15 जुलाई को मैंने ब्लॉक संख्या 8094 लिखा। इस ब्लॉग का शीर्षक था जो हाल अफगानिस्तान में अमरीका का हुआ, वही हाल पाकिस्तान में चीन का होगा। यह ब्लॉग 14 जुलाई को पाकिस्तान के खैबर पख्तून क्षेत्र में आतंकी विस्फोट में मारे गए 9 चीनी इंजीनियरों के संदर्भ में था। चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत पाकिस्तान में अपने पैर जमा रहा है, लेकिन चीन को पाकिस्तान के कट्टरपंथियों की ताकत का अहसास नहीं रहा। जब 14 जुलाई को कट्टरपंथियों ने चीन के 9 इंजीनियरों को मौत के घाट उतारा तो अब चीन आग बबूला है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पता है कि विस्फोट करने वाले आतंकियों को पकडऩे में इमरान सरकार कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं करेगी, इसलिए चीन ने सैन्य और जांच अधिकारी घटना स्थल पर पहुंच गए हैं। चीन की सेना अपने स्तर पर जांच कर आतंकियों को पाकिस्तान में ही ढेर करेगी, इसके लिए चीन की मिसाइलों का मुंह पाकिस्तान की ओर कर दिया गया है। यदि चीन अपने इंजीनियरों का बदला लेने के लिए पाकिस्तान के कट्टरपंथियों के गढ़ में मिसाइल हमला करता है तो फिर वही होगा जो अफगानिस्तान में अमरीका का हुआ है। जब मुस्लिम कट्टरपंथी अफगानिस्तान में 20 वर्षों तक अमरीका से जंग लड़ सकते हैं तो पाकिस्तान में चीन से क्यों नहीं? हो सकता है कि अभी चीन को मुस्लिम कट्टरपंथियों की ताकत का अहसास नहीं हो रहा हो, लेकिन जब पाकिस्तान में जंग होगी तो चीन को भी भारत और पाकिस्तान के बीच फर्क नजर आ जाएगा। अच्छा हो कि एक बार चीन, पाकिस्तान कट्टरपंथियों के साथ उलझ जाए। चीन को लगता है कि मिसाइलों का मुंह पाकिस्तान की ओर करने से कट्टरपंथी डर जाएंगे। यदि ऐसा है तो यह चीन का भ्रम है। 20 बरस जंग लड़ने के बाद आखिर अमरीका को भी अफगानिस्तान से भागना पड़ा। चीन यदि अफगानिस्तान की स्थिति को सामने रखकर विचार करेगा तो उसे पाकिस्तान के कट्टरपंथियों की ताकत का भी पता चल जाएगा। जहां तक प्रधानमंत्री इमरान खान का सवाल है तो पाकिस्तान के कट्टरपंथियों से वे भी दु:खी और परेशान हैं। इमरान खान भी सरकारी प्रोजेक्टों में चीन की भागीदारी इसलिए करवा रहे हैं ताकि कट्टरपंथियों को दबाया जा सके। ताजा सूचनाओं के अनुसार चीन ने दासू हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर काम करने वाले सभी पाकिस्तानी नागरिकों को बाहर निकाल दिया है। अब इस प्रोजेक्ट पर पाकिस्तान का एक भी कर्मचारी तैनात नहीं है। फिलहाल प्रोजेक्टर का काम भी बंद कर दिया गया है। देखना है कि अपने 9 इंजीनियरों की मौत का बदला चीन कैसे लेता है। यदि कट्टरपंथियों के गढ़ में चीनी मिसाइलें दागी जाती हैं तो इससे भारत को थोड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि पाकिस्तान में बैठे कट्टरपंथी ही भारत में आतंकी गतिविधियां करते हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (17-07-2021)
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