21 अगस्त को एनडीटीवी ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए अपना प्रादेशिक न्यूज चैनल लॉन्च किया। इस लॉन्चिंग में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने स्पेशल गेस्ट के तौर पर भाग लिया। चैनल के एडिटर संजय .... ने शुरुआत में ही स्पष्ट कर दिया कि चैनल को चलाने वाले कंपनी का मालिकाना हक अडानी समूह के पास है। वैसे भी बघेल और कमलनाथ घाघ राजनेता है, इसलिए पता करके ही आए होंगे कि एनडीटीवी का मालिक कौन है? दोनों दिग्गज कांग्रेसियों ने अपने अपने प्रदेश में न केवल एनडीटीवी का स्वागत किया, बल्कि सहयोग का भरोसा भी दिलाया। मालूम हो कि राजस्थान में तो सीएम अशोक गहलोत ने सोलर पार्क के लिए अडानी समूह को 85 हजार बीघा भूमि रियायती दर पर दी है। ऐसा ही सहयोग भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में किया है। सवाल उठता है कि जब कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता अडानी समूह को इतना पसंद करते हैं, तब राहुल गांधी अडानी की आलोचना क्यों करते हैं? यदि राहुल गांधी की नजर में अडानी समूह बेईमान है तो कांग्रेस के नेताओं की नजर में भी अडानी समूह बेईमान ही होना चाहिए। लेकिन कांग्रेस के मुख्यमंत्री और प्रमुख नेता तो अडानी को विकास पुरुष मानते हैं और सहयोग के लिए तत्पर होते हैं। सब जानते हैं कि राजनेता किसी उद्योगपति से दोस्ती किस नियत से करते हैं। अशोक गहलोत से लेकर कमलनाथ तक कांग्रेस नेता किस स्वार्थ से अडानी से दोस्ती कर रखी है यह भी सबको पता है। ऐसे में राहुल गांधी की आलोचना पर भी सवाल उठते हैं। क्या राहुल की आलोचना सिर्फ दबाव (ब्लैकमेल) बनाने के लिए है? यदि ऐसा नहीं होता तो गहलोत, बघेल और कमलनाथ भी अडानी समूह की आलोचना करते। कांग्रेस को भी दो माह बाद चार राज्यों में विधानसभा का चुनाव लड़ना है और कांग्रेस को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के लिए हेलीकॉप्टर का इंतजाम करना है। दोनों भाई-बहन हेलीकॉप्टर से चुनावी सभाओं को संबोधित करते हैं। जहां तक अडानी समूह का सवाल है तो उसके लिए सभी राजनीतिक दल समान हैं। पूर्व में राहुल गांधी रिलायंस समूह के मुकेश अंबानी का भी नाम लेते थे। लेकिन पिछले कुछ माह से राहुल सिर्फ अडानी का ही नाम लेते हैं। हो सकता है कि आने वाले दिनों में राहुल गांधी अडानी का नाम लेना भी छोड़ दें।
चुनावी घोषणाओं का असर नहीं:
राजस्थान की तरह मध्यप्रदेश में भी दो माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है। 21 अगस्त को एनडीटीवी के लॉन्चिंग समारोह में कांग्रेस के नेता और पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सरकार इन दिनों जो चुनावी घोषणाएं कर रही है, उसका आम जनता पर कोई असर नहीं होगा। कमलनाथ ने कहा कि सरकार ने तीन साल तो कोई काम नहीं किया और अब चुनाव से पहले घोषणाएं की जा रही है, जनता सब समझती है। इन चुनावी घोषणाओं का असर मतदाताओं पर नहीं पड़ेगा। असल में मध्यप्रदेश में जो भाषा कांग्रेस के नेता बोल रहे हैं, वही भाषा राजस्थान में भाजपा के नेताओं के द्वारा इस्तेमाल की जा रही है। राजस्थान में भी भाजपा के नेता कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की घोषणाओं का अब कोई असर होने वाला नहीं है।
चुनावी घोषणाओं का असर नहीं:
राजस्थान की तरह मध्यप्रदेश में भी दो माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है। 21 अगस्त को एनडीटीवी के लॉन्चिंग समारोह में कांग्रेस के नेता और पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सरकार इन दिनों जो चुनावी घोषणाएं कर रही है, उसका आम जनता पर कोई असर नहीं होगा। कमलनाथ ने कहा कि सरकार ने तीन साल तो कोई काम नहीं किया और अब चुनाव से पहले घोषणाएं की जा रही है, जनता सब समझती है। इन चुनावी घोषणाओं का असर मतदाताओं पर नहीं पड़ेगा। असल में मध्यप्रदेश में जो भाषा कांग्रेस के नेता बोल रहे हैं, वही भाषा राजस्थान में भाजपा के नेताओं के द्वारा इस्तेमाल की जा रही है। राजस्थान में भी भाजपा के नेता कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की घोषणाओं का अब कोई असर होने वाला नहीं है।
S.P.MITTAL BLOGGER (22-08-2023)
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