Friday 17 August 2018

राजस्थान में अटल जी ने ही खुलवाया था क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय।

राजस्थान में अटल जी ने ही खुलवाया था क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय। अजमेर की सभा में अब्दुल बारी ने दिखाई थी दस्तारबंदी करने की हिम्मत। पुष्कर सरोवर में स्नान भी किया। गौरव यात्रा भी रोकी।
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16 अगस्त को दोपहर को जब मैं यह ब्लाॅग लिख रहा हंू तब भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी को दिल्ली के एम्स में लाइफ स्पोर्ट सिस्टम पर रखा हुआ है, लेकिन टीवी चैनलों पर भाजपा के प्रवक्ता, मंत्री, मुख्यमंत्री नेता आदि अपने अपने संस्मरण सुना रहे हैं। मैं भी उन खुश नसीब व्यक्तियों में शामिल हंू जिन्हें वाजपेयी से मिलने का अवसर मिला। मुझे याद है कि 1980 में जनता पार्टी की सरकार गिरने के बाद वाजपेयी अजमेर आए थे और तब एक पत्रकार के नाते वाजपेयी से मेरी मुलाकात सर्किट हाउस में हुई थी। सर्किट हाउस से ऐतिहासिक आनासागर झील को निहारते हुए वाजपेयी का कहना रहा कि अजमेर बहुत सुंदर शहर है। वाजपेयी से जुड़ी एक याद ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिम अब्दुल बारी की है। बारी का कहना है कि प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए वाजपेयी दरगाह जियारत के लिए नहीं आ सके, लेकिन वाजपेयी जब मोरारजी देसाई के मंत्रिमंडल में विदेशी मंत्री थे, तब बांगलादेश के प्रधानमंत्री के साथ दरगाह जियारत के लिए आए थे। तब दरगाह में अनेक लोगों ने राजस्थान में पासपोर्ट कार्यालय खोलने की मांग की, उस समय राजस्थान के लोगों को पासपोर्ट के लिए दिल्ली जाना होता था। लोगों की समस्या को देखते हुए वाजपेयी ने दरगाह परिसर में ही पासपोर्ट कार्यालय जयपुर में खोलने की घोषणा कर दी। इतना ही नहीं मौके पर मौजूद राजस्थान के तात्कालीन सीएम भैरोसिंह शेखावत से भी कहा कि एक वर्ष के अंदर अंदर जयपुर में पासपोर्ट कार्यालय खुल जाए, यह सुनिश्चित करना आपकी भी जिम्मेदारी है। बारी ने बताया कि तब मैंने ही वाजपेयी को दरगाह में जियारत करवाई थी। बारी ने बताया कि वाजपेयी का खादिम बनने का भी अजीब किस्सा है। असल में 1977 में जब जनता पार्टी के प्रचार के लिए वाजपेयी अजमेर आए तब दस्तारबंदी करना भी मुश्किल हो रहा था। मैंने उस समय सुभाष बाग की आम सभा में पहुंचकर मंच पर वाजपेयी के सर पर दस्तारबंदी की थी। मैं उसी समय से वाजपेयी का खादिम घोषित हुआ हंू। प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए वाजपेयी ने उर्स में प्रति वर्ष चादर चढ़ाई, इसी परंपरा को आज तक निभाया जा रहा है।
दरगाह दीवान से भी रहे अच्छे संबंधः
अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खां से भी वाजपेयी के मधुर संबंध रहे। वाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे, तब दिल्ली में इंडिया शाइनिंग अभियान की शुरुआत की गई। भव्य शुभारंभ समारोह में दीवान आबेदीन को खासतौर से आमंत्रित किया गया। राष्ट्रीय मुद्दों पर भी वाजपेयी ने कई बार दीवान आबेदीन से संवाद किया। अजमेर आगमन पर भी दीवान ने वाजपेयी से मुलाकात की असल में दीवान आबेदीन शुरू से ही राष्ट्रहित में अपनी बात को रखते आए हैं। गत दिनों इंग्लैंड यात्रा में भी एक उर्दू चैनल के प्रोग्राम में दीवान आबेदीन और उनके पुत्र नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि भारत में मुसलमान सुकून और शांति के साथ रह रहा है। यह आरोप निराधार है कि भाजपा के शासन में मुसलमानों को तांग किया जा रहा है। उनका कहना रहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबका साथ सबका विकास का जो नारा दिया है उसमें मुसलमानों की तरक्की हो रही है। 
पुष्कर सरोवर में स्नानः
वाजपेयी ने 29 जनवरी 1989 तथा 12 नम्वम्बर 1992 को दो बार हिन्दुओं के तीर्थ गुरु पुष्कर की यात्रा की। वाजपेयी ने यहां सनातन संस्कृति के अनुरूप पवित्र सरोवर में स्नान भी किया और पुष्कर के तीर्थ पुरोहितों के साथ ठंडाई का आनंद भी उठाया। वाजपेयी के पुरोहित नंदागुरु के पुत्र ओम प्रकाश ने सामाजिक कार्यकर्ता अरुण पाराशर को वो बही भी दिखाई जिसमें अपने हाथों से वाजपेयी ने पुष्कर तीर्थ के बारे में लिखा है। पुष्कर के पुरोहित आज भी वाजपेयी की स्मृतियों को याद करते हैं। 
गौरव यात्रा भी रोकीः
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की तबीयत खराब होने की सूचना के बाद राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने अपनी गौरव यात्रा रोक दी है। 16 अगस्त को सीएम राजे ने दिल्ली में एम्स अस्पताल में भर्ती वाजपेयी के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। 
एस.पी.मित्तल) (16-08-18)
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