Friday 17 December 2021

क्या काशी की तर्ज पर अजमेर का विकास हो सकता है? देश भर के 150 मेयर बनारस में जुटे। लेकिन अजमेर की मेयर बृजलता हाड़ा ने भाग नहीं लिया।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताए शहरी विकास के तरीके।

17 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के बनारस में अखिल भारतीय मेयर सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्चुअल तकनीक से संबोधित किया। लेकिन महत्त्वपूर्ण सम्मेलन में अजमेर की मेयर बृजलता हाड़ा अनुपस्थित रही। हाड़ा का कहना रहा कि अजमेर में आरटीआई के तहत सुनवाई होनी थी, इसलिए वे बनारस नहीं जा सकी। सवाल उठता है कि जिस तरीके से तंंग गलियों वाले विश्व विख्यात बनारस का विकास हुआ क्या वैसा विकास अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अजमेर का हो सकता है? यह सवाल इसलिए भी उठा है कि बनारस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है और प्रधानमंत्री की विकास की प्राथमिकताओं में अजमेर भी शामिल है। सब जानते हैं कि 2014 में जब मोदी पहली बार पीएम बने तब देश के तीन शहरों को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल किया गया। इन तीन शहरों में अजमेर भी शामिल था। लेकिन आज छह बरस गुजर जाने के बाद भी अजमेर शहर का विकास नहीं हुआ है, जबकि मात्र ढाई वर्ष में बनारस की कायापलट हो गई है। ऐसा नहीं कि अजमेर के विकास के लिए केंद्र सरकार ने पैसा नहीं दिया। अकेले स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में 2 हजार करोड़ रुपए दिए गए हैं तो हृदय और प्रसाद योजना में केंद्र सरकार से करोड़ों रुपए अजमेर को प्राप्त हुए हैं। प्रधानमंत्री द्वारा अजमेर को प्राथमिकता दिए जाने के पीछे यहां सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह भी होना है। लेकिन हम सब देखते हैं कि विकास के पैमाने पर बनारस के मुकाबले अजमेर बहुत पीछे है। काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए बनारस में भव्य कॉरिडोर बनाया गया। अब यहां एक लाख से भी ज्यादा श्रद्धालु मंदिर परिसर में सुगमता के साथ रह सकते हैं। कॉरिडोर के बनने से पहले यह मंदिर भी सकड़ी गलियों में फंसा हुआ था। अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह के आसपास भी तंग गलियों का जाल है। सकड़ी गलियों में बिजली के तार झूलते देखे जा सकते हैं। कई बार तो नालों का गंदा पानी दरगाह की मुख्य इमारत के सामने से बहता है। यातायात के इंतजाम तो नहीं के बराबर है। ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में जब लाखों जायरीन जियारत के लिए आते हैं तो पूरे अजमेर शहर का यातायात बिगड़ जाता है। अजमेर शहर में जो स्थिति दरगाह की है, वही स्थिति शहर  से दस किलोमीटर दूर हिन्दुओं के तीर्थ स्थल पुष्कर की भी है। पवित्र सरोवर के घाटों पर जाने और ब्रह्मा मंदिर में दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को सकड़ी गलियों से होकर ही गुजरना पड़ता है। लेकिन इन दोनों ही धार्मिक स्थलों का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है। यह माना कि बनारस प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र हैं और यहां की समस्याओं का समाधान जल्द हो जाता है, लेकिन यदि अजमेर के जनप्रतिनिधियों की इच्छा शक्ति हो तो अजमेर में भी समस्याओं का समाधान हो सकता है। वर्ष 2014 से दिसंबर 2018 तक के चार वर्ष ऐसे रहे जब अजमेर नगर निगम से लेकर दिल्ली तक में भाजपा का शासन रहा। लेकिन अजमेर की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया। राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार को तीन वर्ष हो गए हैं, लेकिन अभी तक भी ख्वाजा साहब की दरगाह के विकास की सुध नहीं ली गई है। स्मार्ट सिटी के अधिकांश काम आनासागर के किनारे हो रहे हैं। एलिवेटेड रोड का काम कछुआ चाल से हो रहा है। जिसकी वजह से आम नागरिक परेशान हैं। असल में जब तक जनप्रतिनिधि इच्छा शक्ति नहीं दिखाएंगे तब तक अजमेर का विकास नहीं हो सकेगा। 17 दिसंबर को देशभर के मेयरों को बनारस में इसलिए एकत्रित किया गया ताकि वे शहरी विकास को देख सकें। सब जानते हैं कि बनारस भी भारत का एक पुराना शहर है। लेकिन अब इस बनारस को आधुनिक स्वरूप प्रदान किया गया है। अच्छा होता कि अजमेर की मेयर बृजलता हाड़ा भी 17 दिसंबर को बनारस में मौजूद होती। जिस मेयर सम्मेलन को प्रधानमंत्री मोदी संबोधित करें उसमें अजमेर की मेयर की अनुपस्थिति हो, यह गंभीर बात है।
मोदी ने बताए शहरी विकास के तरीके:
मेयर्स के सम्मेलन में पीएम मोदी ने शहरी विकास के तरीके बताए। मोदी ने कहा कि शहर को स्वच्छ रखने के लिए वार्ड स्तर पर स्वच्छता प्रतियोगिता प्रतिमाह रखी जा सकती है। वार्ड स्तर पर ही सौंदर्यीकरण की प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जा सकता है। इसके अंतर्गत दुकानों के साइन बोर्ड को एक समान भी किया जा सकता है। जिन शहरों में नदी है उनका तो विकास ज्यादा अच्छी तरह हो सकता है। नदियां तो आर्थिक समृद्धि भी प्रदान करती है। नदी के इतिहास पर भी प्रतियोगिताएं हो सकती है। शहरों की बढ़ती जनसंख्या का समाधान फ्लाईओवर बनाना नहीं है। इसके लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को डेवलप किए जाने की जरूरत है। मोदी ने कहा कि शहरी विकास की संस्थाओं को तकनीक का अधिक से अधिक इस्तेमाल करना चाहिए। गुजरात के सूरत में नगर निगम वाले सीवरेज का पानी भी बेच रहे हैं। अब समय आ गया है जब हर बेकार जीत का सदुपयोग किया जा सकता है। मोदी ने मेयरों को कहा कि वे विकास पर अपने सुझावों को उन से साझा करें। मोदी ने रेहरी व पटरी वाले को प्रधानमंत्री स्व निधि सम्मान योजना का अधिक से अधिक लाभ दिलाने की बात कही। 
S.P.MITTAL BLOGGER (17-12-2021)
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