Thursday 22 July 2021

भास्कर अखबार और भारत समाचार न्यूज चैनलों के दफ्तरों पर आयकर विभाग की छापामारी की कार्यवाही की राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आलोचना की। यह मीडिया की आवाज कुचलने का काम है।यह बात अलग है कि गहलोत सरकार भी भास्कर पर झूठी खबरें छापने का आरोप लगा रही है।संसद के दोनों सदनों में भी भास्कर का मुद्दा उठा।

दैनिक भास्कर अखबार समूह और यूपी के लोकप्रिय न्यूज़ चैनल भारत समाचार के कार्यालयों पर 22 जुलाई को हुई आयकर विभाग की छापामार कार्यवाही की राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आलोचना की है। गहलोत ने अपने ट्वीट में कहा कि इनकम टैक्स का छापा मीडिया को दबाने का एक प्रयास है। मोदी सरकार अपनी रत्ती भर आलोचना भी बर्दाश्त नहीं कर सकती है। यह भाजपा की फासीवादी मानसिकता है जो लोकतंत्र में सच्चाई का आईना देखना भी पसंद नहीं करती है। ऐसी कार्यवाही कर मोदी सरकार मीडिया को दबाकर संदेश देना चाहती है कि यदि गोदी मीडिया नहीं बनेंगे तो आवाज कुचल दी जाएगी। सीएम गहलोत की तरह कांग्रेस के नेता कमलनाथ, दिग्विजय सिंह आदि ने भी भास्कर समूह के कार्यालयों पर छापे की आलोचना की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार आयकर चोरी की शिकायत मिलने पर विभाग ने 22 जुलाई को भास्कर के गुजरात, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि राज्यों के कार्यालयों में दस्तावेजों की जांच की है। भास्कर अखबार के मालिक अखबार के साथ साथ रियल एस्टेट, ऊर्जा, शिक्षा आदि के क्षेत्रों में कारोबार करते हैं। ऐसे कारोबार का संचालन भास्कर अखबार के दफ्तर से ही होता है। विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के मद्देनजर ही आयकर विभाग ने छापामार कार्यवाही की है। सीएम गहलोत भले ही अभी भास्कर के प्रति सहानुभूति जता रहे हों, लेकिन पिछले कई दिनों से राजस्थान में गहलोत सरकार भास्कर की खबरों को झूठी बता रही है। वैक्सीन की बर्बादी को लेकर भास्कर ने जो खबरें प्रकाशित की, उस पर सरकार की ओर से बाकायदा प्रेस नोट जारी कर खबरों को तथ्यहीन और भ्रामक बताया गया। इसी प्रकार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की खरीद में हुए करोड़ों के घोटाले की खबर भास्कर में प्रकाशित हुई तो गहलोत सरकार ने एक बार फिर खबरों को झूठी करार दिया। सरकारी विज्ञापनों के माध्यम से भी गहलोत सरकार ने भास्कर की खबरों का खंडन किया है। ऐसा प्रतीत होता है कि भास्कर में जिस तरह से गहलोत सरकार के काम काज को लेकर खबरें प्रकाशित की है उसके मद्देनजर ही अब मुख्यमंत्री ने भास्कर के प्रति सहानुभूति पूर्वक रुख प्रकट किया है। भास्कर ने गत 19 जुलाई को ही प्रथम पृष्ठ पर एक खबर प्रकाशित की थी, जिसमें बताया गया कि एक हजार करोड़ की कीमत वाली माइंस मात्र 5 करोड़ रुपए में कांग्रेस के विधायक परसराम मोरडिय़ा के परिवार को दे दी। भास्कर की इस खबर पर सरकार ने अभी तक भी कोई सफाई नहीं दी है। यहां यह उल्लेखनीय है कि भास्कर समूह अखबार देश का सबसे बड़ा अखबार है। भास्कर का हिन्दू के अलावा अंग्रेजी और गुजराती भाषा में भी प्रकाशन होता है। इसके अतिरिक्त देश के प्रमुख शहरों में एफएम रेडियो का संचालन भी भास्कर समूह करता है। भास्कर पर हुई छापेमारी का मुद्दा 22 जुलाई को लोकसभा और राज्यसभा में भी उठा। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया कि इनकम टैक्स, ईडी और सीबीआई के माध्यम से मीडिया की आवाज दबाने का काम किया जा रहा है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (22-07-2021)
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