Saturday 7 February 2015

केन्द्रीय मंत्री सांवरलाल जाट ने भाजपा को आंखें दिखाई

केन्द्रीय मंत्री सांवरलाल जाट ने भाजपा को आंखें दिखाई
अजमेर जिला प्रमुख के चुनाव में केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री सांवरलाल जाट ने अपनी ही पार्टी भाजपा को आंखें दिखा दी। यदि जाट की समर्थक उम्मीदवार मैदान में डटी रहती तो भाजपा उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ता। जिला प्रमुख के लिए जाट ने डॉ.अनिता बैरवा का नाम प्रस्तावित किया था, लेकिन जिले के चुनाव प्रभारी तथा स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने वंदना नोगिया को अधिकृत उम्मीदवार घोषित कर दिया। देवनानी के इस रवैये से जाट इतने खफा हुए कि उन्होंने डॉ.अनिता बैरवा के दो नामांकन दाखिल करवा दिए। एक भाजपा उम्मीदवार तथा दूसरा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में। जाट ने पूरी भाजपा को आंखें दिखाते हुए स्पष्ट कर दिया कि यदि डॉ.बैरवा को उम्मीदवार घोषित नहीं किया तो निर्दलीय ही चुनाव लड़ा जाएगा। दोनों नामांकन दाखिल करवाने के बाद जाट डॉ.बैरवा को अपने सिविल लाइन स्थित निवास पर ले गए ताकि कोई भाजपा नेता बैरवा का नामांकन वापस नहीं करा दे। बताया गया कि जाट के निवास पर जिला परिषद के नवनिर्वाचित सदस्य भी थे। 32 सदस्यीय वाली जिला परिषद में भाजपा के 23 सदस्य है, लेकिन जाट ने डॉ.बैरवा की उम्मीदवारी करवा कर भाजपा को संकट में डाल दिया। प्रभारी देवनानी और देहात भाजपा के अध्यक्ष बी.पी.सारस्वत ने जाट को समझाने का प्रयास भी किया, लेकिन जाट ने किसी की नहीं सुनी। सूत्रों के अनुसार बाद में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी ने जाट को पार्टी में अनुशासन बनाए रखने की हिदायत दी और स्पष्ट कहा कि यदि डॉ.बैरवा अपना नाम वापस नहीं लेती हैं तो इसकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी जाट की होगी। परनामी ने यहां तक कहा कि अब इस मामले को राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तक ले जाया जाएगा। यानि मंत्र पद भी खतरे में पड़ सकता है। सूत्रों की माने तो सीएम वसुंधरा राजे ने तो जाट से बात करने से ही इंकार कर दिया। परनामी की धमकी और सीएम के सख्त रूख के चलते आखिर जाट को झुकना पड़ा और ऐन मौके पर बैरवा का नामांकन वापस लिया गया। इस कार्य में देहात अध्यक्ष सारस्वत की भूमिका मेहनत वाली रही, क्योंकि सारस्वत ही जाट के घर में घुस कर डॉ.बैरवा को बाहर लाए। अब भले ही अजमेर की जिला प्रमुख वंदना नोगिया बन गई हो, लेकिन जिस तरह नोगिया निर्विरोध चुनी गई उससे भाजपा में दरार तो पड़ ही गई है। असल में सांवरलाल जाट केन्द्रीय मंत्री बन कर भी खुश नहीं है, क्योंकि पीएम नरेन्द्र मोदी की सख्त निगरानी की वजह से जाट स्वतंत्रतापूर्वक कार्य नहीं कर पा रहे हैं। अजमेर से सांसद बनने से पहले जाट नसीराबाद से भाजपा विधायक थे और उन्हें सीएम राजे ने प्रदेश का जल संसाधन मंत्री बनाया था। राजे के राज में जाट स्वतंत्रतापूर्वक कार्य करते रहे हैं। जाट इसलिए भी नाराज है कि नसीराबाद के उपचुनाव में उनके पुत्र को भाजपा का उम्मीदवार नहीं बनाया गया। जाट की नाराजगी के चलते ही उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। असल में जाट वो भाजपाई हैं जिन्हें आरएसएस की घुट्टी पीने को नहीं मिली है। जाट पूर्व में जनता दल को तोड़ कर भाजपा में शामिल हुए थे। तब उन्होंने स्व. भैरोसिंह शेखावत की अल्पमत सरकार को टिकाए रखा था। पहले शेखावत के कंधे में सवार रहे तो अब राजे के राज में। जाट को राजे का राज इतना अच्छा लगता है कि वह केन्द्रीय मंत्री का पद छोड़ कर वापस प्रदेश का ही मंत्री बनना चाहते हैं। यही वजह है कि जाट समय-समय पर भाजपा को आंख दिखाते रहते हैं।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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