Sunday 6 August 2023

दोनों पैर के अंगूठों में चोट से क्या राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चुनाव में सहानुभूति मिलेगी?चालीस दिन बाद भी चोटग्रस्त अंगूठों और टखने तक प्लास्टर बंधा है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस बात पर नाराजगी है कि उनके दोनों पैरों के अंगूठों पर लगी चोट पर भाजपा के नेता मजाकिया टिप्पणियां कर रहे हैं। हो सकता है कि भाजपा के नेताओं की टिप्पणियां राजनीति से प्रेरित हों। लेकिन खुद मुख्यमंत्री ने अपनी चोट पर जो बयान दिए हैं, उससे सवाल उठता है कि क्या सीएम गहलोत को विधानसभा चुनाव में अंगूठों की चोट से मतदाताओं की सहानुभूति मिलेगी? क्या इस चोट की वजह से भी चुनाव जीता जा सकता है? चोट लगने के कुछ दिनों बाद सीएम ने कहा कि डॉक्टरों को भी आश्चर्य है कि मेरे दोनों पैरों के अंगूठों में एक साथ फ्रैक्चर कैसे हो गया? आमतौर पर जब कोई व्यक्ति जमीन पर गिरता है या फिर पैर फिसलता है तो एक पैर में ही चोट आती है। लेकिन मेरे तो दोनों अंगूठे एक साथ चोट ग्रस्त हो गए। यानी सीएम गहलोत खुद भी स्वीकार करते हैं कि उनके अंगूठों की चोट अनोखी है। चोट के बीस दिन बाद सीएम ने कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि जिस प्रकार ममता बनर्जी ने पैर पर प्लास्टर बांध कर पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव तीसरी बार जीत लिया, उसी प्रकार मैं भी अंगूठों पर प्लास्टर बांध कर राजस्थान विधानसभा का चुनाव जीतना चाहता हंू। अब तीन अगस्त को सीएम का कहना रहा कि अंगूठों की चोट को ठीक होने में अभी वक्त लगेगा। अंगूठों में फ्रैक्चर हुए अब चालीस दिन पूरे हो गए हैं। अंगूठे और एड़ी के टखने तक बंधा प्लास्टर कब हटेगा, यह सीएम गहलोत ही बता सकते हैं। लेकिन यह सही है कि चोट लगने के बाद से ही गहलोत वीसी के जरिए प्रदेश की जनता से जुड़े रहे। भले ही सीएम को अपने दोनों पैर सामने रखी स्टूल पर रखने पड़े, लेकिन उन्होंने काम करने से परहेज नहीं किया। न्यूज चैनलों में भी सीएम के स्टूल पर रखे पैर वाले वीडियो ही प्रसारित हुए। अब तक सीएम अपने सरकारी आवास से ही वीसी से जुड़ रहे थे, लेकिन अब सीएम गहलोत के सरकारी आवास से बाहर निकल कर सार्वजनिक स्थलों पर भी जा रहे हैं। पांच अगस्त को ही सीएम ने एसएमएस स्टेडियम में शहरी-ग्रामीण ओलंपिक खेलों की शुरुआत की। सीएम को सुरक्षा कर्मियों ने पहले कार से उतारा और फिर पकड़ कर व्हील चेयर पर बैठाया। सीएम की व्हील चेयर समारोह के मंच तक आसानी से पहुंच जाए। इसके विशेष इंतजाम किए गए। सीएम जब व्हील चेयर पर बैठे तो उनके पैर लटके हुए थे, लेकिन मंच पर पहुंचते ही सीएम ने दोनों पैर सामने रखी स्टूल पर रख लिए। सीएम को व्हील चेयर और स्टूल पर पैर रखने में कोई परेशानी न हो, इसके लिए सुरक्षा कर्मियों के साथ साथ आईएस तक तैनात रहते हैं। कई आईएएस और आरएएस को सीएम की व्हीलचेयर ढकलते देखा जा सकता है। आखिर अधिकारियों को सेवाभावी होना ही चाहिए। वैसे भी सीएम की सेवा मानवीय दृष्टिकोण से भी करनी चाहिए। ओलंपिक खेल शुभारंभ समारोह में सीएम गहलोत कोई एक घंटा तक रहे। पूरा एक घंटा सीएम के दोनों पैर स्टूल पर ही रहे। सीएम ने दोनों पैरों को एक दूसरे पर कई बार रखा। फ्रैक्चर हुए दोनों अंगूठे कई बार अदला बदली की। आपस में टकराए भी, लेकिन सीएम ने मंच पर दर्द का अहसास नहीं करवाया। भाजपा के नेता भले ही मजाकिया टिप्पणियां करै, लेकिन इसे सीएम गहलोत की बहादुरी और जनता के प्रति सेवा भाव ही कहा जाएगा कि व्हील चेयर और स्टूल का उपयोग कर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। व्हील चेयर पर शरीर को टिका कर दोनों पैर स्टूल पर रखना कोई आसान काम नहीं है। सीएम ने इन परेशानियों में चालीस दिन तो गुजार दिए हैं, अब कितने दिन बाद प्लास्टर खुलेगा यह कोई नहीं जनता। अलबत्ता चुनाव की घोषणा होने में दो माह तथा मतदान में साढ़े तीन माह शेष हैं। देखना होगा कि अगले कितने दिनों तक सीएम गहलोत व्हील चेयर और स्टूल का इस्तेमाल कर समारोह में उपस्थिति दर्ज करवाते हैं। जहां तक मतदाताओं की सहानुभूति का सवाल है तो इसका पता तो चुनाव परिणाम घोषित होने पर ही चलेगा। 

S.P.MITTAL BLOGGER (06-08-2023)
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