Wednesday 30 March 2022

केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ से कोयला नहीं ले पा रहे हैं।कोयले के अभाव में राजस्थान में भीषण गर्मी में बिजली संकट की आशंका।यदि छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार होती तो गहलोत तूफान खड़ा कर देते।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अक्सर आरोप लगाते हैं कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। गहलोत का कहना होता है कि राजस्थान पांच-पांच सांसद केंद्र में मंत्री है, लेकिन फिर भी ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं मिल रही है, जबकि इस प्रोजेक्ट को मंजूरी देने की घोषणा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं। यदि इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल जाए तो जयपुर और उसके आसपास के 11 जिलों की पेयजल समस्या का समाधान हो सकता है। गहलोत ने हाल ही में कहा है कि वे स्वयं भाजपा के मंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री से मिलने के लिए दिल्ली चल सकता हंू। यह अच्छी बात है कि सीएम गहलोत ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट के लिए इतनी जागरूकता दिखा रहे हैं। लेकिन केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में जो कोल ब्लॉक आवंटन की मंजूरी दे दी है, उसमें अशोक गहलोत की जागरूकता काम नहीं आ रही है। जबकि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार ही है। राज्य सरकार के प्रस्ताव के अनुरूप केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने गत 2 फरवरी को छत्तीसगढ़ में कोयला खनन के लिए खान आवंटित कर दी। ताकि राजस्थान के थर्मल प्लांट में बिजली का उत्पादन होता रहे। लेकिन दो माह पूरे होने पर भी भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने राजस्थान को कोयला खनन की मंजूरी नहीं दी है। जबकि सीएम अशोक गहलोत गत 25 मार्च को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर भी पहुंच गए। कोयला खनन के लिए गहलोत ने भूपेश बघेल की मिजाजपुर्सी भी की। बघेल ने भरोसा भी दिलाया, लेकिन अभी तक लिखित मंजूरी नहीं मिली है। यदि छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार होती तो अशोक गहलोत तूफान खड़ा कर देते। अशोक गहलोत बताएं कि केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद भी राजस्थान सरकार छत्तीसगढ़ से कोयले का खनन क्यों नहीं कर पा रही है? सब जानते हैं कि यदि राजस्थान को जल्द कोयले की आपूर्ति नहीं हुई तो प्रदेशभर में बिजली का संकट हो जाएगा। हमारे थर्मल प्लांट बंद हो जाएंगे। भीषण गर्मी में बिजली नहीं मिलने से त्राहि त्राहि मच जाएगी। छत्तीसगढ़ से कोयला खनन के लिए गहलोत ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी पत्र लिखा है, लेकिन इस पत्र का भी छत्तीसगढ़ सरकार पर कोई असर नहीं हुआ है। ऐसा नहीं कि छत्तीसगढ़ के जंगलों में कोयला खत्म हो गया है। छत्तीसगढ़ की जमीन में कोयला तो बहुत है, लेकिन कोयला खनन का छत्तीसगढ़ के आदिवासी विरोध कर रहे हैं। आदिवासियों के विरोध के मद्देनजर ही छत्तीसगढ़ की सरकार कोयला खनन की मंजूरी नहीं दे पा रही है। यही वजह है कि अशोक गहलोत के अब तक के सभी प्रयास विफल हो गए हैं। अब गहलोत के लिए भी बचाव करना मुश्किल हो रहा है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (29-03-2022)
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