Thursday 1 July 2021

देश में आज ऐसे लोग संवैधानिक पदों पर बैठे हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई में भाग नहीं लिया-विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी।कलराज मिश्र निमित्त मात्र हूँ मैं, के शीर्षक में घमंड झलकता है-मुख्यमंत्री अशोक गहलोत।राज्यपाल कलराज मिश्र को अपने ही राजभवन में कटु शब्द सुनने पड़े।

1 जुलाई को राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपने जन्मदिन के अवसर पर राजभवन में एक समारोह आयोजित किया। इस समारोह में मिश्र के जीवन पर आधारित पुस्तक का लोकार्पण भी हुआ। चूंकि राज्यपाल का निमंत्रण था, इसलिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी के साथ साथ प्रदेश भर के विश्वविद्यालयों के कुलपति और अधिकारी भी समारोह में उपस्थित रहे। मिश्र को उम्मीद थी कि समारोह में उनके व्यक्तित्व की सराहना की जाएगी। लेकिन राज्यपाल मिश्र को अपने ही राजभवन में जन्मदिन के मौके पर कटु शब्द सुनने पड़े। समारोह में विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि कलराज मिश्र के जीवन पर आधारित इस पुस्तक को पढ़ने के बाद पता चलता है कि मिश्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति हैं। सब जानते हैं कि 1925 में किन विचारों को लेकर संघ की स्थापना हुई है। उन्होंने कहा कि मिश्र भले ही संघ की पृष्ठभूमि के हों, लेकिन आज प्रधानमंत्री और अन्य संवैधानिक पदों पर ऐसे लोग बैठे हैं, जिनका देश की आजादी की लड़ाई से कोई संबंध नहीं रहा। जोशी ने कहा कि जो लोग संवैधानिक पदों पर बैठते हैं, उनका काम लोकतंत्र को मजबूत करने वाला होता है। लेकिन आज हम संवैधानिक पदों के हालातों को देख रहे हैं। अपने संबोधन में जोशी ने राज्यपाल पद के संवैधानिक कार्यों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि किसी प्रदेश का राज्यपाल संविधान का प्रमुख होता है। मंत्रिमंडल की सिफारिश पर राज्यपाल को निर्णय लेने होते हैं, लेकिन हमने गत वर्ष यह देखा कि राजस्थान में मंत्रिमंडल की सिफारिश को नहीं माना गया। लेकिन मुझे इस बात का संतोष है कि प्रदेश में राज्यपाल कलराज मिश्र और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध है। जोशी ने कहा कि राज्यपाल नियुक्त होने वाले व्यक्ति को संवैधानिक शपथ लेनी होती है, जबकि विधानसभा अध्यक्ष को इस पद की कोई शपथ नहीं लेनी होती है। विधानसभा सदस्य  के तौर पर जो शपथ ली जाती है वही शपथ अध्यक्ष पद के लिए पर्याप्त होती है। जोशी ने कहा कि कलराज मिश्र भले ही संघ के स्वयंसेवक रहे हों, लेकिन राज्यपाल के पद का निर्वहन उन्हें संविधान के अनुरूप ही करना चाहिए। समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मिश्र के जीवन पर आधारित पुस्तक का शीर्ष है, 'कलराज मिश्र निमित्त मात्र हंू मैं चूंकि मैं शब्द का उपयोग आखिर में किया गया है, इसलिए इसमें घमंड झलकता है। अच्छा होता कि मैं शब्द का उपयोग शीर्षक के शुरुआत में होता। गहलोत ने कहा कि अभी सीपी जोशी ने बताया कि मिश्र संघ की पृष्ठभूमि के व्यक्ति हैं। लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि मिश्र सभी को संविधान का पाठ पढ़ाने की शिक्षा देते हैं। गहलोत ने मिश्र को सद्व्यवहार वाला व्यक्ति बताया। गहलोत ने कहा कि मिश्र अक्सर मेरे स्वास्थ्य की जानकारी के लिए फोन करते रहते हैं। वैसे तो मुख्यमंत्री के नाते मुझे फोन करना चाहिए, लेकिन  कलराज मिश्र स्वयं ही फोन कर लेते हैं। प्रदेश की समस्याओं के प्रति भी मिश्र हमेशा जागरूक रहते हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। चूंकि कलराज मिश्र बहुआयामी व्यक्तित्व के राजनेता भी रहे है, इसलिए पिछले दिनों जब उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज हुई तो मुझे लगा कि कलराज मिश्र अब लखनऊ चले जाएंगे। समारोह में लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने अशोक गहलोत और सीपी जोशी के कटु शब्दों पर तो कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन कहा कि राष्ट्रवादी विचारों को लेकर ही कलराज मिश्र देश की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के पद पर रहकर मिश्र संविधान की रक्षा कर रहे हैं। विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होने के नाते मिश्र ने सभी विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रमों में संविधान को पढ़ाने के निर्देश भी दिए हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (01-07-2021)
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