 सितंबर को जो बाइडेन ने ही मोदी का जबरदस्त स्वागत किया। मोदी पिछले सात वर्ष से भारत के प्रधानमंत्री हैं और इन सात वर्षों में जो बाइडेन अमरीका के तीसरे राष्ट्रपति बने हैं। मोदी ने तीनों राष्ट्रपतियों से बेहतर तालमेल रखा है। तीनों राष्ट्रपतियों ने भारत के महत्व को माना है। क्या यह नरेंद्र मोदी की बड़ी उपलब्धि नहीं है? अंतरराष्ट्रीय मंच पर जब इतनी खींचतान चल रही हो, तब अमरीका के तीन तीन राष्ट्रपतियों से एक समान तालमेल होना भारत की सफल कूटनीति भी है। इसे मोदी की कूटनीति ही कहा जाएगा कि आतंक के मुद्दे पर पाकिस्तान को दुनिया में एक्सपोज किया है। भारत ने ही अमरीका को वो सबूत दिए, जिससे यह उजागर हुआ कि अमरीका की सहायता को पाकिस्तान आतंकियों खासकर अफगानिस्तान में तालिबानियों को पहुंचा रहा है। आज अमरीका के सामने पाकिस्तान और प्रधानमंत्री इमरान खान पूरी तरह एक्सपोज हो चुके हैं। अब पाकिस्तान को अमरीका से कोई मदद नहीं मिलने वाली है। अमरीका का राष्ट्रपति कोई भी हो उसे यह पता है कि पाकिस्तान में आतंकवादियों को शरण मिलती है, जबकि भारत में आतंकवादियों को गोली मार दी जाती है। भारत आतंक और आतंकवादियों से हर संभव मुकाबला कर रहा है। यह भारत के लोकतंत्र की खूबसूरती है कि यहां 23 करोड़ से भी ज्यादा मुसलमान रह रहे हैं। यहां की सरकार मुसलमानों के साथ कोई भेदभाव नहीं करती है। अफगानिस्तान के संकट के समय भी अफगानी नागरिक खास कर महिलाएं भारत ही आना चाहती थी। बड़ी संख्या में अफगानी भारत आए भी। अफगानिस्तान से मुसलमानों से पूछा जा सकता है कि भारत में कितना सुकून है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (25-09-2021)
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