सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ कमेटी ने भारत के प्रमुख औद्योगिक घराने अडानी समूह पर अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है। इस रिपोर्ट में माना गया है कि अडानी समूह में वित्तीय अनियमितताएं नहीं हुई है, जो निवेश हुआ है उसके सभी दस्तावेज उपलब्ध हैं। समूह का कामकाज भारत के कानूनों के अनुरूप है। सुप्रीम कोर्ट विशेषज्ञ कमेटी से जांच की जरूरत इसलिए पड़ी कि अमेरिकी फाइनेंशियल रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने जनवरी में एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में अडानी समूह पर वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए गए। इस रिपोर्ट के बाद अडानी की विभिन्न कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट हुई। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने अडानी की आड़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी व्यक्तिगत हमले किए। जेपीसी की मांग को लेकर विपक्ष ने पूरे शीतकालीन सत्र में संसद के दोनों सदनों को ठप रखा। अब जब सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ कमेटी ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को झूठा बता दिया है, तब सवाल उठता है कि संसद को ठप करने का जिम्मेदार कौन होगा? सवाल अडानी समूह के शेयर गिरने का नहीं, बल्कि देश में अस्थिरता पैदा करने का है। सब जानते हैं कि देश के विकास में अडानी समूह की कितनी भूमिका है। सरकार के साथ मिलकर अडानी समूह एयरपोर्ट, बंदरगाह, सैन्य उपकरण, चिकित्सा आदि के क्षेत्रों में काम कर रहा है। हर देश में विकास के क्षेत्र में उद्योगपतियों की भूमिका होती है। कांग्रेस के शासन में टाटा, बिरला, डालमिया आदि की भी भूमिका ज्यादा थी तो अब रिलायंस, अडानी जैसे औद्योगिक समूह की भूमिका ज्यादा है। क्योंकि देश के विकास में अडानी समूह की भी भूमिका है, इसलिए बदनीयती से हिडनबर्ग की रिपोर्ट प्रकाशित करवाई गई। इस रिपोर्ट का मकसद भारत को औद्योगिक और आर्थिक दृष्टि से पीछे धकेलना था, लेकिन केंद्र में मजबूत इरादों वाली सरकार होने के कारण विदेशी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया गया, जो विपक्षी नेता हिडनबर्ग की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार को घेर रहे थे, वे अब सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट पर चुप है। असल में अब हमें देश विरोधी ताकतों से सावधान रहना चाहिए। देश विरोधी लोग यह नहीं चाहते कि हमारी हवाई सेवाएं मजबूत हो। पहले जहां बंदूक तक विदेशों से मंगवाई जाती थी, वहां अब अधिकांश सैन्य सामान भारत में ही बनने लगा है। यहां तक अब हम सैन्य सामग्री निर्यात भी करने लगे हैं। अडानी की तरह राफेल की खरीद में भी हंगामा मचाया गया था, लेकिन राफेल का मुद्दा भी पिट गया । अफसोस की बात तो तब है जब विदेशी एजेंसियों के इशारे पर भारत के कुछ राजनेता भी नाचने लगते हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (20-05-2023)
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