Wednesday 2 March 2022

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अभी तक जो उपाय किए हैं, उससे क्या राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रिपीट हो जाएगी? इस सवाल का जवाब अब पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को देना चाहिए।l

प्रतिमाह डेढ़ लाख रुपए के वेतन भत्ते, चार हजार लीटर पेट्रोल फ्री और गाड़ी, बंगला, नौकर चाकर आदि की सुविधाएं देकर राजस्थान के कई कांग्रेस नेताओं को उपकृत कर दिया है। 100 से भी अधिक निगमों, बोर्डों और अन्य संस्थाओं में भी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियां कर दी गई है। कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को उनकी हैसियत के मुताबिक पद और लाभ दिए गए हैं, वहीं पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की घोषणा कर सरकारी कर्मचारियों को खुश कर दिया गया है। सब जानते हैं कि राजस्थान में 20 माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का प्रयास है कि किसी भी स्थिति में कांग्रेस सरकार को रिपीट किया जाए। सवाल उठता है कि सीएम गहलोत ने अभी तक जो उपाय किए हैं उससे क्या कांग्रेस सरकार रिपीट हो जाएगी? इस सवाल का जवाब पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को देना चाहिए। क्योंकि अशोक गहलोत की सरकार जन अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर रही है का आरोप लगा कर ही पायलट ने जुलाई 2020 में 18 विधायकों के साथ दिल्ली में डेरा जमाया था। एक माह दिल्ली में टिके रहने के बा सचिन पायलट की मुलाकात राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से हुई और तब अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मतभेदों का सुलझाने के लिए एक समन्वय कमेटी बनाई गई। जुलाई 2020 को गुजरे बीस माह हो गए हैं, और कांग्रेस हाईकमान द्वारा बनाई गई समन्वय कमेटी कहां घुस गई, यह अशोक गहलोत ही बता सकते हैं, लेकिन यह सही है कि इन बीस माह में गहलोत और पायलट के बीच 20 मिनट भी बात नहीं हुई है। सीएम अशोक गहलोत पायलट की शक्ल देखना तक पसंद नहीं करते हैं और पायलट के पास तो कोई च्वाइस ही नहीं है। सीएम गहलोत की ओर से अभी तक यही प्रदर्शित किया गया है कि नवंबर 2023 में पायलट के सहयोग के बगैर ही कांग्रेस सरकार रिपीट हो जाएगी। यानी उन सचिन पायलट की अनदेखी की जा रही है, जिनकी मेहनत की बदौलत 2018 में कांग्रेस ने सत्ता हासिल की थी। सचिन पायलट अभी कांग्रेस में बने हुए हैं, इसलिए उन्हें बताना चाहिए कि क्या गहलोत के उपायों से कांग्रेस सरकार रिपीट हो जाएगी? अशोक गहलोत माने या नहीं, लेकिन राजस्थान में पायलट की लोकप्रियता बरकरार है। अनेक विधानसभा क्षेत्रों में पायलट का खासा प्रभाव है। ऐसे में कांग्रेस की राजनीति में पायलट की अनदेखी नहीं की जा सकती है। कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को खुश करने के कितने भी दावे कर लिए जाएं, लेकिन गत भाजपा के शासन में पायलट के प्रदेशाध्यक्ष रहते जिन कार्यकर्ताओं ने संघर्ष किया वे अभी भी संतुष्ट नहीं है। यही वजह है कि कई पायलट समर्थकों ने बोर्ड, निगम आदि के सदस्य पद से इस्तीफा तक दे दिया है। गहलोत ने जो नियुक्तियां की है उन पर अभी तक पायलट की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। अशोक गहलोत ने जहां अगले चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है, वहीं सचिन पायलट की कोई सक्रिय भूमिका नजर नहीं आ रही है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (02-03-2022)
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