14 सितंबर को पुलिस ने देश के तीन स्थानों से 6 ऐसे युवाओं को गिरफ्तार किया है जो भारत में त्यौहारी सीज (नवरात्रि, दशहरा, दीपावली आदि) में बम विस्फोट करने की फिराक मे थे। गिरफ्तार युवाओं के नाम मोहम्मद अबु बकर, ओसाया, जान मोहम्मद, जीशान कमर, मूलचंद व अमीर जावेद हैं। खुफिया एजेंसियों के अनुसार इनमें से दो युवक पाकिस्तान में आतंक का प्रशिक्षण लेकर लौटे। ये आतंकी पाकिस्तान में बैठे दाऊद इब्राहिम और उसके भाई अनीस के संपर्क में थे। युवा आतंकी हमला कर भारत का माहौल खराब करना चाहते थे। सवाल उठता है कि भारत में मुसलमानों के लिए इतना अनुकूल माहौल है तो फिर मुस्लिम युवा यहां आतंकी वारदातें क्यों करते हैं? भारत में मुसलमानों के लिए अनुकूल माहौल है, इसलिए अफगानिस्तान के अनेक मुसलमान हाल ही में भारत आए हैं। भारत में कोई 25 करोड़ मुसलमान अपने धर्म के अनुरूप स्वतंत्रता से रह रहे हैं। लोकतंत्र होने के कारण सभी को वोट डालने का अधिकार भी है। किसी भी स्तर पर कोई भेदभाव नहीं है। संविधान में जो अधिकार हिन्दुओं को मिले हैं वे ही अधिकार मुसलमानों के पास हैं। सरकार की हर योजना का लाभ सभी नागरिकों को मिलता है। लाखों हिन्दू, मुस्लिम सूफी संतों की दरगाहों पर जाकर माथा टेकते हैं। मदरसों को सरकारी सब्सिडी भी दी जाती है। मुस्लिम राष्ट्रों से भी ज्यादा सुविधाएं मुसलमानों को भारत में मिली हुई है। ऐसा कोई कारण नहीं है जिसकी वजह से मुस्लिम युवा नाराज हो या फिर पाकिस्तान के बहकावे में आए। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने के बाद कश्मीरी मुसलमानों को ही सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। जो मुस्लिम युवक हिंसक वारदातें करते हैं, उन्हें पहले यह सोचना चाहिए कि वे भारत के खिलाफ क्यों हैं? आखिर इस देश ने उनका क्या बिगाड़ा है? भारत के मुस्लिम युवा आज अफगानिस्तान और पाकिस्तान का हाल भी देख रहे हैं। ऐसा नहीं कि सभी मुस्लिम युवा आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं। अधिकांश युवा भारत में सुकून के साथ रहना चाहते हैं, लेकिन कुछ युवा हाफिज सईद, दाऊद इब्राहिम जैसे चरमपंथियों के बहकावे में आ जाते हैं। भारत में रहने वाले अनेक मुस्लिम युवक आज इंजीनियर, डॉक्टर सफल उद्योगपति है। ऐसे युवकों की देश के विकास में भागीदारी है। भारत पूरी दुनिया में सौहार्द की मिसाल है। यह सौहार्द बना रहना चाहिए। पाकिस्तान जैसा देश भारत में अशांति करना चाहता है। सभी भारतीयों को पाकिस्तान की साजिशों से सावधान रहना चाहिए। यह भारत के लोकतंत्र की खूबसूरती है कि जो मुसलमान अपने धर्म के नियमों के तहत रहना चाहता है, वह रह सकता है। यदि कोई परिवार अपने बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ना चाहता है तो वह भी स्वतंत्र है। यानी किसी पर कोई पाबंदी नहीं है। मुसलमान ही नहीं किसी भी धर्म के युवाओं पर कोई पाबंदी नहीं है। यही वजह है कि आज अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति मजबूत हुई है।
S.P.MITTAL BLOGGER (15-09-2021)
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