Friday 16 June 2017

#2693
क्या फायदा ऐसी क्रिकेट से? सदभावना के बजाए बढ़ता है तनाव। 18 जून को फिर भिडेंगे भारत-पाक।
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चैम्पियन ट्रॉफी का फाइनल अब 18 जून को इंग्लैण्ड में भारत और पाकिस्तान की क्रिकेट टीमों के बीच होना है। आमतौर पर यह माना जाता है कि खेल और सांस्कृतिक गतिविधियां मनमुटाव वाले देशों के बीच सदभावना को बढ़ाते हैं। लेकिन हकीकत है कि भारत, पाकिस्तान के साथ खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों की कितनी भी पहल कर लें, लेकिन सदभावना के बजाए तनाव ही बढ़ता है। जब भी भारत-पाक के बीच क्रिकेट मैच होता है तो दोनों देशों के अवाम् के बीच तनाव रहता ही है। खिलाडिय़ों पर भी बेवजह का मानसिक दबाव रहता है। भारत में तनाव इसलिए भी ज्यादा होता है कि सीमा पर पाकिस्तान की ओर से आतंकी हमले करवाए जाते हैं। 16 जून को भी पाकिस्तान की सेना ने सीज फायर का उल्लंघन करते हुए भारतीय सीमा में फायरिंग की। हो सकता है कि कुछ लोगों को क्रिकेट मैच के खेल से सदभावना की उम्मीद हो, लेकिन जब पाकिस्तान हमारे कश्मीर में खुले आम आतंकी वारदातें करवा रहा हो, तब क्रिकेट खेल लेने से सदभावना कैसे हो जाएगी? यह माना कि चैम्पियन ट्राफी में दो बार भारत-पाक की भिडंत होने से भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट बोर्ड मालामाल हो जाएंगे। लेकिन इससे दोनों मुल्कों के अवाम को कोई फायदा होने वाला नहीं है। अच्छा हो कि क्रिकेट खेलने से पहले दोनों मुल्कों की सीमा पर शांति हो। ऐसा नहीं हो सकता कि सीमा पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हो और क्रिकेट के मैदान पर भाईचारा हो जाए। दोनों देशों के बीच कोई पहली बार क्रिकेट का मैच नहीं हो रहा है। वर्षों से क्रिकेट खेली जा रही है, लेकिन फिर भी आज तक दोनों मुल्कों में सदभावना नहीं देखी है। कोई माने या नहीं, लेकिन 18 जून को होने वाले मैच की वजह से बेवजह का तनाव ही होगा। यह बात अलग है कि 24 घंटे चलने वाले टीवी चैनलों को 19 जून तक चिल्ल-पौं करने का अवसर मिल गया है। मैच तो 18 जून को होगा, लेकिन न्यूज चैनलों पर 16 जून से ही भारत-पाक के बीच भिडंत शुरू हो गई है। दिल्ली बनाम इस्लामाबाद अथवा लाहौर से सीधा प्रसारण का दौर भी शुरू हो चुका है। 
एस.पी.मित्तल) (16-06-17)
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