Friday 25 March 2022

आजादी के बाद स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास यदि इतिहासकार आरसी मजूमदार की पहल वाला लिख दिया जाता तो आज देश की सूरत अलग होती।लेखक और इतिहासकार हनुमान सिंह राठौड़ ने अजमेर के प्रबुद्ध नागरिकों को इतिहास के तथ्यों से अवगत कराया।उत्साह से याद किया भगत सिंह को।

23 मार्च को अजमेर के जवाहर रंगमंच पर नगर निगम और विद्धत परिषद विद्या भारती संस्थान की ओर से प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन हुआ। सम्मेलन की अध्यक्षता महापौर श्रीमती ब्रज लता हाड़ा ने की। जबकि लेखक, विचारक और इतिहासकार हनुमान सिंह राठौड़ ने मुख्य वक्ता के तौर पर अपना संबोधन दिया। राठौड़ ने बताया कि 1947 में आजादी के बाद जयपुर में इंडियन हिस्टोरिकल कौंसिल की एक बैठक हुई। इस बैठक में स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास को लिखने का निर्णय लिया गया। इसके लिए तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा मंत्री .... आजाद को पत्र लिखे गए। पहले तो इतिहासकारों की इस पहल पर शिक्षा मंत्री आजाद ने कोई रुचि नहीं दिखाई, लेकिन जब राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का दबाव हुआ तो इतिहासकारों से कहा गया कि स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े सभी दस्तावेज एकत्रित किए जाए। इन दस्तावेजों को एकत्रित करने में उस समय इतिहासकार आरसी मजूमदार की महत्वपूर्ण भूमिका रही। मजूमदार ने जो आधारभूत सामग्री एकत्रित की वह हकीकत में आंदोलन की सही भूमिका को चरितार्थ कर रही थी। इस आधारभूत सामग्री में सरदार भगत सिंह से लेकर सुभाष चंद्र बोस जैसे क्रांतिकारियों की भूमिका प्रभावी तरीके से सामने आई। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि इतिहासकार आरसी मजूमदार की आधारभूत सामग्री के बजाए डॉ. ताराचंद द्वारा जुटाई गई सामग्री पर उन लेखकों से इतिहास लिखवाया गया जो वामपंथी और कांग्रेस विचारधारा के थे। आज भी एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में देश के युवाओं को वो ही इतिहास पढ़ाया जाता है। यही वजह है कि देश के सामने स्वतंत्रता आंदोलन का सही स्वरूप नहीं आ सका। यदि आरसी मजूमदार द्वारा जुटाई गई आधारभूत सामग्री पर स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास लिखा जाता तो देश के युवाओं में एक नई ऊर्जा का संचार होता। उन्होंने माना कि देश के युवाओं को स्वतंत्रता आंदोलन की सच्चाई को समझना चाहिए। भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद जैसे युवाओं के किस प्रकार अपना बलिदान देकर देश को आजादी दिलवाई है। राठौड़ ने बताया कि डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते हुए इंग्लैंड की यात्रा की और तब उन्होंने कहा कि भारत को प्रशासन करना अंग्रेजों ने ही सिखाया, जबकि हमारे यहां वो अंग्रेजों से पहले कौटिल्य, चंद्रगुप्त के शानदार शासन रहे हैं। अंग्रेजों ने तो अपने साम्राज्य को बनाने के लिए अपने नजरिए से दुनिया पर राज किया। जागीरदारी परंपरा भी अंग्रेजों की है। अंग्रेजों के शासन से पहले दुनिया में भारत का राजस्व 23 प्रतिशत था। जबकि अंग्रेजों ने हमारे राजस्व को तीन प्रतिशत कर दिया। भारत को कृषि प्रधान देश कह कर पीछे धकेला गया। अंग्रेजों के आने से पहले भारत उद्योग प्रधान देश था। भारत में बने कपड़े और अन्य वस्तुएं विदेशों में भेजी जाती थी, लेकिन अंग्रेजों ने उद्योग प्रधान देश को कृषि प्रधान देना बना दिया। अंग्रेजों ने अपने शासन में भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी नुकसान किया। फूट डालो और राज करो की नीति पर चलकर अंग्रेजों ने भारत पर 200 वर्षों तक राज कर लिया। देश के नागरिकों को अंग्रेजों की शासन व्यवस्था की हकीकत को भी जानना चाहिए। आज हमारे देश में अंग्रेजी प्रमुख भाषा हो गई है। अंग्रेजी के जानकार को ही समझदार और पढ़ा लिखा समझा जाता है। राठौड़ ने सवाल उठाया कि क्या राजस्थानी भाषा बोलने वाला अक्लमंद नहीं होता? राजस्थान के दूरदराज के गांवों में पानी की किल्लत को ध्यान में रखते हुए एक ग्रामीण भी बरसात का पानी वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित करता है। यह बात अलग है कि अब उन परंपराओं को कमजोर किया जा रहा है। सम्मेलन में कृषि विश्वविद्यालय के बीकानेर के पूर्व कुलपति बीएल छीपा, पूर्व एडिशनल चीफ इंजीनियर बीके शर्मा भी उपस्थित रहे। सम्मेलन में जवाहर रंगमंच खचाखच भरा हुआ था। कार्यक्रम का संचालन भूपेंद्र उबाना ने किया।
 
उत्साह से याद किया भगत सिंह को:
23 मार्च को शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के शहीदी दिवस पर अजमेर की भगत सिंह नौजवान सभा की ओर से कोटड़ा स्थित बीके कौल नगर के शहीद भगत सिंह पार्क में एक समारोह हुआ। इस समारोह में शहीदों को उत्साह के साथ याद किया गया। कलाकारों ने देशभक्ति के गीत सुनाए समारोह में लोगों ने उत्साह के साथ तिरंगे झंडे भी लहराए। समारोह में शहीद भगत सिंह नौजवान सभा की ओर से समाचार पत्र विक्रेता स्वर्गीय प्रेम प्रकाश की पत्नी को 51 हजार रुपए का बैंक ड्राफ्ट भी दिया गया। समारोह में उपस्थित आईपीएस विकास सांगवान, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश चौधरी, डीएसपी प्रियंका रघुवंशी और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुभाष काबरा ने नौजवान सभा की इस पहल का स्वागत किया। इस अवसर पर काबरा ने भी अपनी ओर से 51 सौ की नकद राशि देकर स्वर्गीय प्रेम प्रकाश के परिवार की सहायता की। इस अवसर पर समाचार पत्र विक्रेताओं के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। नौजवान सभा के प्रतिनिधि विजय तत्ववेदी ने बताया कि उनकी संस्था समय समय पर सामाजिक सरोकारों से जुड़े कार्य कर करती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (24-03-2022)
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