Tuesday 6 June 2017

#2655
तो क्या पार्थो चटर्जी की यह देश के साथ गद्दारी नहीं है? 
आखिर आईएमसी और सीपीएम क्या चाहती है?
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पार्थो चटर्जी को बंगाल का प्रसिद्ध लेखक माना जाता है। इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि जो व्यक्ति अपने ही देश के खिलाफ और दुश्मनों के पक्ष में लिखे वह प्रसिद्ध हो जाता है। ऐसे ही देशद्रोहियों को सरकार की ओर से पत्रकारिता के अवार्ड भी मिल जाते है। जिन पार्थो चटर्जी को प्रसिद्ध लेखक माना जाता है उन्होंने अपने एक लेख में भारतीय सेना के चीफ जनरल विपिन रावत की तुलना अंग्रेजों के जनरल डायर से की है। पार्थो ने लिखा है कि मेजर गोगोई की प्रशंसा पर आर्मी चीफ ने जनरल डायर जैसे कृत्य किया है। समझ में नहीं आता कि पार्थो जनरल रावत की तुलना जनरल डायर से कैसे कर रहे है। जनरल रावत ने मेजर गोगोई की प्रशंसा इसलिए की कि सेना की जीप के आगे एक अलगाववादी को बैठाकर कई लोगों की जान बचा ली गई। जबकि जनरल डायर ने तो निहत्थे लोगों पर मशीनगन से गोलियां चलवाकर सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। अफसोसनाक बात तो है कि पार्थो चटर्जी को बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी और प्रमुख विपक्षी दल सीपीएम का भी समर्थन मिल गया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ममता बैनर्जी के शासन में बंगाल में कौनसी मानसिकता पनप रही है। क्या पार्थो चटर्जी का लेखन देश के साथ गद्दारी नहीं है? कश्मीर घाटी में आए दिन आतंकी हमारे सुरक्षा बलों पर हमले कर रहे है तो अलगाववादी पाकिस्तान के रुपए से पत्थरबाजी करवा रहे है। ऐसे माहौल में भारतीय सेना की आलोचना देश के साथ गद्दारी से कम नहीं है। यह माना कि देश में अभिव्यक्ति की आजादी होनी चाहिए, लेकिन यदि इस आजादी की  आड़ में काम किया जाए तो फिर सरकार को भी ऐसे तत्वों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। कोई माने या नहीं लेकिन टीएमसी और सीपीएम जैसे राजनीतिक दलों ने भी बंगाल के माहौल को खराब करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आतंकी और अलगाववादी जब हमारे सुरक्षा बलों पर हमला करते है तब पार्थो चटर्जी जैसे लेखक कोई लेख नहीं लिखते। मेजर गोगोई ने जो काम किया उसके लिए पूरा देश उनकी सराहना करता है। पार्थो चटर्जी अपने लेख में यह लिखना भी भूल जाते हैं कि यही भारतीय सेना ही है जो बाढग़्रस्त कश्मीर में अपनी जान जोखिम में डालकर कश्मीरियों की जान बचाती है तथा उन्हें चिकित्सा सुविधा उनके बच्चों को शिक्षा भी देती है। शायद जनरल डायर भी ऐसा ही करता होगा। यह बात पार्थो चटर्जी को ही मालूम होगी?
एस.पी.मित्तल) (06-06-17)
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