Wednesday 21 July 2021

यह तो पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की गांधी परिवार के नेतृत्व को सीधी चुनौती है। वहीं नवजोत सिंह सिद्धू के लंच में 62 विधायक शामिल।पंजाब के राजनीतिक हालातों से ही जुड़ा है, राजस्थान का विवाद। गांधी परिवार अभी दूसरी जोखिम नहीं लेना चाहता।रीट्वीट पर अजय माकन द्वारा सफाई नहीं देना भी बहुत मायने रखता है।

कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले गांधी परिवा के राजनीतिक इतिहास में संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब किसी कांग्रेस शासित राज्य के मुख्यमंत्री ने सीधे चुनौती दी है। सब जानते हैं कि 18 जुलाई को गांधी परिवार ने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष घोषित किया, लेकिन अभी तक भी पंजाब के सीएम कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने सिद्धू को प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर स्वीकार नहीं किया है। मुख्यमंत्री का स्पष्ट कहना है कि वे सिद्धू को तब तक स्वीकार नहीं करेंगे, जब तक सिद्धू अपने पूर्व बयानों पर माफी नहीं मांगते हैं। सिद्धू को सरकार और अमरेन्द्र सिंह के विरोध वाले बयान सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों से भी हटाने पड़ेंगे। सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री ने ऐसी शर्त सिद्धू को प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने से पहले भी रखी थी, लेकिन ऐसी शर्त को दरकिनार कर सिद्धू को प्रदेशाध्यक्ष बना दिया गया। मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने विगत दिनों सार्वजनिक तौर पर कहा था कि वे कांग्रेस हाईकमान यानी गांधी परिवार का कहना मानेंगे। लेकिन अपने कथन से मुकरते हुए मुख्यमंत्री ने माफी वाली शर्त लगा दी है। बड़ी अजीब बात है कि जिस पार्टी को मात्र 8 माह बाद विधानसभा का चुनाव का सामना करना हो, उसके मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष आमने सामने खड़े हैं। अब यदि अमरेन्द्र और सिद्धू में मुलाकात भी हो जाती है तो इस बात की क्या गारंटी है कि चुनाव तक दोनों एक रहेंगे? स्वाभाविक है कि चुनाव में टिकटों के बंटवारे को लेकर फिर विवाद होगा। सिद्धू के समर्थक खुले आम कह रहे है कि प्रदेशाध्यक्ष ही अगला मुख्यमंत्री बनता रहा है। अमरेन्द्र सिंह भी प्रदेशाध्यक्ष से ही मुख्यमंत्री बने थे। अमरेन्द्र सिंह के ताजा रवैए से यह बात साफ हो गई है कि अब कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में गांधी परिवार का कोई डर या लिहाज नहीं रहा है। जहां तक अमरेन्द्र सिंह के मुख्यमंत्री बने रहने का सवाल है तो जिस प्रकार राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने दम पर विधायकों का जुगाड़ कर रखा है, उसी प्रकार अमरेन्द्र सिंह ने विधायकों का समर्थन जुटा रखा है। यदि नवजोत सिंह सिद्धू के समर्थक 20 विधायक अलग भी हो जाते हैं तो अमरेन्द्र सिंह विधानसभा में बहुमत साबित करने की स्थिति में है। जिस प्रकार पंजाब के सीएम अमरेन्द्र सिंह नवजोत सिंह सिद्धू को पसंद नहीं करते हैं, उसी प्रकार राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत असंतुष्ट नेता सचिन पायलट को पसंद नहीं करते हैं। यह बात अलग है कि गत वर्ष जुलाई अगस्त की घटना के बाद सचिन पायलट ने गांधी परिवार में अपनी छवि को न केवल सुधारा है, बल्कि मजबूत भी किया है। लेकिन गांधी परिवार दूसरी जोखिम नहीं लेना चाहता, इसलिए राजस्थान में बदलाव में अभी समय लगेगा। इस बार पायलट भी धैर्य दिखा रहे हैं। अशोक गहलोत ने गांधी परिवार के जिस हथियार से दिसम्बर 2018 में सचिन पायलट को मात दी, अब उसी हथियार से पायलट गहलोत को मात देने की फिराक में है।
सफाई नहीं देना भी महत्वपूर्ण:
एक पत्रकार के ट्वीट को रीट्वीट करने के मामले में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन द्वारा अभी तक भी कोई सफाई नहीं देना कांग्रेस में बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि गांधी परिवार की आंख कान और मुंह माने जाने वाले अजय माकन सीएम गहलोत के रवैए से नाराज हैं। मालूम हो कि माकन ने उस ट्वी को रीट्वीट किया था, जिसमें लिखा गया, अमरेन्द्र सिंह को या अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री बने ही यह समझने लगते हैं कि उनकी वजह से कांग्रेस पार्टी की जीत हुई है, जबकि सच्चाई यह है कि श्रीमती सोनिया गांधी वोट बटोर कर लाती है। जीत का श्रेय सोनिया गांधी कभी नहीं लेतीं।
लंच में 62 विधायक:
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नकारात्मक रुख को देखते हुए 21 जुलाई को सिद्धू ने अमृतसर स्थित अपने निवास स्थान पर लंच पर कांग्रेस विधायकों को आमंत्रित किया। इस लंच में कांग्रेस के 62 विधायक उपस्थित रहे। सिद्धू इसे अपने पास 62 विधायकों का समर्थन मान रहे है, जबकि जानकार सूत्रों के अनुसार सीएम अमरेन्द्र सिंह ने  एक रणनीति के तहत अपने समर्थक विधायकों को ही लंच में जाने की छूट दी है। ऐसे में अभी यह नहीं कहा जा सकता कि 80 कांग्रेसी विधायकों में से 62 सिद्धू के साथ हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (21-07-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

No comments:

Post a Comment