13 सितंबर को गुजरात के नए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के शपथ ग्रहण समारोह में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी शामिल हुए। यूं दिखाने के लिए मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गोवा के मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति भी शपथ ग्रहण समारोह में दर्ज करवाई गई। लेकिन खट्टर की उपस्थिति इस लिए खास रही कि दिल्ली से गांधी नगर (अहमदाबाद) का हवाई सफर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ किया। 11 सितंबर को जब विजय रूपाणी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के पद से राज्यपाल को इस्तीफा दिया तो किसी को भी भनक नहीं लगी। गुजरात भाजपा में भी रूपाणी के खिलाफ कोई असंतोष नहीं था। हालात सामान्य होने के बाद भी रूपाणी को अचानक मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया गया। इस्तीफा देने के बाद जिन भाजपा नेताओं के नामों की चर्चा हुई उनमें से किसी को भी मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। 12 सितंबर को जिस तरह विधायक दल की बैठक में भूपेंद्र पटेल को नेता चुना गया, उससे साफ प्रतीत था कि इस रणनीति के पीछे गृहमंत्री अमित शाह का दिमाग है। गुजरात की तरह ही चौंकाने वाले निर्णय पिछले दिनों भाजपा शासित उत्तराखंड और कर्नाटक में भी देखने को मिले हैं। कर्नाटक में तो माना जा रहा था कि बीएस येदियुरप्पा को हटाने के बाद बगावत हो जाएगी। लेकिन भाजपा के सभी विधायकों ने बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री स्वीकार कर लिया। यानी भाजपा में यह दिखाने की कोशिश की है कि उनके यहां मुख्यमंत्री का बदलाव कभी भी हो सकता है। यह जरूरी नहीं कि नेताओं और विधायकों के असंतोष के बाद मुख्यमंत्री को बदला जाए। हरियाणा में गत वर्ष ही चुनाव हुए हैं। खट्टर को दोबारा से मुख्यमंत्री बनाया गया है। लेकिन इन दिनों भाजपा शासित राज्यों में जिस तरह मुख्यमंत्रियों को बदला जा रहा है उससे प्रतीत होता है कि अब हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर भी निशाने पर हैं। सूत्रों की मानें तो किसान आंदोलन से निपटने में हरियाणा सरकार को जो भूमिका निभानी चाहिए थी वैसी नहीं निभाई गई। हालांकि खट्टर का सहयोगी पार्टी जेजेपी से अच्छा तालमेल हैं और दोनों में कोई विवाद की खबरें भी नहीं आ रही हैं। लेकिन जानकारों का मानना है कि गृहमंत्री अमित शाह के साथ खट्टर का हवाई सफर कोई सामान्य बात नहीं है। सब जानते है कि विजय रूपाणी ने भी इस्तीफा देने के बाद कहा था कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के कारण ही मुख्यमंत्री का पद संभाल पाए। ऐसे ही बयान उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत और कर्नाटक में येदुरप्पा ने भी दिए। खट्टर ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से निकाल कर भाजपा की राजनीति में आए हैं। ऐसे में खट्टर को हटाने पर किसी भी असंतोष की संभावना नहीं है। अभी यह नहीं कहा जा सकता खट्टर को कब हटाया जाएगा। लेकिन हटाने की रणनीति 13 सितंबर को हवाई सफर शुरू हो गई है। जहां तक मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान का सवाल है तो उनका मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। सिंधिया की वजह से ही मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरी और फिर भाजपा की सरकार मजबूत हुई। ऐसे में शिवराज के भविष्य के निर्धारण में सिंधिया की राय को महत्व मिलेगा।
S.P.MITTAL BLOGGER (13-09-2021)
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