9 अगस्त को राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र बांसवाड़ा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार आदिवासियों की जमीन छीन कर अपने चहेते उद्योगपति गौतम अडानी को दे देती है और फिर आदिवासियों का शोषण होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि राजस्थान में बोलने से पहले राहुल गांधी को होमवर्क नहीं कराया जाता। सलाहकार यदि राजस्थान के हालातों की जानकारी देते तो राहुल गांधी बांसवाड़ा में मोदी पर आरोप नहीं लगाते। राहुल गांधी को यह पता होना चाहिए कि सोलर पार्क के लिए अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 85 हजार बीघा भूमि अडानी ग्रीन एनर्जी कंपनी को दी है। जमीन देने के साथ गहलोत सरकार पार्क के लिए खरीदे जाने वाले उपकरणों पर जीएसटी की 75 प्रतिशत राशि की भरपाई भी करेगी। राहुल गांधी को यह भी पता होना चाहिए कि गहलोत सरकार बिजली भी अडानी पावर से ही खरीदती है। गहलोत सरकार ने अडानी पावर के उस दावे को भी स्वीकार कर लिया है जिसमें कोयले की कीमतों के बढ़ने का बोझ भी सरकार वहन करेगी। यही वजह है कि पांच सौ करोड़ रुपए की राशि अब प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं से फ्यूल चार्ज बढ़ाकर वसूली जा रही है। पिछले छह वर्ष का बकाया फ्यूल चार्ज भी वसूला जा रहा है। एक तरह राजस्थान में गहलोत अडानी पर मेहरबान है तो दूसरी तरफ राहुल गांधी अडानी को लेकर पीएम मोदी पर हमलावर है। राहुल ने बांसवाड़ा में आदिवासियों के बीच जो बात कही, वे सभी गहलोत सरकार पर लागू होती है। राहुल गांधी को उद्योगपति गौतम अडानी से इतनी ही चिढ़ है तो फिर राजस्थान में गहलोत सरकार इतनी मदद क्यों कर रही है? क्या कभी राहुल गांधी ने सीएम गहलोत से अडानी की मदद करने के बारे में पूछा? अशोक गहलोत तो अडानी को जंगल की 85 हजार बीघा भूमि दें और राहुल गांधी, मोदी सरकार पर आरोप लगाए। आखिर यह दोहरा चरित्र किसका है? यदि गौतम अडानी पीएम मोदी की वजह से देश के प्राकृतिक संसाधनों को लूट रहे हैं तो फिर राजस्थान में इस लूट को बंद क्यों नहीं करवाया जाता?
यादव गिरफ्तार:
राजस्थान में गहलोत सरकार ने दस अगस्त से प्रदेश की एक करोड़ 39 महिलाओं को नि:शुल्क स्मार्ट फोन देने का काम शुरू किया है। यह स्मार्टफोन राज्य के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा दिए जा रहे हैं। लेकिन इससे पहले ही 9 अगस्त को देर रात प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इसी विभाग के सस्पेंड ज्वाइंट डायरेक्टर वेद प्रकाश यादव को गिरफ्तार कर लिया है। यादव अब ईडी की रिमांड पर है। माना जा रहा है कि ईडी की पूछताछ में सरकार में बैठे नेताओं और बड़े अधिकारियों के चेहरे पर से नकाब उतर जाएगी। भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा पहले ही इस विभाग में पांच हजार करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगा चुके हैं। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग भी सीधे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अधीन आता है। विभाग की निगरानी सीएमओ के अधिकारी ही करते हैं। गत 19 मई को जयपुर स्थित सचिवालय परिसर के बेसमेंट में रखी एक अलमारी से एक करोड़ 61 लाख रुपए नगद और एक किलो सोना बरामद किया गया था। इस मामले में विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर यादव को एसीबी ने गिरफ्तार किया। लेकिन एसीबी की जांच यादव से आगे नहीं बढ़ सकी। यादव को भी इसलिए गिरफ्तार करना पड़ा, क्योंकि विगत दिनों की सीसीटीवी फुटेज में यादव अलमारी को खोलते और बंद करते नजर आए थे। तब भी यह आरोप लगा कि यादव को सत्ता में बैठे नेताओं और अधिकारियों का संरक्षण है। लेकिन एसीबी की जांच आगे नहीं बढ़ सकी। इस बीच ईडी को इस प्रकरण में मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायत मिली। इस शिकायत के आधार पर ही 9 अगस्त की रात को यादव को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के समय भी यादव न्यायिक हिरासत में थे। इसलिए ईडी ने जेल से ही यादव को गिरफ्तार किया। यह आश्चर्यजनक बात है कि यादव की नियुक्ति 1994 में सहायक प्रोग्रामर के पद पर हुई थी। तब उन्हें स्टोर का इंचार्ज भी बनाया गया। लेकिन ज्वाइंट डायरेक्टर बनने के बाद भी यादव के पास स्टोर का प्रभार बना रहा। सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग में जितनी भी खरीद हुई उस में यादव की भूमिका रही। माना जा रहा है कि अलमारी में मिले करोड़ों रुपए और सोना कमीशन खोरी का ही है। यह जांच का विषय है कि यादव किन नेताओं और अधिकारियों की मेहरबानी से स्टोर के प्रभारी बने थे। ईडी की कार्यवाही की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक साथ यादव के आजमगढ़ (यूपी) और जयपुर के ठिकानों पर छापामार कार्यवाही हुई है।
यादव गिरफ्तार:
राजस्थान में गहलोत सरकार ने दस अगस्त से प्रदेश की एक करोड़ 39 महिलाओं को नि:शुल्क स्मार्ट फोन देने का काम शुरू किया है। यह स्मार्टफोन राज्य के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा दिए जा रहे हैं। लेकिन इससे पहले ही 9 अगस्त को देर रात प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इसी विभाग के सस्पेंड ज्वाइंट डायरेक्टर वेद प्रकाश यादव को गिरफ्तार कर लिया है। यादव अब ईडी की रिमांड पर है। माना जा रहा है कि ईडी की पूछताछ में सरकार में बैठे नेताओं और बड़े अधिकारियों के चेहरे पर से नकाब उतर जाएगी। भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा पहले ही इस विभाग में पांच हजार करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगा चुके हैं। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग भी सीधे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अधीन आता है। विभाग की निगरानी सीएमओ के अधिकारी ही करते हैं। गत 19 मई को जयपुर स्थित सचिवालय परिसर के बेसमेंट में रखी एक अलमारी से एक करोड़ 61 लाख रुपए नगद और एक किलो सोना बरामद किया गया था। इस मामले में विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर यादव को एसीबी ने गिरफ्तार किया। लेकिन एसीबी की जांच यादव से आगे नहीं बढ़ सकी। यादव को भी इसलिए गिरफ्तार करना पड़ा, क्योंकि विगत दिनों की सीसीटीवी फुटेज में यादव अलमारी को खोलते और बंद करते नजर आए थे। तब भी यह आरोप लगा कि यादव को सत्ता में बैठे नेताओं और अधिकारियों का संरक्षण है। लेकिन एसीबी की जांच आगे नहीं बढ़ सकी। इस बीच ईडी को इस प्रकरण में मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायत मिली। इस शिकायत के आधार पर ही 9 अगस्त की रात को यादव को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के समय भी यादव न्यायिक हिरासत में थे। इसलिए ईडी ने जेल से ही यादव को गिरफ्तार किया। यह आश्चर्यजनक बात है कि यादव की नियुक्ति 1994 में सहायक प्रोग्रामर के पद पर हुई थी। तब उन्हें स्टोर का इंचार्ज भी बनाया गया। लेकिन ज्वाइंट डायरेक्टर बनने के बाद भी यादव के पास स्टोर का प्रभार बना रहा। सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग में जितनी भी खरीद हुई उस में यादव की भूमिका रही। माना जा रहा है कि अलमारी में मिले करोड़ों रुपए और सोना कमीशन खोरी का ही है। यह जांच का विषय है कि यादव किन नेताओं और अधिकारियों की मेहरबानी से स्टोर के प्रभारी बने थे। ईडी की कार्यवाही की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक साथ यादव के आजमगढ़ (यूपी) और जयपुर के ठिकानों पर छापामार कार्यवाही हुई है।
S.P.MITTAL BLOGGER (10-08-2023)
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