Monday 19 June 2017

#2702
हुर्रियत का असली चेहरा फिर उजागर हुआ। पाकिस्तान की जीत पर कश्मीर में आतिशबाजी।
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18 जून को जब चैम्पियन ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान ने भारत को हरा दिया तो कश्मीर में सुरक्षा बलों के कैम्पों के सामने अलगाववादियेां ने आतिशबाजी की। इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि अलगाववादियों के नेता मीरवाइज, उमर फारूख ने पाकिस्तान को बधाई भी दी। इससे एक बार फिर हुर्रियत का असली चेहरा उजागर हो गया है। पाकिस्तान की जीत पर आतिशबाजी होने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कश्मीर घाटी के हालात कैसे हैं? जो लोग मानवाधिकारों के हनन का मुद्दा उछाल कर पत्थरबाजों की हिमायत करते हैं, उन्हें अब यह देखना चाहिए कि सुरक्षा बलों के कैम्पों के बाहर ही आतिशबाजी की जा रही है। क्या यह देशद्रोह नहीं है? सुरक्षा बलों को इससे ज्यादा चिढ़ाने वाली कार्यवाही और क्या हो सकती है। जिस पाकिस्तान के आतंकी कश्मीर में घुस कर सुरक्षा बलों के जवानों को मार रहे हैं, उसी पाकिस्तान की जीत पर सुरक्षा बलों के कैम्पों के बाहर आतिशबाजी की जा रही है। यदि सुरक्षा बल मानवाधिकारों का हनन करते तो कैम्पों के बाहर पाकिस्तान की जीत पर आतिशबाजी करने की किसी की भी हिम्मत नहीं होती और न ही मीरवाइज जैसे नेता पाकिस्तान को बधाई दे पाते। अनुच्छेद 370 की आड़ में हुर्रियत के नेता कश्मीर में एशो-आराम की जिंदगी जी रहे हैं। क्या ऐसे नेताओं के खिलाफ कार्यवाही नहीं होनी चाहिए? शर्म आनी चाहिए उन तथाकथित बुद्धिजीवियों को जो पत्थरबाजों की हिमायत में खड़े हो जाते हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (19-06-17)
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