क्या राजस्ािान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहे हैं? यह सवाल गहलोत के 12 अगस्त को दिए बयानों के बाद प्रदेश की राजनीति में उठ रहे हैं। गहलोत अपनी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार करें, यह अच्छी बात है, लेकिन अपने संबोधनों में राजनीति से हट कर अजीब अजीब बातें व किस्से कहानियां और व्यक्तिगत संबंधों या घटनाओं की जानकारी दें तो फिर मानसिक स्थिति पर सवाल उठते ही हैं। 12 अगस्त को जयपुर में अपने सरकारी आवास पर कांग्रेस विचारधारा वाले वकीलों से संवाद करते हुए सीएम ने कहा कि राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम कांग्रेस का भविष्य तय करेंगे। गहलोत ने यह बात किस नजरिए से कही यह तो वे ही जाने, लेकिन जब राहुल गांधी के नेतृत्व में पूरा विपक्ष एकजुट होकर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहा है, तब गहलोत ने कांग्रेस का भविष्य राजस्थान के परिणाम पर लगा दिया है। यदि विधानसभा में कांग्रेस हार गई तो लोकसभा चुनाव कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं रहेगा। गहलोत के इस बयान का कांग्रेस हाईकमान और राहुल गांधी किस दृष्टि से लेते हैं, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा। संवाद में गहलोत तब गदगद हो गए, जब सरकारी वकीलों ने चौथी बार अशोक गहलोत के नारे लगाए। गहलोत ने कहा कि कांग्रेस तभी जीतेगी जब वकील समुदाय घर जाकर वोट मांगेगा। 12 अगस्त को ही जयपुर में हुए युवा महोत्सव में गहलोत के साथ एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी और पूर्व कामरेड कन्हैया कुमार भी उपस्थित थे। कन्हैया कुमार की ओर इशारा करते हुए सीएम ने कहा कि अगली बार जब आप जयपुर आएंगे तो बोलने की पूरी आजादी होगी। सझम में नहीं आता कि कन्हैया कुमार को बोलने की अब कौन सी आजादी चाहिए, जबकि उन पर दिल्ली में जेएनयू में देशविरोधी नारे लगाने के गंभीर आरोप लग चुके हैं। इसी समारोह में सीएम ने कहा कि पीएम मोदी की भाजपा में कोई इज्जत नहीं है। सवाल उठता है कि जो भाजपा मोदी की वजह से ही देश के 12 राज्यों तथा केंद्र में सत्ता में है, उन मोदी की भाजपा में ही इज्जत नहीं है, यह ज्ञान सीएम गहलोत को कहां से प्राप्त हुआ? कोई मुख्यमंत्री जब सार्वजनिक तौर पर ऐसी बात करेगा तो फिर उसकी मानसिक स्थिति पर सवाल उठेंगे ही। 12 अगस्त को ही विधायकों के फ्लैटों के लोकार्पण समारोह में सीएम ने भाजपा विधायक दल के नेता राजेंद्र राठौड़ पर भी गैर जरूरी और व्यक्तिगत टिप्पणियां की। गहलोत ने कहा कि मेरे पैरों में चोट लगी तो राजेंद्र राठौड़ मेरे कुशलक्षेम पूछने भी नहीं आए। सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए गहलोत ऐसी अपेक्षा क्यों कर रहे हैं? अब राहुल गांधी प्रियंका गांधी जैसे बड़े नेता गहलोत की कुशलक्षेम जानने नहीं आए तो इसका गुस्सा राजेंद्र राठौड़ पर क्यों उतारा जा रहा है? गहलोत ने यह भी कहा कि मैं राठौड़ के भतीजे की शादी में जानबूझकर नहीं गया। क्योंकि राठौड़ ने मुझे सम्मानपूर्वक निमंत्रण पत्र नहीं दिया था। सवाल यह भी है कि क्या ऐसी बातें सार्वजनिक की जानी चाहिए? 11 अगस्त को भी कांग्रेस की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी की बैठक में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, पूर्व मंत्री और गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा, पूर्व सांसद रघुवीर मीणा, राज्यसभा सांसद नीरज डांगी आदि को गहलोत ने जिस अंदाज में फटकार लगाई, उससे भी उनकी मानसिक स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं। इस कमेटी की बैठक में तो सीएम गहलोत ने राहुल गांधी पर भी गैर जरूरी टिप्पणी की। मानसिक रोग के विशेषज्ञों का कहना है कि जब कोई व्यक्ति का मन शांत होता है और उसे विफलता की चिंता नहीं होती है,तब वह नकारात्मक बातें नहीं करता है। ऐसा व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी स्वयं नियंत्रित रखता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (13-08-2023)
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