Saturday 27 May 2023

सनातन संस्कृति के प्रतीक राजदंड (सेंगोल) को संसद भवन में रखने पर कांग्रेस को आपत्ति क्यों?

नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराए जाने वाला मुद्दा फुस्स हो जाने के बाद कांग्रेस को अब संसद भवन सनातन संस्कृति के प्रतीक राजदंड (सेंगोल) को रखे जाने पर एतराज है। जबकि यह राजदंड 1947 में सत्ता हस्तांतरण के समय तब अंग्रेज गवर्नर लॉर्ड माउंटबेटन ने घोषित प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दिया था। कांग्रेस अब इस ऐतिहासिक तथ्य को ही नकार रही है। मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास ही सनातन संस्कृति के प्रतीक राजदंड को भी रखा जाएगा। देशभर में राजदंड को संसद में रखने की प्रशंसा हो रही है, लेकिन कांग्रेस को लगता है कि राजदंड को रखने में भाजपा राजनीति कर रही है। कांग्रेस को लगता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए राजदंड को नए संसद में रखा जा रहा है। कांग्रेस प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की उपलब्धियों का तो फायदा लेना चाहती है, लेकिन उस राजदंड से परहेज कर रही है जो स्वयं नेहरू जी ने ग्रहण किया था। कांग्रेस को उन धर्मगुरुओं पर भी भरोसा नहीं है जिनके पूर्व के धर्मगुरुओं ने तमिलनाडु में राजदंड बनवाया था। इतिहासकारों की माने तो अंग्रेज शासक लार्ड माउंटबेटन ने ही सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक का सुझाव दिया था, तब नेहरू जी ने ही तमिलनाडु में सेंगोल को बनवाया । अब जब उसी सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित किया जा रहा है, तब कांग्रेस को ही आपत्ति है। वैसे भी संसद भवन में राजदंड होना ही चाहिए, क्योंकि अनेक सांसद उद्दंडता करते हैं। ऐसी उद्दंडता पर लोकसभा अध्यक्ष कठोर टिप्पणी भी करते हैं, लेकिन सांसदों पर कोई असर नहीं होता। इसे शर्मनाक ही कहा जाएगा कि सांसद नारेबाजी करते हैं और आसन पर कागज के गोले तक फेंकते हैं। सांसदों की उद्दंडता की ही वजह से शीतकालीन सत्र चल ही नहीं सका। हालांकि उदंड सांसदों को बाहर निकालने में मार्शल का प्रावधान है, लेकिन अब लोकसभा अध्यक्ष के पास राजदंड की ताकत भी होगी। वैसे भी राजदंड संसद में स्थापित होने से देशवासियों का सम्मान बढ़ेगा। 


S.P.MITTAL BLOGGER (27-05-2023)

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