राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने बढ़ती आबादी के मद्देनजर जनसंख्या नियंत्रण नीति का समर्थन किया है। 14 जुलाई को शर्मा ने अपने एक बयान में कहा कि हम दो हमारे दो की अब जरूरत नहीं है। अब हम दो हमारा एक की नीति पर अमल करना चाहिए। केन्द्र सरकार यदि जनसंख्या नियंत्रण नीति बनाती है तो हम साथ देंगे। मैं पहले भी सार्वजनिक मंचों पर कह चुका हूं कि जनसंख्या का नियंत्रण किया जाना चाहिए। हम चाहे कितने भी संसाधन जुटा लेकिन उनका उपयोग तभी सफल है, जब जनसंख्या सीमित होगी। शर्मा ने कहा कि यदि आप बेहतर जीवन जीना चाहते हैं तो आपको अपना परिवार सीमित रखना होगा। अभी हाल ही में कोरोना काल में हम सबने देखा कि लोगों को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ा। इसका यह मतलब नहीं कि संसाधनों की कोई कम थी। सरकारी अस्पतालों में हजारों संक्रमित व्यक्तियों को भर्ती किया गया, लेकिन आबादी के कारण सभी संसाधन कम पड़ गए। देश ने बढ़ती आबादी विस्फोटक स्थिति में पहुंच गई है। इसके लिए सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है। चिकित्सा मंत्री ने इस बात पर अफसोस जताया कि लोग अभी भी लापरवाही बरत रहे हैं, जिसकी वजह से कोरोना की तीसरी लहर की आशंका बनी हुई है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में सरकार ने रियायत दी है, लेकिन कोरोना ने कोई रियायत नहीं दी है।
प्राथमिक चिकित्सालय शुरू किया जाए:
अजमेर नगर निगम के पार्षद एडवोकेट अजय वर्मा ने प्रदेश के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा को एक पत्र लिखकर फॉयसागर रोड स्थित प्रकाश नगर के सामुदायिक भवन में प्राथमिक चिकित्सालय शुरू करने की मांग की है। पार्षद वर्मा ने कहा कि वार्ड संख्या 5, 6 और 7 में एक भी पीएचसी नहीं है। जबकि इन वर्षों में अधिकांश इलाके कच्ची बस्तियों के हैं, ऐसे में गरीब लोगों को पांच से सात किलोमीटर दूर इलाज के लिए जाना पड़ता है। वर्मा ने कहा कि प्रकाश नगर का सामुदायिक भवन प्राथमिक चिकित्सालय के उपयुक्त स्थान है। सरकार को सिर्फ चिकित्सकों की नियुक्ति करनी है। स्वास्थ्य केन्द्र के लिए यदि किन्हीं उपकरणों की जरुरत होगी तो जनसहयोग से उपलब्ध करा दिए जाएंगे। यह सामुदायिक भवन भी सरकार कोष से ही बना है।
कैसे रुकेगी तीसरी लहर:
14 जुलाई को जयपुर सहित कई शहरों में भाजपा की ओर से बिगड़ती कानून व्यवस्था के विरोध में प्रदर्शन किए गए। इससे पहले 13 जुलाई को कांग्रेस ने महंगाई के विरोध में प्रदर्शन किया। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद प्रदेश भर में राजनीतिक प्रदर्शन हो रहे हैं। इन प्रदर्शनों में कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग का तो सवाल ही नहीं उठता, लेकिन लोगों ने मास्क भी नहीं लगाया है। सरकार ने दुकान पर काम करने वाले कर्मचारी पर अनेक पाबंदिया लगा रखी है और यदि कोई दुकानदार इन पाबंदियों का पालन नहीं करता है तो उस पर जुर्माना या सीज की कार्यवाही की जाती है। लेकिन जब राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाकर प्रदर्शन करते हैं तो पुलिस और प्रशासनिक तंत्र मूक दर्शक बना रहता है। सरकार ने शादी समारोह में भी 50 लोगों की अनुमति दी है, जबकि प्रदर्शनों में सैकड़ों लोग शामिल हो रहे हैं। सवाल उठता है कि राजनीतिक प्रदर्शनों के चलते कोरोना की तीसरी लहर से कैसे बचा जाएगा? सवाल यह भी है कि जब सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता ही प्रदर्शन में शामिल हैं तो फिर विरोधी दलों के प्रदर्शनों को कैसे रोका जा सकता है?
प्राथमिक चिकित्सालय शुरू किया जाए:
अजमेर नगर निगम के पार्षद एडवोकेट अजय वर्मा ने प्रदेश के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा को एक पत्र लिखकर फॉयसागर रोड स्थित प्रकाश नगर के सामुदायिक भवन में प्राथमिक चिकित्सालय शुरू करने की मांग की है। पार्षद वर्मा ने कहा कि वार्ड संख्या 5, 6 और 7 में एक भी पीएचसी नहीं है। जबकि इन वर्षों में अधिकांश इलाके कच्ची बस्तियों के हैं, ऐसे में गरीब लोगों को पांच से सात किलोमीटर दूर इलाज के लिए जाना पड़ता है। वर्मा ने कहा कि प्रकाश नगर का सामुदायिक भवन प्राथमिक चिकित्सालय के उपयुक्त स्थान है। सरकार को सिर्फ चिकित्सकों की नियुक्ति करनी है। स्वास्थ्य केन्द्र के लिए यदि किन्हीं उपकरणों की जरुरत होगी तो जनसहयोग से उपलब्ध करा दिए जाएंगे। यह सामुदायिक भवन भी सरकार कोष से ही बना है।
कैसे रुकेगी तीसरी लहर:
14 जुलाई को जयपुर सहित कई शहरों में भाजपा की ओर से बिगड़ती कानून व्यवस्था के विरोध में प्रदर्शन किए गए। इससे पहले 13 जुलाई को कांग्रेस ने महंगाई के विरोध में प्रदर्शन किया। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद प्रदेश भर में राजनीतिक प्रदर्शन हो रहे हैं। इन प्रदर्शनों में कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग का तो सवाल ही नहीं उठता, लेकिन लोगों ने मास्क भी नहीं लगाया है। सरकार ने दुकान पर काम करने वाले कर्मचारी पर अनेक पाबंदिया लगा रखी है और यदि कोई दुकानदार इन पाबंदियों का पालन नहीं करता है तो उस पर जुर्माना या सीज की कार्यवाही की जाती है। लेकिन जब राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाकर प्रदर्शन करते हैं तो पुलिस और प्रशासनिक तंत्र मूक दर्शक बना रहता है। सरकार ने शादी समारोह में भी 50 लोगों की अनुमति दी है, जबकि प्रदर्शनों में सैकड़ों लोग शामिल हो रहे हैं। सवाल उठता है कि राजनीतिक प्रदर्शनों के चलते कोरोना की तीसरी लहर से कैसे बचा जाएगा? सवाल यह भी है कि जब सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता ही प्रदर्शन में शामिल हैं तो फिर विरोधी दलों के प्रदर्शनों को कैसे रोका जा सकता है?
S.P.MITTAL BLOGGER (14-07-2021)
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