सीएए कानून के विरोध में प्रदर्शन हों, पर गत वर्ष लॉकडाउन में मजदूरों के पालन की घटना या फिर कोरोना की दूसरी लहर में दिल्ली में जलती सामूहिक चिताएं। फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी ने यह दिखाने की कोशिश की कि भारत में हालात सामान्य नहीं है। रोहिंग्या मुसलमानों के खींचे फोटो पर तो दानिश को पत्रकारिता का सर्वोच्च पुलित्जर अवार्ड भी मिला। यह भारत के लोकतंत्र की खूबसूरती ही थी कि दानिश का नाम देश के चुनिंदा फोटोग्राफरों में शामिल था। दानिश को भारत में लोकप्रिय भी खूब मिली। भारत में खींचे गए फोटो विदेशी पत्र पत्रिकाओं में खूब छपे। किसी ने भी यह नहीं कहा कि ऐसे फोटो से अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। दानिश अपने देश हिंदुस्तान में पूरी तरह महफूज था, लेकिन पड़ोसी देश अफगानिस्तान से अमरीका के सैनिकों की वापसी और तालिबान के लड़ाकों के आगमन पर जब गत दिनों दानिश अफगानिस्तान में फोटो खींचने गया तो तालिबानियों ने उसकी हत्या कर दी। शायद दानिश को यह उम्मीद रही होगी कि अफगानिस्तान एक मुस्लिम राष्ट्र है,इसलिए उसे कोई खतरा नहीं है, लेकिन तालिबानियों ने दानिश को मौत के घाट उतारने में एक क्षण भी विलंब नहीं किया। तालिबानी नहीं चाहते थे कि अफगानिस्तान में जो बेरहमी दिखा रहे हैं उसे कैमरे में कैद किया जाए। दानिश के निधन पर भारत में शोक है, लेकिन इससे भारत में रहने वाले मुसलमानों को मुस्लिम राष्ट्र अफगानिस्तान के हालातों का अंदाजा लगा लेना चाहिए। सवाल उठता है कि तालिबान के लड़ाकों अफगानिस्तान में किन लोगों को मार रहे हैं? अफगानिस्तान में न तो हिन्दू रहते हैं और न ईसाई, जैन, बौद्ध आदि धर्म के लोग भ नहीं रहते। चूंकि अफगानिस्तान मुस्लिम राष्ट्र है, इसलिए मुसलमान ही रहते हैं। यानी मुस्लिम राष्ट्र में भी मुसलमान सुरक्षित नहीं है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा है कि तालिबान की मदद करने के लिए पाकिस्तान ने 10 हजार मुस्लिम युवकों को अफगानिस्तान में भेजा है। पाकिस्तान की वजह से ही अफगानिस्तान में तालिबान की स्थिति मजबूत हुई है। लेकिन पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि जब तालिबान का पूरी तरह अफगानिस्तान पर कब्जा हो जाएगा, तब तालिबान के लड़के सबसे पहले पाकिस्तान की ओर ही कूच करेंगे। पाकिस्तान आज जो बीज बो रहा है उसके फल उसे भुगतने पड़ेंगे। भारत में ऐसे अनेक बुद्धिजीवी और कलाकार है जिन्हें कई मौकों पर अपने देश में असहिष्णुता नजर आती है। ऐसे बुद्धिजीवी और कलाकार अब अफगानिस्तान और पाकिस्तान के हालात देख लें। क्या किसी बुद्धिजीवी और कलाकार में इतनी हिम्मत है कि वह अफगानिस्तान और पाकिस्तान में जाकर रह सके। भारत सनातन संस्कृति वाला देश है, जहां हर धर्म का व्यक्ति अपने धर्म का आचरण करते हुए शांति और सुकून के साथ रह सकता है। अवार्ड लौटाने की धमकी देने वाले कलाकार यह समझ लें कि भारत में जो स्वतंत्रता है, वैसी स्वतंत्रता दुनिया में कहीं भी देखने को नहीं मिलेगी।
S.P.MITTAL BLOGGER (20-07-2021)
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