6 जुलाई को राजस्थान के सीएम गहलोत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली है। इस पोस्ट में सीबीआई, इनकम टैक्स, ईडी आदि एजेंसियों के दुरुपयोग पर केन्द्र सरकार की आलोचना की है। गहलोत का मानना है कि जब भी चुनाव आते हें तो संबंधित राज्यों में केंद्रीय एजेंसियों की छापामार कार्यवाही शुरू हो जाती है। गहलोत को लगता है कि रिवर फ्रंट के कार्य में हुए भ्रष्टाचार को लेकर सीबीआई जो छापामार कार्यवाही कर रही है, उसमें यूपी चुनाव को ध्यान में रखा गया है। गहलोत की पोस्ट को मेरे फेसबुक पेज www.facebook.com/SPMittalblog पर देखा जा सकता है। लेकिन सवाल उठता है कि गहलोत जैसे मुख्यमंत्री को एजेंसियों के दुरुपयोग पर सरकार की आलोचना करने का नैतिक अधिकार है? सब जानते हैं कि गत वर्ष जब राजस्थान में सत्तारूढ़ पार्टी में राजनीतिक संकट हुआ तो दो व्यक्तियों की साधारण बातचीत पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर लिया गया। इतना ही नहीं गहलोत के अधीन काम करने वाली राजस्थान पुलिस कांग्रेस पार्टी के विधायकों को पकडऩे के लिए दिल्ली तक पहुंच गई। क्या तब पुलिस का दुरुपयोग नहीं हुआ? पहले सरकार ने कहा कि हमने फोन टेपिंग नहीं करवाई, लेकिन जब मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा फंसने लगे तो विधानसभा में वरिष्ठ मंत्री शांति धारीवाल ने स्वीकार किया कि पुलिस के एक इंस्पेक्टर ने विस्फोटक और मादक पदार्थ की तस्करी की जानकारी लेने के लिए ब्यावर के भरत मलानी और एक अन्य व्यक्ति का फोन टेप किया। हालांकि बाद में मामला भ टायं टायं फिस्स हो गया। लेकिन अशोक गहलोत अपनी सरकार बचाने में सफल रहे। जैसलमेर के किले में बंद गहलोत समर्थक विधायकों के टेलीफोन टेप करने की खबर पर राजस्थान पुलिस ने आजतक न्यूज चैनल के जयपुर स्थित संवाददाता शरत कुमार और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के मीडिया सलाहकार रहे लोकेन्द्र सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। लोकेन्द्र को तो हाईकोर्ट से जमानत करानी पड़ी। बाद में इस मामले में एफआर लगा दी गई। क्या यह एजेंसी के दुरुपयोग का मामला नहीं है? राजस्थान में तो उन मामलों में सरकारी एजेंसियों को दखल हो रहा है, जिसमें राशि का लेनदेन हुआ ही नहीं। गहलोत के अधीन काम करने वाली एसीबी को सिर्फ ऑडियो वीडियो टेप के आधार पर ही मुकदमा दर्ज करना पड़ रहा है। जयपुर ग्रेटर नगर निगम की भाजपाई मेयर सौम्या गुर्जर (अब निलंबित) के प्रकरण में कोई शिकायत दर्ज नहीं है, लेकिन ऑडियो टेप के आधार पर ही पुलिस ने सौम्या के पति राजाराम गुर्जर और बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधियों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। अब इसी मामले में संघ के राजस्थान प्रांत के प्रचारक निम्बाराम पर गिरफ्तारी की तलवार लटका दी है। इतना ही नहीं इस मामले में अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के कार्य को भी बदनाम किया जा रहा है। कांग्रेस की ओर से ऐसा प्रदर्शित किया जा रहा है जैसे निम्बाराम बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि से कमीशन मांग रहे हैं। जबकि कंपनी ने एसीबी के सभी आरोपों से इंकार कर दिया है। संघ का भी कहना है कि बातचीत कंपनी के सामाजिक सरोकारों से जुड़े सीएसआर फंड से मंदिर निर्माण के लिए सहयोग देने की हुई थी, लेकिन राजस्थान की जनता देख रही है कि गहलोत की पुलिस किस नजरिए से काम कर रही है। तीन-चार आईपीएस की वरिष्ठता को लांघ कर अशोक गहलोत ने एमएल लाठर को राज्य का पुलिस महानिदेशक बनाया है। इसी प्रकार पांच-छह आईएएस की वरिष्ठता को दरकिनार कर निरंजन आर्य को मुख्य सचिव बनाया गया है। यह माना कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है, लेकिन यह भी सही है कि ऐसी नियुक्तियां राजनीतिक नजरिए से ही की जाती है। जिन कुमार विश्वास (सुप्रसिद्ध कवि) ने 2014 में अमेठी में राहुल गांधी के सामने चुनाव लड़ा उन विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा को गहलोत ने राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बना दिया। अब कुमार विश्वास की पत्नी राजस्थान में आरएएस, आरपीएस, लेक्चरर, इंजीनियर डॉक्टर आदि सलेक्ट कर रही है। मुख्य सचिव की पत्नी श्रीमती संगीता आर्य को भी आयोग का सदस्य बना रखा है। यानी गहलोत वो सब कर रहे हैं जो सरकार चलाने के लिए जरूरी है, इसलिए गहलोत के मुंह से एजेंसियां के दुरुपयोग की बात शोभा नहीं देती है।
S.P.MITTAL BLOGGER (07-07-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511
No comments:
Post a Comment