राजस्थान के कांग्रेस कार्यकर्ताओं का तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर 28 दिसंबर को जयपुर के बाड़ा पदमपुरा में संपन्न हुआ। समापन सत्र को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी ने वर्चुअल तरीके से संबोधित किया। 12 दिसंबर को भी राहुल गांधी ने जयपुर में कांग्रेस की राष्ट्रीय रैली में हिन्दू और हिंदुत्व की अलग अलग व्याख्या की थी। 28 दिसंबर को राहुल गांधी ने अपनी 12 वाली सोच को ही आगे बढ़ाया। राहुल गांधी लगातार यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि हिन्दुत्ववादी हिंसक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिन्दू समाज के प्रमुख साधु संतों को भी राहुल गांधी हिन्दुत्ववादी मानते हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राहुल गांधी को खुश करने के लिए हिंदुत्ववादियों को नकली हिन्दू बता रहे हैं। हालांकि ऐसी सोच से कांग्रेस लगातार गर्त में जा रही है। राहुल गांधी खुद अमेठी से लोकसभा का चुनाव हार गए हैं तथा देश में 545 में से कांग्रेस के मात्र 52 सांसद हैं, जबकि हिंदुत्ववादियों वाली भाजपा के 303 सांसद हैं। यह फर्क भी राहुल गांधी और अशोक गहलोत के समझ में नहीं आ रहा है। तीन माह बाद होने वाले उत्तर प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस चौथे नंबर पर ही बनी हुई है, जबकि पंजाब में कांग्रेस हार के कगार पर खड़ी है। राहुल गांधी और अशोक गहलोत कांग्रेस को किस स्थिति में ले जाएं, यह उनकी सोच हैं, लेकिन हिंदुत्व को हिंसा से जोड़कर कांग्रेस देश में खतरनाक खेल खेल रही है। कांग्रेस को हिंदुत्व में तो हिंसा नजर आती है, लेकिन ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेाहुल मुस्लिमीन के चीफ असदुद्दीन ओवैसी के देश विरोधी बयानों पर कोई एतराज नहीं है। यूपी के चुनाव में मुसलमानों के वोट लेने के लिए ओवैसी जहर उगल रहे हैं। ओवैसी के बयान भी ऐसे हैं जिन्हें लिखा भी नहीं जा सकता। ओवैसी ने विगत दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए जिस भाषा का इस्तेमाल किया है, वह हिंसा से भी ज्यादा है। कांग्रेस को ओवैसी के ऐसे बयानों पर कोई एतराज नहीं होता है। राहुल गांधी और अशोक गहलोत में हिम्मत हो तो ओवैसी के बयानों की आलोचना करें। ओवैसी की तरह ही कई मुस्लिम नेता देश विरोधी बयान दे रहे हैं। लेकिन कांग्रेस ने कभी भी ऐसे बयानों पर एतराज नहीं किया है। राहुल गांधी और अशोक गहलोत को सारी खामियां सिर्फ हिन्दुत्व में ही नजर आती हैं? हिन्दुत्व में विश्वास रखने वाला ही हिन्दू है। देश के प्रमुख साधु-संत और धर्माचार्य हिन्दुत्व के साथ खड़े हैं। ऐसे धर्माचार्यों का आशीर्वाद हिंदुत्ववादियों के साथ ही है। जहां तक हिन्दुओं की सहिष्णुता का सवाल है तो हजारों हिन्दू प्रतिदिन अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में पूरी अकीदत के साथ जियारत करता है। राहुल गांधी और अशोक गहलोत भले ही हिन्दुत्व को हिंसा से जोड़े, लेकिन हजारों हिन्दुत्ववादी मुस्लिम परंपरा के अनुरूप ख्वाजा साहब की दरगाह में सिर पर मखमली और फूलों की चादर रख कर जियारत करते हैं। खादिम द्वारा दिए गए लच्छों को अपने गले में पहनते हैं। अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह से पुष्कर तीर्थ मुश्किल से 12 किलोमीटर दूर है, लेकिन अनेक हिन्दुत्ववादी ऐसे हैं जो दरगाह में जियारत कर अजमेर से लौट जाते हैं। ऐसे सहिष्णु हिंदुत्ववादियों के बारे में कांग्रेस के नेता कुछ भी सोचे लेकिन कांग्रेस का कार्यकर्ता भी समझता है कि हिन्दुओं पर किस विचारधारा के लोगों ने अत्याचार किए। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को यह भी पता है कि धर्म के आधार पर 1947 में देश का विभाजन हुआ। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को यह भी पता है कि किन धर्मगुरु के दो मासूम बच्चें को किस अत्याचारी ने दीवार में चिनवा दिया। किन लोगों ने तलवार के दम पर हिन्दू मंदिरों में लूटपाट की। हिन्दुओं पर इतने अत्याचारों के बाद भी राहुल गांधी और अशोक गहलोत को हिंदुत्व में हिंसा नजर आती है तो आने वाले दिनों में कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (29-12-2021)
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