Tuesday 14 August 2018

भास्कर के बाद अब एबीपी न्यूज ने भी राजस्थान में वसुंधरा राजे को हराया।

भास्कर के बाद अब एबीपी न्यूज ने भी राजस्थान में वसुंधरा राजे को हराया। 200 में से मात्र 57 सीट दी।
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वसुंधरा राजे फिर से सत्ता पर काबिज होने के लिए भले ही इन दिनों चालीस दिनों की गौरव यात्रा पर हों, लेकिन 13 अगस्त को देश के प्रमुख न्यूज चैनल एबीपी न्यूज ने जो सर्वे जारी किया है , उसमें वसुंधरा राजे को हारा हुआ मुख्यमंत्री माना है। 20 दिनों में यह दूसरा अवसर है, जब किसी बड़े मीडिया घराने ने वसुंधरा राजे को हारा हुआ माना है। इससे पहले देश के सबसे बड़े अखबार समूह भास्कर ने राजस्थान में वसुंधरा राजे की हार मानी थी। भास्कर के सर्वे में कहा गया था कि 57 प्रतिशत लोग फिर से वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार नहीं चाहते हैं। वहीं अब एबीपी न्यूज के सर्वे मंे भाजपा को मात्र 57 सीटें मिलने की ही उम्मीद जताई। वहीं कांग्रेस को 200 में से 130 सीटें मिलने की उम्मीद जताई। आमतौर पर किसी दूसरे मीडिया घराने का चुनावी सर्वे अन्य मीडिया में प्रकाशित नहीं होता है, लेकिन 13 अगस्त को जारी एबीपी न्यूज के सर्वे को 14 अगस्त के अंक में दैनिक भास्कर ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है। भास्कर ने वह दिखाने का प्रयास किया है जो सर्वे उन्होंने जारी किया, उस पर एबीपी न्यूज ने मुहर लगा दी है। स्वाभाविक है कि वसुंधरा राजे के समर्थकों और उनकी मेहरबानी से सत्ता की मलाई चाट रहे व्यक्तियों को एबीपी न्यूज का सर्वे पसंद नहीं आएगा। अब यह भी कहा जाएगा कि मीडिया तो बिकाऊ है। यह बात अलग है कि वसुंधरा राजे खुद एक करोड़ रुपए के विज्ञापन रोजाना अखबार वालों को दे रही हैं। हालांकि ऐसे विज्ञापनों का भास्कर पर कोई असर नहीं हुआ। एबीपी न्यूज के सर्वे की रिपोर्ट प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित कर भास्कर ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। अब यह उन लोगों की जिम्मेदारी है जो वसुंधरा राजे का मीडिया मैनेजमेंट संभाल रहे हैं। असल में चाटुकारों ने ही वसुंधरा राजे को मीडिया से दूर कर रखा है। वसुंधरा राजे जब तक ऐसे चाटुकारों को नहीं हटाती, तब तक माहौल सुधरने वाला नहीं है। आज हालात इतने खराब है कि कोई व्यक्ति सकारात्मक सलाह देने से भी डरता है क्योंकि इर्द-गिर्द जमा चाटुकार नुकसान पहुंचा देते हैं। वसुंधरा राजे माने या नहीं, लेकिन उनकी छवि इन चाटुकारों ने राजनीतिक दृष्टि से बहुत खराब कर रखी है। ऐसे में उनके अच्छे कार्य भी सही ढंग से लोगों तक नहीं पहुंच रहे हैं। रही सही कसर भाजपा के 162 विधायकों ने पूरी कर दी है। घमंड में चूर भाजपा के विधायक आम लोगों से बहुत खराब व्यवहार करते हैं। जो विधायक, मंत्री, संसदीय सचिव आदि बन कर सत्ता का सुख भोग रहे हैं उनके प्रति तो लेागों में कुछ ज्यादा ही गुस्सा है।
एस.पी.मित्तल) (14-08-18)
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