Sunday 5 August 2018

यौन शोषण के संगीन मामले में आखिर क्यों चुप है।

यौन शोषण के संगीन मामले में आखिर क्यों चुप है। मेयो काॅलेज की गवर्निंग कौंसिल। आरोपी छात्रों से प्राथमिक पूछताछ भी शुरू नहीं।
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देश के सुप्रसिद्ध शिक्षण संस्थान अजमेर के मेयो काॅलेज के एक छात्र के यौनशोषण के आरोप में अलवर गेट पुलिस ने पांच आरोपी छात्रों के विरुद्ध पोक्सों और भादस की धारा 377 में मुकदमा दर्ज कर लिया है। इस मुकदमें के बाद देशभर के मीडिया में मेयो काॅलेज को लेकर खबरें प्रसारित हो रही है। लेकिन इसके बावजूद भी मेयो काॅलेज की गवर्निंग कौंसिल का कोई भी सदस्य जवाब देने के लिए मीडिया के सामने नहीं आया है। मेयो काॅलेज के साथ-साथ छात्राओं का मेयो गल्र्स और काॅ-एज्युकेशन का मयूर स्कूल भी संचालित होता है। इस घटना के बाद संस्थान के विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों में बेचेनी का माहौल है। 11वीं कक्षा के पीड़ित छात्र ने आरोप लगाया है कि रेगिंग के नाम पर नए और जूनियर छात्र को बुरी तरह प्रताड़ित किया जाता है। पहले जबरन नशीले पदार्थों का सेवन करवाया जाता है और फिर बारी बारी से सीनियर छात्र दुष्कर्म करते है। छात्रों के काॅलेज में ऐसा लगातार होता है। इस घिनौने मामले के उजागर होने के बाद उम्मीद थी कि मेयो संस्थान की गवर्निंग कौंसिल सामने आएगी, लेकिन कौंसिल का कोई भी सदस्य अभी तक भी मीडिया के सामने नहीं आया है। गंभीर बात तो यह है कि कौंसिल में अधिकांश सदस्य वो हैं जो देश में सुशासन देने का दावा करते हैं। सवाल उठता है कि जब उनके शिक्षण संस्थान में ही अनुशासन नहीं है। तो फिर देश में सुशासन कैसे दिया जा सकता है। मेयो काॅलेज की गवर्निंग कौंसिल में पंजाब के राज्यपाल बीपी सिंह बदनौर के साथ साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव भंवर जीतेन्द्र सिंह भी सदस्य हैं। इसके अलावा रिटायर पुलिस महानिदेशक और राज घरानों के प्रमुख भी सदस्य हैं। ऐसे सदस्य राज्य और केन्द्र में मंत्री भी रह चुके हैं। यही वजह है कि पुलिस की जांच भी प्रभावित हो रही है। मुकदमा दर्ज हुए एक सप्ताह गुजर गया, लेकिन पुलिस ने अभी तक भी किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत कार्यवाही शुरू नहीं की है। यहां तक कि पीड़ित नाबालिग छात्र के बयान धारा 164 में अदालत में नहीं करवाए हैं। स्वाभाविक है कि जब गवर्निंग कौंसिल में राज्यपाल जैसे पद बैठे सदस्य हो तो क्षेत्र के एसपी और सीआई की जांच करने की क्या हिम्मत होगी। चूंकि आरोपी छात्र भी प्रभावशाली परिवारों से संबंध रखते हैं, इसलिए अभी तक तो मामले में लीपापोती की जा रही है। इस पूरे प्रकरण में काॅलेज के मेजर सुधी कुलकर्णी का व्यवहार बहुत ही गैर जिम्मेदाराना रहा है। जानकारों की माने तो गवर्निंग कौंसिल के कुछ सदस्य भी प्रिंसिपल की भूमिका से नाराज है। पीड़ित छात्र ने हाउस मास्टर से लेकर प्रिंसिपल तक को शिकायत की थी, लेकिन सभी स्तर पर लापरवाही बरती गई, जब यौन शोषणा जानलेवा हो गया तो पीड़ित छात्र ने अपने पिता को घटना की जानकारी दी। मेयो काॅलेज के लिए यह बेहद शर्मनाक बात है कि एक छात्र से लगातार दस दिनों तक दुष्कर्म होता रहा और काॅलेज प्रशासन ने आरोपी छात्रों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की। 
एस.पी.मित्तल) (05-08-18)
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