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क्या कश्मीर के पत्थरबाज अफसर बनने वाले युवाओं से कोई सबक लेंगे?
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संघ लोक सेवा आयोग ने हाल ही में अखिल भारतीय सेवाओं की परीक्षा का जो परिणाम घोषित किया है उसमें कश्मीर के 14 लड़के-लड़किया शामिल हैं। पिछले तीन वर्षों में कश्मीर के कोई 50 युवाओं का चयन आईएएस, आईपीएस जैसी सेवाओं में हुआ है। यानि कश्मीर के युवाओं को रास्ते पर लाने के लिए जो कुछ भी किया जा सकता है, वह किया जा रहा है। सवाल उठता है कि अफसर बनने वाले कश्मीर के इन युवाओं से पत्थरबाज कोई सबक लेंगे? आमतौर पर टीवी चैनलों पर कश्मीर घाटी के युवाओं को सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकते ही दिखाया जाता है। अनेक युवा आतंकी बनकर सुरक्षा बलों पर हमले भी करते हैं। यानि अब कश्मीर घाटी के युवाओं के दो चेहरे सामने हैं। एक चेहरा मुंह पर रुमाल बांधकर पत्थर फेंकता है तो दूसरा चेहरा सरकार की कुर्सी पर बैठ कर देश सेवा का संकल्प ले रहा है। एक वर्ष की परीक्षा में एक ही प्रदेश से 14 युवाओं का चयन आयोग की परीक्षा में होना, अपने आप में महत्त्वपूर्ण बात है। देश के किसी भी युवा का आईएएस अथवा आईपीएस बनने का सपना होता है। घाटी के युवाओं को मुख्य धारा में लाने के जो प्रयास हो रहे हैं, उसमें आयोग की परीक्षा का परिणाम भी शामिल है। सवाल उठता है कि जब कश्मीर के युवाओं का एक वर्ग संविधान की शपथ लेकर देश सेवा का संकल्प ले रहा है तो दूसरा वर्ग अलगाववादियों के इशारे पर सुरक्षा बलों पर पत्थर क्यों फेंकता है? सब जानते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 370 की वजह से कश्मीर के युवाओं को पहले ही अनेक रियायतें और विशेषाधिकार मिले हुए हैं। ऐसे में देश के अन्य राज्यों के युवाओं की तरह कश्मीर के युवाओं में भी देश सेवा का जज्बा होना चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (03-06-17)
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