Wednesday 1 December 2021

दिल्ली जाने वाले 19 विधायकों में से पांच को मंत्री बनाने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कह रहे हैं कि सरकार बचाने वाले विधायकों का भी ख्याल रखा जाएगा।यदि इतनी ही हिम्मत है तो मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा के खिलाफ कार्यवाही करके दिखाएं।मंत्री न बनने वाले विधायकों को संतुष्ट रखने की चुनौती है गहलोत के सामने।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गत 21 नवंबर को नियमों के मुताबिक मंत्रिमंडल में सभी 30 पद भर लिए हैं। जो विधायक मंत्री नहीं बने हैं, उन्हें भी पता है कि अब मंत्रिमंडल में कोई पद खाली नहीं है। ऐसी स्थिति में कोई बगावत नहीं हो, इसलिए 30 नवंबर को सीएम गहलोत ने कहा कि अब मंत्रिमंडल का पुनर्गठन हो सकता है। जो मंत्री अच्छा काम नहीं करेगा, उसे हटाया भी जा सकता है। कांग्रेस हाईकमान मंत्रियों की परर्फामेंस पर नजर रखते हुए हैं। गहलोत ने कहा कि गत वर्ष जब 19 विधायक दिल्ली चले गए थे, तब जिन विधायकों ने सरकार बचाई उनका ख्याल रखा जाएगा। गहलोत ने माना कि अभी ऐसे अनेक विधायक हैं जो मंत्री बनने की पूरी पात्रता रखते हैं। अब जब विधानसभा चुनाव में मात्र 22 माह रह गए हैं, तब गहलोत अपने मंत्रिमंडल का पुनर्गठन कब और कैसे करेंगे, यह तो वही जाने लेकिन गहलोत ने यह बात कही है, जब सचिन पायलट सहित दिल्ली जाने वाले 19 विधायकों में से पांच को मंत्री बना दिया गया है। इनमें से तीन हेमाराम चौधरी, विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा कैबिनेट मंत्री हैं, जबकि मुरारी लाल मीणा और बृजेंद्र ओला को स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया गया है। सवाल उठता है कि सचिन पायलट के नेतृत्व में दिल्ली जाने वाले विधायकों को लेकर सीएम गहलोत के मन में इतना ही गुस्सा है तो फिर पांच विधायकों को मंत्री क्यों बनाया? गहलोत को पहले उन विधायकों को मंत्री बनाना चाहिए था, जिनकी वजह से सरकार बची। पांच विधायकों को मंत्री बनाने के बाद गहलोत ने पुनर्गठन वाले बयान का क्या मायने है? यदि अच्छा काम नहीं करने वाले मंत्रियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की हिम्मत है तो गहलोत को सबसे पहले सैनिक कल्याण होमगार्ड तथा सिविल डिफेंस विभाग के स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री राजेंद्र सिंह गुढा के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए। 21 नवंबर को मंत्री पद की शपथ लेने के बाद भी एक दिसंबर तक गुढा ने सचिवालय में अपने विभागों का काम काज नहीं संभाला है। गुढा ने सरकारी कार भी लौटा दी है। गुढा का खुले आम कहना है कि पहले उनके तीन-चार समर्थक विधायकों को निगम, बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर मंत्री पद का सम्मान दिया जाए। गुढा अब कांग्रेस के विधायक हैं और कांग्रेस के बारे में उनकी धारण कैसी है, यह गहलोत अच्छी तरह जानते हैं। असल में जिन राजनीतिक परिस्थितियों में गहलोत सरकार चला रहे हैं उनमें विधायकों को संतुष्ट रखना चुनौती पूर्ण काम है। सीएम गहलोत जिस प्रकार बार बार कांग्रेस हाईकमान का उल्लेख कर रहे हैं, उससे प्रतीत होता है कि गहलोत 21 नवंबर वाले मंत्रिमंडल के फेरबदल से भी खुश नहीं है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस की राजनीति किधर जाती है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (01-12-2021)
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