आजाद भारत के इतिहास में 28 मई 2023 का दिन स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। आजादी के 75 वर्ष बाद उस संसद भवन को छोड़ दिया है जिसे गुलामी का प्रतीक माना जाता था। अब हमारे सांसद उस नए भवन में बैठेंगे जो पूरी तरह स्वदेशी है। सब जानते हैं कि देश के संचालन में संसद की ही सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही संसद में बैठकर कानून बनाते हैं और कानून के अनुसार ही देश चलता है। संसद में बनाए कानून की रक्षा सुप्रीम कोर्ट तय करती है। इससे संसद के महत्व को समझा जा सकता है। संसद के नए भवन के उद्घाटन पर 28 मई को भारत की सनातन संस्कृति का भव्य प्रदर्शन हुआ। वैदिक मंत्रोच्चार में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाग लिया। अध्यात्म से भरपूर माहौल में हवन पूजन मंत्र आदि का जाप हुआ। पीएम मोदी स्वयं अध्यात्म से भरे नजर आए। देश के सबसे ताकतवर स्थल पर सनातन संस्कृति का ऐसा भव्य प्रदर्शन नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री काल में ही संभव है। सनातन संस्कृति को मानने वाला हर भारतीय आज गर्व महसूस कर रहा है। सनातन संस्कृति ही एक मात्र संस्कृति है जिसमें सभी धर्मों का सम्मान होता है। इसलिए संसद के नए भवन के उद्घाटन पर 11 धर्मों के गुरुओं और विशेषज्ञों ने अपनी अपनी जुबान से दुआ प्रार्थना, वंदना आदि की। ऐसी भी संस्कृति है जो स्वयं के धर्म को सर्वश्रेष्ठ और जरूरी मानती है। ऐसी संस्कृति में दूसरे धर्म के सम्मान की गुंजाइश भी नहीं होती। कई बार ऐसी संस्कृति अपने ही धर्मों के लोग को मौत के घाट उतार देती है। 28 मई को जिस तरह नए संसद भवन का उद्घाटन हुआ उसमें उम्मीद की जानी चाहिए कि संसद में सनातन संस्कृति के अनुरूप प्रभावी काम होगा। अच्छा होता कि कुछ राजनीतिक दल बहिष्कार करने के बजाए उद्घाटन के विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होते। विपक्ष ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को न बुलाए जाने का बेवजह का मुद्दा उठाया है। मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने में नरेंद्र मोदी की ही भूमिका रही है। यदि विपक्ष का द्रौपदी मुर्मू के प्रति सम्मान होता तो राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार नहीं बनाते। संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार कर तो विपक्ष ने अपनी नाकारात्मक छवि पेश की है। 28 मई को जब पूरा देश उत्साहित था, तब बिहार में शासन करने वाली आरजेडी ने नए भवन के साथ ताबूत की फोटो लगा ट्वीट किया है। विपक्ष की यह मानसिकता दर्शाती है कि लोकतंत्र का कितना अपमान किया जा रहा है। सब जानते हैं कि चारा घोटाले में आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सजा हो रखी है और जमीन के बदले नौकरी घोटाले में बिहार के डिप्टी चीफ मिनिस्टर तेजस्वी यादव और उनका पूरा परिवार आरोपी है। परिवार के किसी न किसी सदस्य को आए दिन जांच एजेंसियां के सामने खड़ा रहना पड़ता है। नए संसद भवन के साथ ताबू का फोटो आरजेडी ने द्वेषतापूर्ण तरीके से लगाया है।
S.P.MITTAL BLOGGER (28-05-2023)
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