Sunday 6 March 2022

राजस्थान सरकार के पास पैसा नहीं होने का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का अभी से ही विलाप शुरू।पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का पूर्व मुख्य सचिव राजीव महर्षि ने भी विरोध किया।नए कॉलेजों के भवन निर्माण के लिए एक हजार करोड़ रुपए की जरूरत, लेकिन मात्र 200 करोड़ रुपयों का ही प्रावधान-देवनानी।

राजस्थान में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 23 फरवरी को विधानसभा में बजट प्रस्तुत किया। इस बजट में राज्य कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना लागू करने की भी घोषणा कर दी गई। प्रदेश में 20 माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं, इसलिए सभी को खुश करने का प्रयास किया गया। लेकिन तीन मार्च को बजट बहस का जवाब देने के समय मुख्यमंत्री ने सरकार के पास पैसा नहीं होने का विलाप भी शुरू कर दिया। सीएम गहलोत का कहना रहा कि जीएसटी की क्षतिपूर्ति केंद्र सरकार से वर्ष 2022 तक ही मिलेगी। केंद्र सरकार को चाहिए कि क्षतिपूर्ति की राशि अगले कुछ वर्षों तक जारी रखी जाए। इसके लिए गहलोत ने भाजपा के सांसदों से भी सहयोग मांगा। जीएसटी क्षतिपूर्ति का मामला अकेले राजस्थान का नहीं है। यह मामला देश के सभी राज्यों से जुड़ा है। स्वाभाविक है कि जब 2022 के बाद क्षतिपूर्ति राशि नहीं मिलेगी तो सरकार को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ेगा। अशोक गहलोत उन मुख्यमंत्रियों में शामिल हैं, जो प्रदेश की हर समस्या के लिए केंद्र को दोषी ठहराते हैं। राजस्थान में राज्य कर्मचारियों के लिए जो पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा की गई है, उस पर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव राजीव महर्षि ने भी एतराज जताया है। महर्षि का मानना है कि यह आत्मघाती निर्णय है। उत्तर प्रदेश का चुनाव जीतने के लिए समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा की है। राजीव महर्षि ने कहा कि यदि चुनाव जीतने के लिए ऐसे वादे अन्य राज्यों में भी होंगे तो इसका असर पूरे देश पर पड़ेगा। मौजूदा समय में भी सरकार के कुल राजस्व का 50 प्रतिशत कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर ही खर्च हो जाता है। ऐसे में विकास कार्य प्रभावित होते हैं। पुरानी पेंशन स्कीम से भले ही कर्मचारी खुश हो, लेकिन आम नागरिक व टैक्स चुकाने वाला व्यापारी वर्ग नाराज है। वैसे भी सरकारी कार्यालयों में कार्मिकों का आम लोगों के साथ व्यवहार खराब रहता है। राजस्थान में एसीबी जिस तरह से भ्रष्टाचारियों को पकड़ रही है, उससे साफ जाहिर है कि किसी भी दफ्तर में रिश्वत के बगैर काम नहीं होता है। इतनी भ्रष्टाचार के बाद भी कार्मिकों को मोटी पेंशन देने से आम आदमी खुश नहीं है। सीएम गहलोत ने मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की राशि 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर दी है, लेकिन आम लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। प्राइवेट अस्पतालों में इस योजना में डॉक्टर की फीस मात्र 135 रुपए रखी गई है। सवाल उठता है कि जो डॉक्टर पांच सौ रुपए लेता है, वह मात्र 135 रुपए में मरीज का क्या इलाज करेगा? इस 135 रुपए में अस्पताल मालिक का हिस्सा भी शामिल हैं। यही वजह है कि सुपरस्पेशियलिटी वाले प्राइवेट अस्पतालों ने चिरंजीवी योजना में मरीजों को देखना बंद कर दिया है। अच्छा हो कि सीएम गहलोत एक बार ऐसी योजनाओं की हकीकत जाने।
 
मात्र 200 करोड़ का प्रावधान:
भाजपा के वरिष्ठ विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा है कि सीएम गहलोत ने बजट में वो सपने दिखाए हैं जो कभी भी पूरे नहीं हो सकते हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी से ही पैसो की कमी का रोना शुरू कर दिया गया है। गहलोत ने जब इतनी घोषणाएं की जब उन्हें पता होना चाहिए था कि वर्ष 2022 के बाद केंद्र सरकार से जीएसटी की क्षतिपूर्ति की राशि नहीं मिलेगी। देवनानी ने कहा कि प्रदेश में 139 नए कॉलेजों को खोलने की घोषणा कर दी गई है, लेकिन इनके भवनों के निर्माण के लिए मात्र 200 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है, जबकि भवनों पर करीब एक हजार करोड़ रुपए की राशि खर्च होगी। 

S.P.MITTAL BLOGGER (04-03-2022)
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