Monday 27 September 2021

डेंगू के जिन मरीजों को ब्लड में एसडीपी की जरूरत है, उन्हें भारी परेशानी हो रही है। तेजी से बढ़ रहे हैं ऐसे रोगी।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए। रोग और मरीज की गंभीरता को समझने के लिए अजमेर का उदाहरण प्रस्तुत है।

बदले मौसम के कारण राजस्थान भर में डेंगू बुखार के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। डेंगू का ज्यादा असर छोटी उम्र के बच्चों पर है। डेंगू के जिन मरीजों के ब्लड में एसडीपी यानी सिंग डोनर प्लेटलेट की कमी होती है, उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिस मशीन पर एसडीपी तैयार किए जाते हैं वह अजमेर में सिर्फ दो अस्पतालों में उपलब्ध है। पहली सरकार के जेएलएन अस्पताल तथा दूसरी पुष्कर रोड स्थित प्राइवेट विद्यापति ब्लड बैंक में। जेएलएन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अनिल जैन ने बताया कि अस्पताल में एसडीपी और आरडीपी की चौबीस घंटे सुविधा उपलब्ध है। एसडीपी के 9 हजार 500 रुपए का शुल्क लिया जाता है। वहीं प्राइवेट विद्यापति ब्लड बैंक के प्रभारी रामस्वरूप चौधरी ने चौंकाने वाले आंकड़े बताए। एक सितंबर से पहले पिछले 6 माह में कुल 25 एसडीपी हुई, जबकि सितंबर माह में अब तक करीब 10 एसडीपी अकेले उनकी ब्लड बैंक में हो चुकी है। इससे डेंगू रोग की गंभीरता और मरीजों की बढ़ती संख्या का अंदाजा लगाया जा सकता है। सामान्य और आर्थिक दृष्टि से कमजोर मरीज के लिए एसडीपी करवाना आसान नहीं है। जहां सरकारी अस्पताल में एक एसडीपी के लिए 9 हजार 500 रुपए शुल्क लिया जाता है, वहीं प्राइवेट अस्पतालों और ब्लड बैंकों में 15 हजार रुपए तक वसूले जा रहे हैं। एसडीपी यानी सिंगल डोनर प्लेटलेट के लिए स्वास्थ्य व्यक्ति के ब्लड की जरुरत होती है। सबसे पहले ब्लड ग्रुप मिलाया जाता है। मरीज के ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को ढूंढना भी आसान काम नहीं है। जिस मरीज को ओ नेगेटिव ब्लड वाले एसडीपी चाहिए, उसकी परेशानी सबसे ज्यादा है, क्योंकि ओ नेगेटिव ग्रुप वाला व्यक्ति बहुत मुश्किल से मिलता है। एसडीपी देने वाले व्यक्ति को कम से कम दो घंटे मशीन पर रहना पड़ता है। क्योंकि एक यूनिट ब्लड निगाल कर मशीन में डाला जाता है और मशीन प्लेटलेट निकाल कर ब्लड को संबंधित व्यक्ति को हाथों हाथ चढ़ा देती है। यही प्रक्रिया चार बार करनी होती है, तब एक यूनिट प्लेटलेट तैयार होते हैं। फिर यही प्लेटलेट डेंगू मरीज के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। आमतौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति के ब्लड में चार लाख प्लेटलेट होते हैं, जबकि न्यूनतम एक लाख पचास हजार प्लेटलेट की जरुतर होती है। ऐसे में स्वस्थ व्यक्ति अपने ब्लड से ढाई लाख प्लेटलेट निकलवा सकता है। चिकित्सक के अनुसार प्लेटलेट पहले से रखे ब्लड से नहीं निकाले जा सकते है। एसडीपी के लिए स्वस्थ व्यक्ति का होना जरूरी है। यह जरूरी नहीं कि मरीज एक बार के प्लेटलेट से ही ठीक हो जाए। कई डेंगू के मरीजों  को तीन चार बार एसडीपी की जरुरत होती है। एक सामान्य मरीज के लिए हर बार स्वस्थ व्यक्ति की उपलब्धता और हार बार 15 हजार रुपए की राशि खर्च करना मुश्किल होता है। जो मरीज एसडीपी का इंतजाम नहीं कर पाता है, उसकी मृत्यु हो जाती है, क्योंकि डेंगू मरीज के प्लेटलेट में गिरावट तेजी से होती है। हम सबने देखा कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से हजारों लोग मर गए। कोरोना की तीसरी लहर का खतरा अभी टला नहीं है, ऐसे में डेंगू मरीजों के एसडीपी की समस्या बहुत बड़ी है। ऐसा न हो कि मरीज के लिए स्वस्थ व्यक्ति के ब्लड का इंतजाम नहीं हो और उसकी मौत हो जाए। जहां तक डेंगू मरीज के लिए आरडीपी की जरूरत है तो इसमें ब्लड से ही काम चल जाता है। लेकिन एसडीपी के लिए राज्य सरकार को गंभीरता दिखनी चाहिए। लोगों के स्वास्थ्य के प्रति मुख्यमंत्री अशोक गहलोत संवेदनशील हैं। सीएम गहलोत को चाहिए कि डेंगू के जिन मरीजों को एसडीपी की जरूरत है। उनके लिए सरकारी अस्पतालों में विशेष इंतजाम किए जाएं। इसमें स्वयं सेवी संगठनों से भी तालमेल किया जाए ताकि संबंधित ब्लड ग्रुप के व्यक्तियों का इंतजाम भी हो सके। उम्मीद है कि सीएम गहलोत डेंगू मरीजों की परेशानियों को समझेंगे। अजमेर जैसी स्थित प्रदेशभर में है।
रात को भी सेवा की भावना:
25 सितंबर को पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल में भर्ती एक 15 वर्षीय बालिका को एसडीपी के लिए ओ नेगेटिव ब्लड वाले व्यक्ति की जरूरत पड़ी। चिकित्सकों का कहना रहा कि रात को ही प्लेटलेट की जरूरत है। ओ नेगेटिव ब्लड वाला दानदाता बहुत मुश्किल से मिलता है, लेकिन फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े इंद्रजीत ने कम से कम चार पांच युवाओं की उपलब्धता रात को ही करवाई। इसी प्रकार लायंस क्लब के अतुल पाठनी भी ओ नेगेटिव वाले दिनेश जैन को लेकर विद्यापति ब्लड बैंक पर आए। कहा जा सकता है कि मुसीबत के समय समाजसेवियों की कमी नहीं रहती है। यदि कोई व्यक्ति अपने साधन से आधी रात को ब्लड देने के लिए उपलब्ध है तो यह सबसे बड़ी मानव सेवा है। जरूरतमंद व्यक्ति मोबाइल नम्बर 9664389685 पर इंद्रजीत और 7728049760 पर अतुल पाटनी से संपर्क कर सकते हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (27-09-2021)
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To Contact- 9829071511

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