Wednesday 30 March 2022

राजस्थान की महिला चिकित्सक अर्चना शर्मा की आत्महत्या के बाद देशभर में चिकित्सकों का बचाव हो पाएगा?राजस्थान के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने माना कि महिला चिकित्सक के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने नासमझी की।अजमेर सहित राजस्थान भर के प्राइवेट अस्पताल और नर्सिंग होम बंद रहे। उकसाने वालों पर हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो बेमियादी बंद।

मरीज खासकर डिलीवरी के समय प्रसूता की मौत होने पर परिजन द्वारा हंगामा करने की आम बात है। ऐसे मामलों को लेकर आए दिन देशभर के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में हंगामा होता है। मृतक के परिजन अक्सर चिकित्सक पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हैं। लेकिन संभवत: देश में यह पहला मौका होगा, जब पुलिस कार्यवाही से परेशान होकर राजस्थान के दौसा जिले के लालसोट के एक निजी अस्पताल की महिला चिकित्सक डॉ. अर्चना शर्मा ने स्वयं ही आत्महत्या कर ली। अपने सुसाइड नोट में डॉ. शर्मा ने लिखा कि मैंने किसी मरीज को नहीं मारा। मेरे मरने के बाद ही मेरी बेगुनाही साबित होगी। डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या ने देशभर में चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। क्या डॉ. शर्मा की मौत से डॉक्टरों का बचाव हो पाएगा? असल में 28 मार्च को जब अर्चना शर्मा अपने अस्पताल में 22 वर्षीय आशा बैरवा की डिलीवरी करवा रही थी, तब मरीज को ब्लीडिंग हो गई इससे आशा बैरवा की मौत हो गई। परिजन ने इस मौत का जिम्मेदार डॉ. अर्चना शर्मा को माना। शव को लेकर परिजन अस्पताल के बाहर ही धरने पर बैठ गए। दौसा पुलिस ने आनन-फानन में डॉ. अर्चना शर्मा के विरुद्ध धारा 302 (हत्या) का मुकदमा दर्ज कर लिया। पुलिस हत्या के आरोप में डॉ. शर्मा को गिरफ्तार करती इससे पहले ही 29 मार्च को डॉ. शर्मा ने फांसी लगा कर अपनी जान दे दी। क्योंकि मरने से पहले डॉ. शर्मा सुसाइट नोट लिख गई, इसलिए अब राजस्थान भर में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के चिकित्सक सड़कों पर है, 30 मार्च को प्रदेशभर के प्राइवेट अस्पताल और नर्सिंग होम पूरी तरह बंद रहे। सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों ने भी दो-तीन घंटे कार्य बहिष्कार कर प्राइवेट चिकित्सकों के विरोध का समर्थन किया। चिकित्सकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में गाइड जारी कर रखी है, लेकिन दौसा पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की अवहेलना कर डॉ. अर्चना शर्मा के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया। गिरफ्तारी के बाद पुलिस किस तरह परेशान करती है,इस से घबराकर कर ही डॉ. अर्चना शर्मा ने आत्महत्या कर ली। प्राइवेट चिकित्सकों का कहना है कि अब इस मामले में उन सभी व्यक्तियों के खिलाफ हत्या का दर्ज किया जाए, जिन्होंने डॉ. अर्चना शर्मा को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया। इसमें लालसोट के प्रभावशाली व्यक्तियों और दौसा पुलिस के अधिकारियों को भी आरोपी बनाया जाए। चिकित्सकों ने कहा कि यदि उकसाने वालों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं होता है तो राजस्थान भर में प्राइवेट अस्पताल अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। 30 मार्च को भीषण गर्मी में प्रदेश भर में बड़े बड़े अस्पतालों के चिकित्सकों ने सड़कों पर जुलूस निकाले कई शहरों में डॉक्टरों ने रास्ता भी जाम किया। प्रदेश भर में हुए प्रदर्शनों से जाहिर है कि डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या को लेकर डॉक्टरों में भारी गुस्सा है। असल में अधिकांश डॉक्टरों को ऐसे दौर से गुजरना पड़ता है। डॉक्टर चाहते हैं कि अब जब एक चिकित्सक ने आत्महत्या कर ही ली है तो भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो, इसे सुनिश्चित किया जाए। डॉक्टरों का कहना है कि कोई भी चिकित्सक अपने मरीज को अस्वस्थ्य नहीं रखना चाहता है। हर डॉक्टर चाहता है कि उसका मरीज जल्द से जल्द ठीक हो, लेकिन कई अवसरों पर चिकित्सा के दौरान ऐसे हालात उत्पन्न हो जाते हैं, जिनकी वजह से मरीज की मृत्यु हो जाती है। मरीज की मृत्यु का सबसे ज्यादा दुख डॉक्टर को ही होता है। प्राइवेट अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि कोई अस्पताल मालिक नहीं चाहता कि उसके अस्पताल की छवि खराब हो। प्राइवेट अस्पतालों में अच्छा इलाज होता है, इसलिए मरीज सरकारी अस्पताल के बजाए प्राइवेट अस्पतालों को प्राथमिकता देते हैं। सरकारें भी अपनी कल्याणकारी योजनाओं में मरीजों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में भी करवाती है।
 
मंत्री ने भी स्वीकारा:
राजस्थान के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने भी स्वीकार किया है कि दौसा पुलिस ने डॉ. अर्चना शर्मा के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर न समझी प्रदर्शित की है। उन्होंने माना कि पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने से पहले सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का अध्ययन नहीं किया। उन्होंने कहा कि मरीज की मृत्यु होने पर परिजन का नाराज होना स्वाभाविक है, लेकिन पुलिस को संवेदनशीलता के साथ अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। मीणा ने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार गंभीरता के साथ काम करेगी।
 
अजमेर में भी विरोध:
डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या के विरोध में 30 मार्च को अजमेर में भी प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्राइवेट डॉक्टर्स एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष डॉ. विनय गगड़ और प्रतिनिधि डॉ. रजनीश सक्सेना ने बताया कि अजमेर जिले में करीब 100 प्राइवेट अस्पताल हैं। इन सभी में 30 मार्च को पूरी तरह काम बंद रहा। प्राइवेट डॉक्टरों ने रीजनल कॉलेज चौराहे से कलेक्ट्रेट तक एक जुलूस भी निकाला। कलेक्ट्रेट पर मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन भी दिया गया। इस ज्ञापन में कहा गया कि डॉक्टरों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाए। इसके साथ ही डॉ. अर्चना शर्मा के प्रकरण में दोषी व्यक्तियों और पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (30-03-2022)
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