Friday 6 February 2015

अजमेर में अपनी प्रतिष्ठा नहीं बचा पाए पायलट कांग्रेस सभी 9 पंचायत समितियों में हारी, जिला परिषद पर भाजपा का तीसरी बार कब्जा

अजमेर में अपनी प्रतिष्ठा नहीं बचा पाए पायलट
कांग्रेस सभी 9 पंचायत समितियों में हारी, जिला परिषद पर भाजपा का तीसरी बार कब्जा
पंचायती राज चुनावों में प्रदेशभर में भले ही कांग्रेस को उम्मीद से ज्यादा सफलता मिली हो, लेकिन प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष यचिन पायलट अजमेर में अपनी प्रतिष्ठा को बचा नहीं पाए हैं। अजमेर को पायलट का गृह जिला माना जाता है, क्योंकि पायलट यहां से दो बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। सांसद और केन्द्रीय मंत्री रहते हुए पायलट ने जिले में विकास के कार्य भी करवाए, लेकिन पायलट पंचायतीराज चुनाव में अपने ही घर में कांग्रेस को नहीं जितवा सके। जिले की सभी 9 पंचायत समितियों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। जहां भाजपा को सात पंचायत समितियों में पूर्ण बहुमत मिला है, वहीं 2 पंचायत समितियों में बहुमत की चाबी निर्दलीय सदस्यों के पास है। चूंकि भाजपा सत्ता में है। इसलिए माना जा रहा है कि इन दोनों पंचायत समितियों में भी भाजपा के प्रधान चुन लिए जाएंगे। जिला परिषद के 32 वार्डों में से 23 पर जीत दर्ज कर भाजपा लगातार तीसरी बार अपना जिला प्रमुख बनाएगा। प्रदेशभर में कांग्रेस को जो उम्मीद से ज्यादा सफलता मिली उस पर पायलट ने अपनी पीठ थपथपाई है। पायलट का कहना है कि अब प्रदेश की जनता का भाजपा से मोह भंग हो रहा है, लेकिन पायलट अपने गृह जिले में कांग्रेस की स्थिति को मजबूत नहीं कर सके।
असल में अजमेर के कांग्रेस नेताओं की आपसी खींचतान की वजह से पायलट यहां संगठन को मजबूती नहीं दे पा रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पायलट ने प्रदेश के कई जिलों में संगठन में बदलाव किया, लेकिन अजमेर में घोषणा करने के बाद भी अमल नहीं करवा पा रहे हैं। देहात जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया को न चाहते हुए भी पायलट अध्यक्ष पद पर बनाए रखे हुए है। इसी प्रकार अजमेर शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता को प्रदेश का सचिव बना दिया गया है, लेकिन अभी तक भी नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई है। किशनगढ़, ब्यावर, बिजयनगर, केकड़ी, सरवाड़, मसूदा आदि के ब्लॉक अध्यक्ष को भी बदलने की चर्चा हो रही है, लेकिन राजनीतिक मजबूरियों के चलते पयालट ने अजमेर में फेरबदल को रोक रखा है। हालांकि पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों का चयन पायलट ने अपने नजरिए से किया, लेकिन कांग्रेस नेताओं की आपसी खींचतान से अधिकांश उम्मीदवार चुनाव हार गए। 32 जिला परिषद के 32 वार्डों में से 9 वार्ड में जीत बताती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस की स्थिति बेहद कमजोर है। जो 9 सदस्य जीते हैं, उनकी जीत में भी संगठन से ज्यादा व्यक्तिगत कारण रहे हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार अपने गृह जिले में कांग्रेस की स्थिति कमजोर होने पर पायलट ने नाराजगी भी व्यक्त की है। इस संबंध में पायलट ने देहात अध्यक्ष सिनोदिया, केकड़ी के पूर्व विधायक रघु शर्मा, मसूदा के पूर्व विधायक ब्रह्मदेव कुमावत, पुष्कर की पूर्व विधायक श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ आदि से जवाब तलब किया है। पायलट को नसीराबाद विधानसभा में आने वाली श्रीनगर पंचायत समिति में हार पर भी आश्चर्य हो रहा है। यहां हाल ही में हुए विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रामनारायण गुर्जर की जीत हुई थी।

(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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