Monday 19 June 2017

#2705
राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे भी चाहती हैं मार्बल पर टैक्स कम हो। नहीं तो बर्बाद हो जाएगा मार्बल उद्योग। 
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राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली से साफ-साफ कहा है कि यदि जीएसटी के अन्तर्गत मार्बल पत्थर पर 28 प्रतिशत टैक्स लगाया जाता है तो मार्बल उद्योग बर्बाद हो जाएगा। इसका सीधा असर राजस्थान पर पड़ेगा क्योंकि देश का 97 प्रतिशत मार्बल व्यवसाय राजस्थान से ही होता है। सीएम राजे ने जेटली से आग्रह किया कि राजस्थान के हालातों को देखते हुए मार्बल को जीएसटी के दायरे से बाहर किया जाए या फिर टैक्स में कटौती की जाए। सीएम ने जो गंभीरता दिखाई, उसी को देखते हुए जेटली ने भरोसा दिलाया कि मार्बल पर उनका मंत्रालय रिव्यू करेगा। राजस्थान में अजमेर की किशनगढ़ मार्बल मंडी विश्व विख्यात है। मार्बल उद्योग को जीएसटी की मार से बचाने के लिए किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश टांक रात-दिन जयपुर-दिल्ली के चक्कर काट रहे हैं। टांक ने जिस गंभीरता के साथ मार्बल उद्योग की परेशानियों को रखा, उसकी वजह से ही सीएम राजे ने केन्द्रीय वित्त मंत्री से बात की। 18 जून को भी टांक ने दिल्ली में राजस्थान के पांच सांसदों को साथ लेकर अनेक केन्द्रीय मंत्रियों से मुलाकात की। राज्यसभा के सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव ने भी भरोसा दिलाया कि मार्बल को जीएसटी के दायरे से बाहर करवाने के प्रयास किए जाएंगे। 
बर्बाद हो जाएगा उद्योग :
टांक ने केन्द्रीय मंत्रियों को बताया कि यदि 28 प्रतिशत का टैक्स लगाया जाता है तो मार्बल उद्योग बर्बाद हो जाएगा। वर्तमान में डेढ़ करोड़ से अधिक के कारोबार पर 2 प्रतिशत के टैक्स का प्रावधान है। मार्बल उद्योग को पहले ही सरेमिक टाईल्स से कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है। जबकि टाईल्स पर 23.5 प्रतिशत टैक्स वर्तमान में लग रहा है। यानि 2 प्रतिशत टैक्स में ही जब 23.5 प्रतिशत टैक्स वाली टाईल्स से मार्बल मुकाबला नहीं कर पा रहा है तो फिर 28 प्रतिशत टैक्स चुकाने पर मार्बल उद्योग के हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं जीएसटी के प्रावधानों में टाईल्स पर टैक्स 28 प्रतिशत कर दिया गया है। यानि 5.5 प्रतिशत की कटौती। टांक ने कहा कि दिल्ली में बैठे बड़े अधिकारियों ने मार्बल पत्थर की जमीनी हकीकत जाने बिना ही हमारे मार्बल को विदेशी मार्बल के बराबर मान लिया है जबकि विदेशी मार्बल से राजस्थान की खानों से निकलने वाले मार्बल पत्थर की तुलना नहीं की जा सकती। मार्बल तो 10 रुपए फीट में भी उपलब्ध हो जाएगा। जबकि विदेशी मार्बल की शुरूआत ही 200 रुपए फीट से शुरू होती है। किशनगढ़ मार्बल मण्डी से रोजाना 350 ट्रक मार्बल बाहर भेजा जाता है। जबकि 1000 ट्रक प्रतिदिन कच्चा माल लेकर आते हैं। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है। 
बिगड़ सकती है कानून व्यवस्था :
टांक ने आशंका जताई कि मार्बल उद्योग के बर्बाद होने पर राजस्थान की कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। प्रदेश में अधिकांश मार्बल खानें आदिवासी इलाकों में हैं। पूर्व में इन क्षेत्रों में अपराध ज्यादा होते थे। लेकिन जब से आदिवासियों को खानों में रोजगार उपलब्ध हुआ है तब से इन इलाकों में शांति है। यानि बड़ी संख्या में आदिवासी युवा रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। यदि खाने बंद होती है तो प्रदेश भर में अपराध बढ़ सकते हैं। 
देवी-देवताओं की मूर्तियां भी चपेट में : 
मार्बल पत्थर से बड़ी संख्या में देवी-देवताओं की मूर्तियां भी बनाई जाती हैं। लेकिन अब ऐसी मूर्तियां भी महंगी हो जाएगी। 
एस.पी.मित्तल) (19-06-17)
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